Omicron Vs Delta Variant Comparison
Omicron Vs Delta Variant Comparison नादानी पड़ेगी भारी, ओमिक्रॉन की आर वैल्यू डेल्टा से 8 गुणा ज्यादा खतरनाक
इंडिया न्यूज़, नई दिल्ली
Omicron Vs Delta Variant Comparison: दक्षिण अफ्रीका में मिले कोरोना के नए वैरिएंट (Delta Variant Of Coronavirus) की दुनियाभर में दहशत इस कद्र फैली है कि सभी देशों के वैज्ञानिक नए वैरिएंट का तोड़ ढूंढने में जुट गए हैं।
इससे पहले आए कोरोना के डेल्टा ने विश्वभर में लाखों जानों को लीलने का मंजरा अभी कोई भूला भी नहीं होगा। ऐसे में अब ओमिक्रॉन (Coronavirus Outbreak) के आने से दुनिया सहम सी गई है। क्योंकि यह वायरस डेल्टा से भी अधिक शक्तिशाली और तेज म्यूटेशंस की क्षमता वाला बताया जा रहा है।
डेल्टा भारत तो ओमिक्रॉन दक्षिण अफ्रीका की देन (Omicron Vs Delta Variant Comparison)
कोरोना का नया स्वरूप भारत में अक्टूबर 2020 में पाया गया था। जिसके बाद भारत ही नहीं बल्कि कई देशों में इसने कहर ढाया। वहीं कोरोना का नवीनतम वैरिएंट दक्षिण अफ्रीका में मिला है। जो कि डेल्टा से ज्यादा घातक बताया जा रहा है।
लेकिन वैज्ञानिक मानते हैं कि डेल्टा ही कोरोना का अभी तक का सबसे शक्तिशाली वैरिएंट (Omicron Vs Delta Variant Comparison) है जो कि दुनिया के 163 देशों को प्रभावित कर चुका है। वहीं दक्षिण अफ्रीका में 24 नवंबर को मिला ओमिक्रॉन इस लिए घातक बताया जा रहा है कि यह महज एक सप्ताह में ही 24 देशों में पैर पसार चुका है।
ऐसे में साफ जाहिर है कि जिस प्रकार ओमिक्रॉन (COVID New Variant Omicron) दुनिया में फैल रहा है उस हिसाब से यह विश्व के लिए खतरा बन सकता है। क्योंकि ओमिक्रॉन में डेल्टा से अधिक म्यूटेशन हैं, जिसके कारण यह तेजी से फैलता जा रहा है।
म्यूटेशन में भी डेल्टा को छोड़ा पीछे
Omicron Covid variant: शुरूआती रिपोर्ट्स के मुताबिक वैज्ञानिकों का कहना है कि डेल्टा में आमतौर पर 18 म्यूटेशंस देखने को मिले थे। लेकिन दुनिया के लिए खतरा बनते जा रहे ओमिक्रॉन में तो अभी तक 50 म्यूटेशन हो चुके हैं, जिनमें से 30 म्यूटेशन तो उसके स्पाइक प्रोटीन में ही हुए हैं।
शोधकर्ताओं का कहना है कि ओमिक्रॉन के रिसेप्टर बाइंडिंग डोमेन में भी अभी तक 10 म्यूटेशन हो चुके हैं, जबकि डेल्टा वैरिएंट (New Covid Strain) में तो केवल 2 ही म्यूटेशन हुए थे। वैज्ञानिकों का कहना है कि बाइंडिंग डोमेन संक्रमण का वह भाग होता जो व्यक्ति के शरीर में पाए जाने वाले सेल के सबसे पहले संपर्क में आता है और व्यक्ति को अपनी चपेट में लेता है। वहीं कोरोना वायरस स्पाइक प्रोटीन के माध्यम से ही इंसान के शरीर में प्रवेश कर आगे के रास्ते खोलता है।
वायरस पर वैक्सीन का कितना असर
शोधकर्ताओं का कहना है कि अभी तक के आए वायरस पर कोविशील्ड ने बेहतर असर दिखाया है। वैज्ञानिकों का कहना है कि बेशक कोरोना का डेल्टा वैरिएंट घातक रहा हो लेकिन कोविशील्ड ने जनता की शील्ड की तहर रक्षा की है।
क्योंकि कोविशील्ड की एफीकेसी का अनुपात देखें तो यह 63 प्रतिशत तक दर्ज की गई है। लेकिन यह दवा ओमिक्रॉन पर कितनी कारगर साबित होगी इस पर रिसर्च चल रही है। क्योंकि ओमिक्रॉन के स्पाइक प्रोटीन में 30 से अधिक म्यूटेशन हो चुके हैं ऐसे में कहना मुश्किल होगा कि वैक्सीन ओमिक्रॉन पर असरदार होगी या नहीं।
खलनायक ओमिक्रॉन में आर वैल्यू सबसे अधिक
किसी भी बीमारी के खतरनाक होने का पता उसकी चपेट में आने वाले लोगों से ही लगता है। इसका पता किसी भी वायरस की रिप्रोडक्टिव रेट से पता चलता है। जैसे कि कोरोना का शुरूआती स्वरूप का आर-वैल्यू 2 से 3 था। वहीं डेल्टा का 6 से 7 तक ही था।
वहीं ओमिक्रॉन ने इन दोनों को पीछे छोड़ दिया है।क्योंकि ओमिक्रॉन का रिप्रोडक्टिव रेट 35 से 45 का है। ऐसे में जाहिर सी बात है कि यह वायरस अगर किसी एक बस में बैठ जाए तो पूरी बस ही ओमिक्रॉन की चपेट में आ जाएगी।
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