डा रविंद्र मलिक, चंडीगढ़।
Panjab University Issue : हरियाणा और पंजाब में इन दिनों राजधानी चंडीगढ़ को लेकर घमासान जारी है। चंडीगढ़ के अलावा भी दो अन्य ऐसे मुद्दे हैं जिनको लेकर हरियाणा निरंतर पंजाब पर हमलावर है। हरियाणा का कहना है कि चंडीगढ़ पर राजधानी को लेकर बात बाद में की जाएगी, इससे पहले पंजाब हमें एसवाईएल में हमारे हिस्से का पानी और 400 हिंदी भाषी गांव दे।
इसके अलावा कई अन्य पहलुओं जैसे कि चंडीगढ़ में डेपुटेशन पर दोनों राज्यों से आने वाले कर्मचारियों के अलावा और भी एक महत्वपूर्ण मुद्दा है जो एक बार फिर से चर्चा में वह है। पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़ में हरियाणा की हिस्सेदारी। हरियाणा और पंजाब अलग राज्य के रूप में अस्तित्व में आने के बाद दोनों राज्यों की पंजाब यूनिवर्सिटी में बराबर प्रेजेंटेशन थी। Panjab University Issue
इसके एवज में दोनों को एक निर्धारित राशि पंजाब यूनिवर्सिटी को देनी थी लेकिन कुछ समय बाद हरियाणा ने को पंजाब विश्वविद्यालय से अलग कर लिया और अपने हिस्से की राशि देनी बंद कर दी। लेकिन अब दोबारा से हरियाणा ने साफ कर दिया है कि वो पंजाब यूनिवर्सिटी में अपने हिस्सेदारी लेकर रहेगा। वहीं ये भी बता दें कि पूर्व में पंजाब इस मामले पर हरियाणा के खिलाफ रहा है।
वहीं दूसरी तरफ यह भी सामने आया है कि पंजाब यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर प्रोफेसर राजकुमार भी हरियाणा की हिस्सेदारी को लेकर कुछ हद तक सकारात्मक और सहमत नजर आ रहे हैं। हरियाणा सीएम के अनुसार मामले को लेकर उन्होंने भी इस राय पर अपनी सहमति रखी है कि हरियाणा की भी रिप्रेजेंटेशन हो। हालांकि पहले भी हरियाणा के अधिकारियों की पंजाब यूनिवर्सिटी के पूर्व वाइस चांसलर के साथ मामले पर बातचीत या बैठक होती रही है, लेकिन किसी पुख्ता समाधान पर अभी तक नहीं पहुंचा जा सका।
हरियाणा के अस्तित्व में आने के बाद कई साल तक हरियाणा के कॉलेज पंजाब यूनिवर्सिटी से एफिलिएटेड रहे लेकिन एक वाक्यात ऐसा घटित हुआ जिसके चलते हरियाणा सरकार ने पंजाब यूनिवर्सिटी से अपना वास्ता तोड़ दिया। बात दिसंबर 1973 की है जब पंजाब में किसी कार्यक्रम का आयोजन था।
उस वक्त हरियाणा के मुख्यमंत्री चौधरी बंसीलाल थे कार्यक्रम के दौरान पंजाब के मुख्यमंत्री को स्टेज पर जगह दी गई लेकिन हरियाणा के मुख्यमंत्री चौधरी बंसीलाल को सामने वाली पंक्ति में बैठा दिया गया। इस बात ने उनको काफी आहत किया और यह बात नहीं गवारा नहीं लगी, फिर वो वहां से निकल गए। अधिकारियों से लंबी बैठक के बाद फैसला लिया कि हरियाणा के कॉलेज पंजाबी एसपी से एफिलेटेड नहीं रहेंगे और इसके बाद कुरुक्षेत्र गोष्टी फुल फ्लैज यूनिवर्सिटी के रूप में अस्तित्व में आई
पीयू की स्थापना 1882 में (लाहौर में) हुई थी और 1956 में इसे चंडीगढ़ स्थानांतरित कर दिया गया था। 1966 में, इसे पुनर्गठन अधिनियम के तहत एक ‘अंतरराज्यीय निकाय कॉपोर्रेशन’ घोषित किया गया था, जो देश में अपने आप में बेहद जुदा स्थिति है। हिमाचल और हरियाणा द्वारा अपना हिस्सा वापस लेने के बाद, यह निर्णय लिया गया कि विश्वविद्यालय के रखरखाव घाटे को केंद्र और पंजाब द्वारा 60:40 के अनुपात में साझा किया जाएगा।
पिछले कुछ वर्षों में पंजाब का हिस्सा लगभग 10 प्रतिशत तक सिमट कर रह गया है। यह बता दें कि पंजाब पुनर्गठन एक्ट 1966 की धारा 72 की धारा के अनुसार पंजाब हरियाणा, हिमाचल और पंजाब के लिए अनुदान के रूप में 20-20 फीसद राशि देते थे तो वही कुल खर्च की बाकी बची हुई 40 फीसद राशि यूटी चंडीगढ़ प्रशासन के द्वारा वहन की जाती थी। रखरखाव संबंधित अनुदान की कमी का भुगतान किया जाता था। बाद में हरियाणा और हिमाचल के पंजाब विश्वविद्यालय से अलग हो जाने के बाद पंजाब सरकार एक निश्चित निर्धारित राशि पंजाब विश्वविद्यालय को दे रही है।
ऐसा नहीं है कि पंजाब यूनिवर्सिटी में हरियाणा की हिस्सेदारी या रिप्रेजेंटेशन को लेकर मामला पहली बार उठा है। इससे पहले भी हरियाणा सरकार के प्रयास जारी है कि कैसे अंबाला पंचकूला यमुनानगर के कॉलेज को पंजाब स्टेट से जोड़ा जाए ताकि यहां के छात्रों को भी पंजाब यूनिवर्सिटी जैसे बड़े संस्थान में पढ़ने का फायदा मिल सके।
हरियाणा की स्पीकर ज्ञान चंद गुप्ता निरंतर मामले को लेकर एक्टिव रहे हैं तो वहीं हरियाणा के सीएम भी 2018 में केंद्र सरकार को इस बारे लेटर लिख चुके हैं लेकिन स्थिति ज्यों की त्यों रही। बाद में मामला हाईकोर्ट में गया था जहां हरियाणा सरकार ने उस वक्त पंजाब यूनिवर्सिटी को बतौर अनुदान 20 करोड़ की निर्धारित राशि देने की बात कही थी। मामले को लेकर पंजाब ने हरियाणा का विरोध किया था।
पंजाब यूनिवर्सिटी में हरियाणा की रिप्रेजेंटेशन को लेकर पंजाब यूनिवर्सिटी प्रशासन से हमारी बातचीत हुई है। इसके अलावा पंजाब यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर को भी इस बात से कोई आपत्ति नहीं है कि हरियाणा के कुछ जिलों के कॉलेजों को पंजाब यूनिवर्सिटी से जोड़ा जाए या हरियाणा का इसमें कुछ हिस्सा हो। वही इसको लेकर फैसला केंद्र सरकार को करना है। आर्थिक पहलू की बात करें तो एक निर्धारित राशि हरियाणा की तरफ से पंजाब यूनिवर्सिटी को दी जाएगी। मनोहर लाल, मुख्यमंत्री।
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