Omicron Patients Vs Covid Patients : देश में कोरोना के कुल मरीजों में वेरिएंट ओमिक्रॉन से संक्रमितों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। अब तक देश में ओमिक्रॉन वेरिएंट के अनेक मामले मिल चुके हैं। डेल्टा वेरिएंट के मुकाबले 70 गुना ज्यादा संक्रामक इस वेरिएंट को लेकर चिंता पैदा हो गई है। यही वजह है कि इस नए वेरिएंट के फैलाव को रोकने के लिए स्वास्थ्य व्यवस्थाओं के स्तर पर अधिक निगरानी और सतर्कता बरती जा रही है। नए संक्रमण से बचाव के लिए दिल्ली ही नहीं देश के कई राज्यों में बने कोविड अस्पतालों में ओमिक्रॉन के मरीजों को कोविड मरीजों के लिए बने वार्ड से अलग रखा जा रहा है।
कई राज्यों में अलग से ओमिक्रॉन वार्ड बनाए गए हैं। ओमिक्रॉन के मरीजों को कोविड मरीजों से अलग रखे जाने को लेकर एक्सपर्ट का कहना है कि ओमिक्रॉन एक नया वेरिएंट है, वहीं इसके प्रसार को लेकर कहा जा रहा है कि यह अभी तक के सभी वेरिएंट के मुकाबले सबसे ज्यादा तेजी से फैलता है। यही वजह है कि इसको लेकर खास सावधानी बरती जा रही है। साथ ही इनकी निगरानी भी की जा रही है ताकि इस वेरिएंट के बारे में और जानकारी मिल सके। यह कितना गंभीर है और किस उम्र के लोगों में संक्रमण फैला रहा है यह भी पता लगाया जा रहा है।
ओमिक्रॉन के मरीजों को अलग रखने के पीछे यह भी एक वजह है कि यह देखा जा सके कि इनमें कौन से नए लक्षण हैं जो कोविड के अन्य म्यूटेंट से अलग हैं। साथ ही अगर इन्हें सभी के साथ रख दिया जाएगा तो चूंकि यह वेरिएंट ज्यादा संक्रामक है, ऐसे में इससे मरीजों को नहीं बल्कि मरीजों की देखभाल में लगे स्टाफ, परिजनों और संपर्क में आए अन्य किसी भी व्यक्ति को संक्रमण का खतरा है। इसलिए इन्हें अलग निगरानी में रखा जा रहा है। (Omicron Patients Vs Covid Patients)
अभी तक जो अस्पताल में देखा गया है उनमें 20 मरीजों में बहुत नामालुम लक्षण मिले हैं। लगभग सभी मरीज असिम्टोमैटिक या माइल्ड लक्षणों वाले हैं। इनमें हल्का बुखार, सरदर्द, बदनदर्द के अलावा कोई खास लक्षण नहीं मिला है। जबकि डेल्टा वेरिएंट के मरीजों में काफी गंभीर लक्षण देखे जा चुके हैं। इसके अलावा जो खास बात है वह यह है कि ये सभी मरीज 20 से 55 साल की उम्र के बीच के हैं। इनमें न तो कोई वरिष्ठ नागरिक है और न ही अभी तक कोई बच्चा शामिल है।
चिकित्सक बताते हैं कि ओमिक्रॉन को लेकर विशेष सतर्कता बरती जा रही है। जैसा कि साल 2020 में कोविड के आउटब्रेक के दौरान आइसोलेशन और सेपरेशन के साथ ही कॉन्टेक्ट ट्रेसिंग आदि की गई थी, वही चीजें ओमिक्रॉन के मरीजों को देखते हुए की जा रही हैं। जिन भी कोविड मरीजों में ओमिक्रॉन की पुष्टि हो रही है, उनके संपर्क में आए सभी लोगों की कोविड जांच की जा रही है, ताकि ओमिक्रॉन के संक्रमण को बढ़ने से रोका जा सके।
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