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जानिए नॉर्थ कोरिया का रहस्यमयी बुखार क्यों दुनिया के लिए है खतरनाक

इंडिया न्यूज: North Korea COVID Cases: लगभग तीन साल से कोरोना महामारी से बचने के चक्कर में नॉर्थ कोरिया इस समय रहस्यमयी बुखार से जूझ रहा है। इस साल अप्रैल से इस देश में लाखों लोग इसकी चपेट में आए हैं। 12 मई 2022 को नॉर्थ कोरिया ने पहली बार देश में कोरोना संक्रमण मिलने (North Korea COVID Cases) की बात स्वीकार की है। वहीं वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (डब्ल्यूएचओ) ने नॉर्थ कोरिया के हालात पर चिंता जताते हुए कहा है कि कोरोना का नया वैरिएंट फैलने का खतरा बढ़ गया है। आइए जानते हैं नॉर्थ कोरिया में फैल रहा रहस्यमयी बुखार ( Mysterious Fever) क्या है, क्या ये कोरोना का संक्रमण है।

क्या नॉर्थ कोरिया में फैला बुखार कोरोना है?

  • डब्ल्यूएचओ ने मार्च 2020 में कोरोना वायरस को महामारी घोषित किया था। पिछले करीब ढाई साल से नॉर्थ कोरिया अपनी सीमाओं को सील करते हुए इस वायरस से बचे रहने का दावा करता रहा, लेकिन अप्रैल 2022 के अंत से 2.6 करोड़ की आबादी का एक बड़ा हिस्सा रहस्यमयी बुखार से पीड़ित है।
  • बता दें नॉर्थ कोरिया में अप्रैल से अब तक 20 लाख लोग इस रहस्यमयी बुखार से पीड़ित हो चुके हैं। नॉर्थ कोरिया ने 12 मई 2022 को अपने यहां पहली बार कोरोना के ओमिक्रॉन के संक्रामक सब-वैरिएंट बीए.2 पाए जाने की पुष्टि की, लेकिन बेहद कम टेस्टिंग की वजह से उसने कोरोना संक्रमित की सटीक संख्या नहीं बताई।
  • टेस्टिंग की कमी की वजह से नॉर्थ कोरिया ने बहुत कम संख्या में इन मामलों के कोरोना केसेज होने की पुष्टि की है। वहीं विदेशी एक्सपर्ट्स का मानना है कि नॉर्थ कोरिया में फैले बुखार की वजह कोरोना वायरस ही है। यानी तमाम दावों के बावजूद नॉर्थ कोरिया अब कोरोना वायरस के भयंकर प्रकोप से जूझ रहा है।

किम जोंग ने लगाया लॉकडाउन

  • बुखार पीड़ितों की संख्या बढ़ने और पहला कोरोना केस मिलने के बाद नॉर्थ कोरिया ने इसे राष्ट्रीय आपातकाल की तरह लिया है। वहां के ताशानाह किम जोंग ने सभी शहरों में लॉकडाउन का ऐलान कर दिया है। बुखार और असामान्य लक्षण वाले लाखों लोगों को क्वारेंटाइन कर दिया गया है।
  • नॉर्थ कोरिया का मेडिकल सिस्टम कमजोर है। इसीलिए दवाओं के सही डिस्ट्रिब्यूशन के लिए राजधानी प्योंगयोंग में मेडिकल सेंटर्स पर सेना तैनात कर दी गई है। माना जा रहा है कि जितने बड़े पैमाने पर वहां कोरोना फैल रहा है, उससे निपट पाने में नॉर्थ कोरिया का मेडिकल सिस्टम सक्षम नहीं है।

कैसे कोरोना से बचा रहा नॉर्थ कोरिया ?

बताया जाता है कि कोरोना से बचने के लिए जनवरी 2020 से ही नॉर्थ कोरिया के तानाशाह किम-जोंग-उन ने अपनी सीमाओं को सील कर दिया था। कोरोना के खतरे को देखते हुए उसने टोक्यो और बीजिंग ओलंपिक में टीमें ही नहीं भेजीं। यहां तक कि उसने सबसे बड़े ट्रेड पार्टनर और अपनी अर्थव्यवस्था की लाइफलाइन कहे जाने वाले चीन से लगभग सभी व्यापार पर रोक लगा दी। अभी ये स्पष्ट नहीं है कि देश की सीमाओं की इतनी कड़ी सीलबंदी के बावजूद कोरोना वायरस नॉर्थ कोरिया में प्रवेश कैसे कर गया।

क्यों उठ रहे सवाल ?

