India News (इंडिया न्यूज़), Rashid Hashmi,Pakistan News: पाकिस्तान में अब ‘केयरटेकर’ सरकार है, ‘केयरटेकर’ वज़ीर-ए-आज़म हैं, ‘केयरटेकर’ का वक़्त है। अजीब बात है ना, वो मुल्क जिसके आवाम की ‘केयर’ ना तो सरकार को है और ना ही सेना को, वहां केयरटेकर सरकार है। ‘केयरटेकर’ सरकार यानि अपंग पाकिस्तान में अब सब कुछ फ़ुलस्टॉप। शहबाज की सरकार का वक़्त ख़त्म हुआ, इमरान ख़ान जेल में हैं, 6 महीने में चुनाव होगा। लेकिन पाकिस्तान के मुस्तक़बिल (भविष्य) पर सवालिया निशान हैं। ट्रिपल-A (A-अमेरिका, A-अल्लाह, A- आर्मी) से चलने वाले जिन्नालैंड का जनाज़ा निकला हुआ है, फ़ौज ने फिर से कमर कसी है, अंदरखाने की ख़बर है कि सेना पर्दे के पीछे से नई सरकार बनाएगी।
अफ़सोस होता है देख कर, दो मुल्कों ने 76 साल पहले एक साथ सफ़र शुरू किया था और आज भी पाकिस्तान तबाही-बर्बादी के ICU से बाहर नहीं आ सका। भारत की तूफ़ानी तेज़ी से भाग रही अर्थव्यवस्था के आगे आज भी धूल फांक रहा है पाकिस्तान। पाकिस्तान की आर्थिक वृद्धि घट कर 0.29 फ़ीसदी ही रह गई है जबकि भारत की जीडीपी ग्रोथ रेट 7.2 प्रतिशत के ऊपर जा चुकी है। आबादी के मामले में पाकिस्तान दुनिया का 5वां सबसे बड़ा देश है, लेकिन पाकिस्तान में लोगों के पास रोज़गार के नाम पर कुछ नहीं बचा। पाकिस्तान की आबादी 24 करोड़ से ज़्यादा हो चुकी है, लेकिन अर्थव्यवस्था 340 अरब डॉलर की है। भारत के सकल घरेलू उत्पाद यानि GDP की वैल्यू लगभग 3.5 ट्रिलियन डॉलर है, जबकि पाताल में पहुंच चुका जिन्नालैंड GDP की 42वीं रैंकिंग पर पहुंच चुका हैं।
ये तो बात हुई पाकिस्तान के भूत और भविष्य की। अब वर्तमान पर आते हैं। इमरान ख़ान जेल में हैं, नवाज़ शरीफ़ वापस आने वाले हैं। पाकिस्तान के फ़ौजी जनरल असीम मुनीर आस्तीन ख़ीच कर उठा चुके हैं। शहबाज़ शरीफ़ ख़ुद स्वीकार कर चुके हैं कि पाकिस्तान की कोई सरकार शक्तिशाली सेना के समर्थन के बिना नहीं चल सकती। पाकिस्तान बने 76 साल हो गए, अस्तित्व के 8 दशक में ज़्यादातर सैन्य शासन रहा, बाक़ी बचे वक़्त में फ़ौज ने पाकिस्तान की सियासत को कंट्रोल करने का काम किया। याद कीजिए इमरान-बाजवा की अदावत, याद कीजिए नवाज़-मुशर्रफ के बीच की तल्ख़ी, याद कीजिए ज़िया-ज़ुल्फ़िकार की दुश्मनी। अंदर की ख़बर तो ये भी है कि पाकिस्तानी सेना ने अमेरिका के साथ मिल कर इमरान ख़ान को ठिकाने लगा दिया। याद है ना, कैसे इमरान एक काग़ज़ लहराते फिर रहे थे, कहते नहीं थकते थे कि अमेरिका ने उनके ख़िलाफ़ साज़िश की। जबकि सच ये है कि असली षड्यंत्र जनरल आसिम मुनीर के नेतृत्व में पाकिस्तानी सेना ने रचा।
पाकिस्तान एक कृत्रिम मुल्क़ है, जिसे अंग्रेज़ों ने कृत्रिम तरीक़े से बनाया था, जिसका आधार ‘दो राष्ट्रों’ का एक फर्ज़ी सिद्धांत था। यही वजह है कि आज पाकिस्तान में अलगाववाद की आग है, बाग़ी कामयाब हुए तो जिन्नालैंड का टुकड़े-टुकड़े होना तय है। बलूच मुद्दे ने नाक में दम कर रखा है, सिंध प्रांत वाले अलग सिंधु देश की मांग कर रहे हैं, गिलगित-बाल्टिस्तान वाले ‘बलवारिस्तान’ की मांग कर रहे हैं, पश्तून कहते हैं कि अफ़ग़ानिस्तान हमारा है (अगर यही हाल रहा तो ख़ैबर पख़्तूनख़्वा को अफ़ग़ानिस्तान में मिलते देर नहीं लगेगी)। पाकिस्तान में अलगाववाद की आग के और भी कई क़िस्से और चेहरे हैं। भारत-पाकिस्तान विभाजन के तुरंत बाद आए मुसलमानों को मुहाजिर कह कर हिकारत की नज़र से देखा गया, जिनकी मांग है अलग मुहाजिर सूबा।
पाकिस्तान के हालात ने एक बार फिर सेना को फ्रंटफुट पर लाकर खड़ा कर दिया है। फौज को पता है कि चुनाव पर कब्ज़ा जमा कर बैठना है तो कश्मीर राग भी अलापना पड़ेगा। नतीजा, पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर ने कश्मीर के नाम पर ज़हर उगला, कहा कि भारत शांति नहीं चाहता। पाकिस्तान में सोमवार (14 अगस्त) को स्वतंत्रता दिवस मनाया गया। पाकिस्तानी सेना प्रमुख ने जनता को संबोधित किया और फिर भारत से लेकर कश्मीर तक पर ज़हर उगला। इतिहास गवाह है कि जिन्नालैंड में जब जब फौजी शासन रहा, तब-तब भारत के ख़िलाफ़ साज़िश बढ़ी, लिहाज़ा अगले कुछ महीने सजग, सचेत, सावधान रहने की ज़रूरत है। पाकिस्तान में केयरटेकर यानि कठपुतली सरकार है, फ़ौज ने पांव पसार दिए हैं, फौजी चीफ ने जहर उगला है। मतलब साफ़ है कि एक बार फिर पड़ोसी की नीयत खराब है।
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