India News (इंडिया न्यूज), Rashid Hashmi, Pakistan News: पाकिस्तान में चुनाव की तारीख़ आ चुकी है, जनवरी में इलेक्शन है, लेकिन उससे पहले विश्व बैंक की चेतावनी ने पूरे पाकिस्तान को डरा दिया है। वर्ल्ड बैंक ने कहा है कि पिछले एक साल में 1.25 करोड़ से ज़्यादा पाकिस्तानी ग़रीबी रेखा से नीचे आ गए हैं और अब देश की लगभग 40% आबादी अपनी बुनियादी ज़रूरतों को पूरा करने के लिए संघर्ष कर रही है। 23 करोड़ 14 लाख की आबादी वाले पाकिस्तान को लेकर वर्ल्ड बैंक का कहना है कि क़रीब 9.5 करोड़ पाकिस्तानी अब ग़रीबी में गुज़र बसर करने के लिए मजबूर हैं। दक्षिण एशिया के संदर्भ में भी पाकिस्तान को लेकर विश्व बैंक ने आगाह किया है। पाकिस्तान में दक्षिण एशिया में प्रति व्यक्ति आय सबसे कम है। दुनिया में स्कूल न जाने वाले बच्चों की तादाद पाकिस्तान में सबसे अधिक है।
विश्व बैंक ने कहा कि साल 2000 और 2020 के बीच पाकिस्तान की औसत वास्तविक प्रति व्यक्ति विकास दर सिर्फ 1.7% थी – जो दक्षिण एशियाई देशों की औसत प्रति व्यक्ति विकास दर (4%) के आधे से भी कम है। पाकिस्तान एक ऐसा मुल्क जो अस्तित्व के साढ़े सात दशक में अब भी रेंग रहा है। जिन्ना के मुल्क को चलाने वाले तीन ‘A’, 76 सालों से पाकिस्तान की राजनीति को प्रभावित कर रहे हैं। तीन A यानि- अल्लाह, आर्मी और अमेरिका। पाकिस्तान की सियासत का क़ातिल मज़हब की दख़ल अंदाज़ी है। जिन्नालैंड के पूर्व राष्ट्रपति ज़िया-उल-हक़ ने एक इंटरव्यू में कहा था, “इस्लाम को पाकिस्तान से बाहर ले जाओ और इसे एक धर्मनिरपेक्ष राज्य बनाओ, ये ढह जाएगा।” पाकिस्तान को मज़हबी कट्टरपंथ ने मारा, इसी कट्टरपंथ ने भस्मासुर आतंकी पैदा किए, नतीजा कंगाल पाकिस्तान बुरा हाल है, आधी आबादी ग़रीब है और विश्व बैंक ने भयानक चेतावनी जारी कर दी है।
पाकिस्तान का बंटाधार यहां राज करने वाले तथाकथित जम्हूरी राष्ट्राध्यक्ष या फौजी शासकों ने किया। पाकिस्तान के 30 प्रधानमंत्री में से कोई भी अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सका। लियाक़त अली ख़ान ने 50 महीना 2 दिन, ख़्वाजा नज़ीमुद्दीन ने 24 महीने, मोहम्मद अली बोगरा ने 27 महीने, चौधरी मोहम्मद अली ने 13 महीने, हुसैन शहीद सुहरावर्दी ने 13 महीने पाकिस्तान पर राज किया। फेहरिस्त लंबी है- इब्राहीम इस्माइल, फ़िरोज़ ख़ान, अय्यूब ख़ान, नूरुल अमीन, ज़ुल्फिकार अली भुट्टो, ख़ान जुनेजो, बेनज़ीर भुट्टो, ग़ुलाम मुस्तफ़ा, नवाज़ शरीफ़, शेर मज़ारी, मोइन कुरेशी, मलिक मेराज, ज़फरुल्लाह ख़ान जमाली, चौधरी शुजात हुसैन, शौक़त अज़ीज़, मुहम्मद मियां सूम्रो, यूसुफ रज़ा गिलानी, राजा परवेज़ अशरफ़, मीर हज़ार ख़ान खोसो, शाहिद ख़कान अब्बासी, नासिर-उल-मुल्क, इमरान ख़ान, शहबाज़ शरीफ़- ये वो नाम हैं जो पाकिस्तान के वज़ीर-ए-आज़म रहे, लेकिन पाकिस्तान की तक़दीर नहीं बदल सके।
