इंडिया न्यूज, चंड़ीगढ़ :
PM Modi’s Security बीते कल यानि (बुधवार) को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पंजाब दौरे पर थे, जहां सड़क पर प्रदर्शन कर रहे किसानों की वजह से उन्हें 15-20 मिनट तक जाम में फंसे रहना पड़ा। बताया जा रहा है कि पंजाब में फिरोजपुर जिले के मुदकी के पास नेशनल हाईवे पर कुछ प्रदर्शनकारियों ने प्रधानमंत्री मोदी का रास्ता तक रोक लिया। इसके बाद एक फ्लाई ओवर पर बारिश के बीच प्रधानमंत्री का काफिला 20 मिनट तक रुका रहा।
इसे पीएम सुरक्षा में चूक माना जा रहा है और राजनीतिक दलों में भी आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है। अब गृह मंत्रालय ने पंजाब पुलिस पर लापरवाही का आरोप लगाया है। इसके बाद प्रधानमंत्री मोदी की सुरक्षा को लेकर कई तरह के सवाल उठ रहे हैं। जैसे कि प्रधानमंत्री मोदी की सुरक्षा की जिम्मेदारी किसकी है, दौरे का प्रोटोकॉल क्या होता।
देश के पीएम की सुरक्षा की जिम्मेदारी स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप, यानी एसपीजी की होती है। पीएम के चारों ओर पहला सुरक्षा घेरा एसपीजी जवानों का ही होता है। पीएम की सुरक्षा में लगे इन जवानों को अमेरिका की सीक्रेट सर्विस की गाइडलाइंस के मुताबिक ट्रेनिंग दी जाती है। इनके पास एमएनएफ-2000 असॉल्ट राइफल, आॅटोमेटिक गन और 17 एम रिवॉल्वर जैसे मॉडर्न हथियार होते हैं। (PM Modi’s Security)
किसी राज्य में पीएम के दौरे के समय चार एजेंसियां सुरक्षा व्यवस्था देखती हैं। एसपीजी, एएसएल, राज्य पुलिस और स्थानीय प्रशासन। एडवांस सिक्योरिटी संपर्क टीम (एएसएल) पीएम दौरे से जुड़ी हर जानकारी से अपडेट होती है। एएसएल टीम केंद्रीय सुरक्षा एजेंसियों के अधिकारी के संपर्क में होती है। केंद्रीय एजेंसियों के अधिकारी एएसएल की मदद प्रधानमंत्री के दौरे की निगरानी रखते हैं। (PM Modi’s Security)
वहीं स्थानीय पुलिस पीएम के दौरे के समय रूट से लेकर कार्यक्रम स्थल की सुरक्षा संबंधी नियम तय करती है। आखिरकार पुलिस के निर्णय की निगरानी एसपीजी अधिकारी ही करते हैं। केंद्रीय एजेंसी एएसएल प्रधानमंत्री के कार्यक्रम स्थल और रूट की सुरक्षा जांच करता है। इसके साथ ही एसपीजी प्रधानमंत्री के करीब आने वाले लोगों की तलाशी और प्रधानमंत्री के आसपास की सुरक्षा को देखता है। स्थानीय प्रशासन पुलिस के साथ मिलकर काम करते हैं।
ऐसा नहीं है। पीएम को सुरक्षा देने की पहली जिम्मेदारी भले ही एसपीजी की हो, लेकिन किसी राज्य के दौरे के समय स्थानीय पुलिस और सिविल प्रशासन भी सुरक्षा के लिए जिम्मेदार होता है। प्रधानमंत्री के रूट को तय कर उसकी जांच और उस रूट पर सुरक्षा देने का काम स्थानीय पुलिस और प्रशासन का होता है। (PM Modi’s Security)
प्रधानमंत्री के काफिले का नेतृत्व करने की जिम्मेदारी उस राज्य के डीजीपी की भी होती है। उनके नहीं मौजूद होने की स्थिति में दूसरे सबसे सीनियर अधिकारी प्रधानमंत्री के काफिले के साथ चलते हैं।
प्रधानमंत्री किसी कार्यक्रम में हेलिकॉप्टर के जरिए जा रहे हैं तो किसी खास परिस्थिति के लिए कम से कम एक वैकल्पिक सड़क मार्ग तैयार रखने का नियम होता है। इस रास्ते पर सुरक्षा व्यवस्था की जांच सीनियर पुलिस अधिकारी पीएम के दौरे से पहले करते हैं। इस रास्ते पर सुरक्षा जांच रिहर्सल के समय एसपीजी स्थानीय पुलिस, खुफिया ब्यूरो और एएसएल टीम के अधिकारी सभी शामिल होते हैं। (PM Modi’s Security)
एक जैमर वाली गाड़ी काफिले के साथ चलती है। ये सड़क के दोनों ओर 100 मीटर दूरी तक किसी भी रेडियो कंट्रोल या रिमोट कंट्रोल डिवाइस के को जाम कर देते हैं, इससे रिमोट से चलने वाले बम या आईईडी में विस्फोट नहीं होने देता।
दरअसल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सुरक्षा पर रोजाना एक करोड़ 62 लाख रुपए खर्च होते हैं। यह जानकारी 2020 में संसद में दिए एक प्रश्न के लिखित जवाब में केंद्रीय गृह राज्यमंत्री ने दी थी। उन्होंने लोकसभा में बताया कि स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप, यानी एसपीजी सिर्फ प्रधानमंत्री को ही सुरक्षा देता है।
आपको बता दें कि साल 1981 से पहले भारत के प्रधानमंत्री के आवास की सुरक्षा की जिम्मेदारी दिल्ली पुलिस के उपायुक्त की होती थी। इसके बाद सुरक्षा के लिए एसपीजी का गठन किया गया। 1984 में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद एक कमेटी बनी और 1985 में एक खास स्पेशल प्रोटेक्शन यूनिट बनाई गई। तब से इसी के पास प्रधानमंत्री की सुरक्षा का जिम्मा है।
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