India News (इंडिया न्यूज़), Nawazuddin Siddiqui On Daughter Shora Learning Acting In London: बॉलीवुड में प्रतिभा के धनी नवाजुद्दीन सिद्दीकी (Nawazuddin Siddiqui) ने आमिर खान अभिनीत फिल्म सरफरोश में एक भूमिका के साथ अपने करियर की शुरुआत की। हालांकि, गैंग्स ऑफ वासेपुर, द लंचबॉक्स, रमन राघव 2.0 और मंटो में उनके अविस्मरणीय अभिनय ने उन्हें प्रसिद्धि दिलाई और उन्हें इंडस्ट्री के केंद्र में पहुंचा दिया। उनके फैंस, उनकी अभिनय क्षमता के कायल हैं और लगातार उनका समर्थन करते रहे हैं। अपने निजी जीवन में, नवाजुद्दीन ने 2009 में आलिया सिद्दीकी से शादी की और साथ में वो दो बच्चों, शोरा और यानी के माता-पिता हैं।
आपको बता दें कि एक्टर नवाजुद्दीन सिद्दीकी की बेटी शोरा भी बॉलीवुड में प्रवेश करना चाहती है, इसलिए वो लंदन में एक्टिंग सीख रहीं है और अन्य संबंधित पेशेवर कोर्स कर रही है। नवाजुद्दीन ने बताया कि उन्हें इस बात पर बहुत गर्व है कि उनकी बेटी पेशेवर रूप से एक्टिंग सीख रही है, क्योंकि हर संस्थान अलग-अलग चीजें सिखाता है।
नवाजुद्दीन ने कहा, “बेशक, मुझे इस पर गर्व है। हर कार्यशाला और प्रशिक्षण संस्थान आपको ऐसी चीजें सिखा सकता है, जिनके बारे में आप शायद नहीं जानते होंगे। अगर वह इतने प्रतिष्ठित संस्थान से सीख रही है, तो यह अच्छा ही है। इससे उसके करियर को ही फायदा होगा। विशेषज्ञ आपको जो सिखाते हैं, उससे आपका दिमाग बेहतर होता है। आपको अपने निजी जीवन के अनुभव से जो सीखने में सालों लग सकते हैं, वह आपको प्रशिक्षण के कारण बहुत पहले ही सीखने को मिल जाता है।”
नवाजुद्दीन ने कहा कि कोई एक दिन उठकर गंभीर अभिनेता नहीं बन सकता। एक महत्वाकांक्षी अभिनेता को कार्यशालाओं में जाना चाहिए, चाहे वह किसी भी क्षेत्र में हो क्योंकि विशेषज्ञता होना आवश्यक है।
नवाजुद्दीन ने आगे कहा, “मेरा विश्वास है प्रशिक्षण पर। ऐसा नहीं है कि आप बस उठ के आ गये। अगर कोई सीरियस एक्टर बनना चाहता है, वो कोई तो वर्कशॉप करेगा, छोटी या बड़ी, या फिर कुछ ना कुछ सीरियस काम करेगा ना? ऐसा होना बहुत ज़रूरी है क्योंकि हर चीज़ की एक विशेषज्ञता होती है। जन्मा अभिनेता जैसा कुछ नहीं होता। हर चीज़ की विशेषज्ञता होती है, मैं आपका काम नहीं कर सकता, आप मेरा काम नहीं कर सकते। उसके लिए ट्रेनिंग की ज़रूरत है।”
नवाजुद्दीन ने कहा, “मैं किसी के दिमाग पर दबाव नहीं डालना चाहता कि मैंने ये सीखा तो तुम भी ये सीखो। वो दुनिया को अपनी नज़रों से देख रही है और वो देखना ज़रूरी है। उसका खुद का इंटरप्रिटेशन होना जरूरी है लाइफ का, थोपा हुआ नहीं लगना चाहिए। मेरा अनुभव, प्रशिक्षण और जीवन अलग है। मैं जिस नजरिये से दुनिया को देखता था, मेरा अनुभव उसके हिसाब से हुआ। तो मेरा शोरा को बोलना कि मेरे अनुभव से सीख बहुत गलत हो जाएगा। वो प्रेशर में नहीं डालना चाहता हूं उसपे।”
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