पाकिस्तान दिवालिया है, क्रिकेट की ख़बर इसका सबूत है। वर्ल्ड कप शुरू होने में बस चंद दिन बाक़ी हैं। दुनिया भर की टीमें तैयारियों को अमलीजामा पहनाने में जुटी हैं, लेकिन 1992 की वर्ल्ड चैंपियन पाकिस्तान टीम एक बार फिर ग़लत वजह से सुर्ख़ियों में है। पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड और प्लेयर्स के बीच सेंट्रल कॉन्ट्रैक्ट को लेकर पांच महीने से चला आ रहा विवाद अब गंभीर हो चुका है। प्लेयर्स को चार महीने से सैलरी नहीं मिली है। अब ख़बर है कि खिलाड़ियों ने PCB को साफ़ कह दिया है कि अगर वर्ल्ड कप शुरू होने से पहले ये मामला नहीं सुलझाया गया तो वो टीम स्पॉन्सर का लोगो नहीं पहनेंगे और न ही वर्ल्ड कप के किसी प्रमोशनल इवेंट में हिस्सा लेंगे। ज़रा सोचिए पाकिस्तानी क्रिकेटर्स को 4 महीने से तनख़्वाह तक नसीब नहीं हुई।
जिन्ना का मुल्क अब तक के सबसे बुरे दौर से गुज़र रहा है। पाकिस्तान में महीनों से चली आ रही आर्थिक बदहाली को दूर करने के लिए वहां की फ़ौज ने जो फैसला किया, उसकी पूरी दुनिया में खिल्ली उड़ रही है। सेना ने अपने जवानों को टैंकों से उतारकर ट्रैक्टर पर चढ़ाने की तैयारी कर ली है। दरअसल, पाकिस्तानी सेना ने 10 लाख एकड़ से ज़्यादा खेती की ज़मीन पर क़ब्ज़ा किया है। अब इसी ज़मीन पर पाकिस्तानी सेना खेती करने जा रही है। पाकिस्तानी फ़ौज ग़रीबी से जूझ रही जनता के लिए भोजन का इंतज़ाम करना चाहती है। इसलिए सरकारी स्वामित्व वाली ज़मीन के बड़े हिस्से पर क़ब्ज़ा कर रही है। योजना के मुताबिक़, सेना पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में 10 लाख एकड़ (405,000 हेक्टेयर) ज़मीन का अधिग्रहण करेगी। सोच कर हैरत होती है कि एक मुल्क की आर्मी खेती के काम में उतर जाए। जनरल आसिम मुनीर के फैसले से पूरी दुनिया हैरान और वहां की आवाम हलकान है।
इधर सऊदी अरब ने भी पाकिस्तान को ज़ोर का झटका दे दिया है। सऊदी अरब ने हज यात्रा कराने वाली पाकिस्तानी कंपनियों की तादाद में भारी कटौती करने का फैसला लिया है। सऊदी अरब सरकार ने पाकिस्तान की केवल 46 कंपनियों को हज संचालन करने की इजाज़त दी है। अब तक पाकिस्तान की 905 कंपनियां हज संचालन करती थीं, अब केवल 46 कंपनियां ही हज संचालन कर सकेंगी। जिन्नालैंड का जनाज़ा निकल रहा है, आवाम मजबूर है। जिन्ना का मुल्क़ इस वक़्त सियासी और आर्थिक संकट से गुज़र रहा है। महंगाई रिकॉर्ड 39 फीसदी पर पहुंच चुकी है, जो 50 साल के रिकॉर्ड स्तर पर है। पाकिस्तान में महंगाई से लोगों का बुरा हाल है, खासकर बलूचिस्तान में खाने पीने की चीज़ों के दाम आसमान पर हैं।
बलूचिस्तान की राजधानी क्वेटा में चीनी 130 रुपये (पाकिस्तानी रुपये) से लेकर 200 रुपये प्रतिकिलो बिक रही है। आटा का 20 किलोग्राम का पैकेट 2600 रुपये से लेकर 4000 रुपये में बेचा जा रहा है। तुलना करें तो भारत में 20 किलो आटा का पैकेट लगभग 700 रुपये में है, यानि पाकिस्तान में लगभग 6 गुना महंगा आटा मिल रहा है। मेरा मानना है कि जिन्ना का देश गंभीर आर्थिक और मानव विकास संकट का सामना कर रहा है, और एक ऐसे मोड़ पर है जहां बड़े नीतिगत बदलाव की सख़्त ज़रूरत है।
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