  • कई एक्सपर्ट्स नॉर्थ कोरिया के पिछले ढाई वर्षों से कोरोना से बचे रहने के दावे पर सवाल उठाते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि ये संभव ही नहीं है कि नॉर्थ कोरिया में अब तक कोरोना केस आए न हों, जबकि वह चीन का सीमावर्ती देश है। साथ ही चीन के साथ उसके करीबी संबंधों को देखते हुए दोनों देशों के लोगों की आवाजाही से भी उसके वहां कोरोना जरूर पहुंचा होगा।
  • एक्सपर्ट्स का मानना है कि ये भी संभव है कि अब जबकि नॉर्थ कोरिया में कोरोना बेकाबू हो चुका है, इसीलिए उसने कोरोना की मौजूदगी को स्वीकार कर लिया है।

डब्ल्यूएचओ ने क्यों जताई आशंका ?

  • डब्ल्यूएचओ इमर्जेंसीज के डायरेक्टर माइक रेयान ने कहा कि हमने बार-बार कहा है कि जिस जगह कोरोना के अनियंत्रित ट्रांसमिशन का खतरा हो। वहां नए वैरिएंट्स के आने का बहुत ज्यादा खतरा रहता है। कोरिया की कुल 2.6 करोड़ की लगभग पूरी आबादी का कोरोना वैक्सीनेशन नहीं हुआ है। यानी वहां कोरोना के अनियंत्रित प्रसार और उससे नए वैरिएंट्स आने का खतरा बहुत ज्यादा है।
  • डब्ल्यूएचओ के डायरेक्टर-जनरल टेड्रोस एडनॉम गेब्रेयेसस ने नॉर्थ कोरिया से अपील की है कि वो कोरोना महामारी से जुड़े डेटा और जानकारी साझा करे। टेड्रोस का कहना है कि डब्ल्यूएचओ इस बात को लेकर बहुत चिंतित है कि नॉर्थ कोरिया में कोरोना फैलने का खतरा बहुत अधिक है। क्योंकि वहां की लगभग पूरी आबादी अनवैक्सीनेटेड है, जिससे उनके गंभीर रूप से बीमार पड़ने और मौत का खतरा है।
  • उत्तर कोरिया और इरिट्रिया ही यूनाइटेड नेशंस के ऐसे सदस्य देश हैं जिन्होंने अब तक कोरोना वैक्सीन का कार्यक्रम नहीं शुरू किया है। वहीं, डब्ल्यूएचओ का कहना है कि इन दोनों में से किसी भी देश ने उसके वैक्सीन, दवाओं, परीक्षणों और टेक्निकल सपोर्ट के प्रस्तावों का जवाब नहीं दिया है। साथ ही नॉर्थ कोरिया पहले भी वठ के लाखों कोरोना वैक्सीन देने के आॅफर को ठुकरा चुका है, क्योंकि इसके लिए अंतरराष्ट्रीय निगरानी की जरूरत थी।

क्या नॉर्थ कोरिया खुद की बातें छिपाता है ?

  • नॉर्थ कोरिया हमेशा से दुनिया से खुद की जुड़ी जानकारी छिपाता रहा है। उसने ये नहीं बताया कि 1990 के दशक में वहां पड़े भीषण अकाल में कितनी मौतें हुई थीं। कुछ रिपोर्ट्स के मुताबिक उस भीषण अकाल में नॉर्थ कोरिया में 20 लाख लोगों की जान गई थी। 2006-2007 के दौरान वहां फैले खसरा के दौरान भी उसने दुनिया को सही जानकारी नहीं दी थी।
  • यहां तक कि जब 12 मई को नॉर्थ कोरिया ने देश के पहले कोरोना केस की पुष्टि की तो ये भी नहीं बताया कि कितने लोगों में ये संक्रमण मिला है। उसने बस इतना कहा कि 8 मई को बुखार से पीड़ित कुछ लोगों के सैंपल्स लिए गए थे, जिनमें संक्रामक ओमिक्रॉन वैरिएंट मिला है। यही वजह है कि कई एक्सपर्ट्स का मानना है कि नॉर्थ कोरिया में कोरोना की स्थिति बहुत भयावह हो सकती है, जो कि दुनिया के लिए भी कतई अच्छा संदेश नहीं है।
India News Desk

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