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Patanjali Misleading Ads: माफीनामा के बावजूद पतंजलि टीम को सुप्रीम कोर्ट ने फिर लगाई फटकार, जानें क्या कहा-Indianews

Shubham Pathak • LAST UPDATED : July 22, 2024, 8:59 pm IST

India News(इंडिया न्यूज),Patanjali Misleading Ads: भ्रामक विज्ञापन मामले में आज सुप्रीम कोर्ट में पेशी के दौरान सुप्रीम कोर्ट का पतंजलि टीम को लेकर सख्त रवैया पतंजलि के लिए नुकसान दायक साबित हो सकता है। जहां भ्रामक विज्ञापनों पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान पतंजलि आयुर्वेद ने कहा कि उसने 67 अखबारों में माफीनामा प्रकाशित किया है, जिसमें कहा गया है कि वह अदालत का पूरा सम्मान करता है और उनकी गलतियों को दोहराया नहीं जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि क्या पतंजलि द्वारा अखबारों में दी गई माफी का आकार उसके उत्पादों के पूरे पेज के विज्ञापनों के समान था। बता दें कि, बाबा रामदेव और उनके सहयोगी आचार्य बालकृष्ण व्यक्तिगत रूप से अदालत में उपस्थित थे।

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पतंजलि का दावा

विज्ञापन में, पतंजलि ने “हमारे अधिवक्ताओं द्वारा शीर्ष अदालत में बयान देने के बाद भी विज्ञापन प्रकाशित करने और प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित करने की गलती” के लिए माफी मांगी। पतंजलि ने सुप्रीम कोर्ट में दावा किया कि विज्ञापन की कीमत 10 लाख रुपये है। वहीं इस मामले में जस्टिस हिमा कोहली और अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ ने पूछा कि सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई से ठीक पहले एक हफ्ते बाद माफी क्यों दाखिल की गई। “क्या माफ़ी का आकार आपके विज्ञापनों के समान है?

अदालत का आदेश

वहीं इस मामले में अदालत ने पतंजलि को विज्ञापनों का मिलान कर पीठ के समक्ष पेश करने का आदेश दिया। जहां अदालच ने कहा कि, “उन्हें बड़ा न करें और हमें आपूर्ति न करें। हम वास्तविक आकार देखना चाहते हैं… हम यह देखना चाहते हैं कि जब आप कोई विज्ञापन जारी करते हैं तो इसका मतलब यह नहीं है कि हमें इसे माइक्रोस्कोप से देखना होगा।

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अदालत ने लगाई फटकार

वहीं सुप्रीम कोर्ट ने पतंजलि की टीम को फटकार लगाते हुए कहा कि, “उन्हें बड़ा न करें और हमें आपूर्ति न करें। हम वास्तविक आकार देखना चाहते हैं… हम यह देखना चाहते हैं कि जब आप कोई विज्ञापन जारी करते हैं तो इसका मतलब यह नहीं है कि हमें इसे माइक्रोस्कोप से देखना होगा। इसका मतलब यह नहीं है कागजों पर लेकिन पढ़ें भी।

जनता को धोखा दे रहे है- सुप्रीम कोर्ट

इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि, अन्य एफएमसीजी भी भ्रामक विज्ञापन प्रकाशित कर रहे हैं और जनता को धोखा दे रहे हैं। न्यायमूर्ति कोहली ने कहा, “यह, विशेष रूप से, शिशुओं, स्कूल जाने वाले बच्चों और वरिष्ठ नागरिकों के स्वास्थ्य को प्रभावित कर रहा है… जो उनके उत्पादों का उपभोग कर रहे हैं। अदालत ने आगे कहा कि ड्रग्स एंड मैजिक रेमेडीज़ एक्ट के दुरुपयोग को रोकने के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदमों की जांच करने के लिए मामले में उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय को शामिल करना आवश्यक था।

 

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