इंडिया न्यूज़ (गाँधीनगर):प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज साबरकांठा जिले के गढोड़ा में साबर डेयरी प्लांट के निकट 600 करोड़ रुपए की लागत से निर्मित होने वाले दैनिक 30 मीट्रिक टन क्षमता वाले चीज प्लांट का शिलान्यास और भूमिपूजन किया। इसके अतिरिक्त उन्होंने 125 करोड़ रुपए के लागत से निर्मित दैनिक 3 लाख लीटर क्षमता के अल्ट्रा हाई ट्रीटमेंट (UHT) टेट्रा पैक प्लांट तथा 305 करोड़ रुपए के लागत से बने दैनिक 120 टन क्षमता के पाउडर प्लांट का लोकार्पण भी किया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री श्री भूपेंद्र पटेल भी विशेष रूप से उपस्थित रहे। प्रधानमंत्री ने साबरकांठा के गढोड़ा में साबर डेयरी परिसर का दौरा भी किया.
इस कार्यक्रम में प्रधानमंत्री ने कहा कि राज्य और राष्ट्र के विकास में डेयरी व्यवसाय का विशेष महत्व है। गुजरात सहकारिता और संस्कार के समन्वय का प्रतीक है। गुजरात सहकारी गतिविधियों में हमेशा से ही अग्रसर रहा है। राज्य का डेयरी बाजार आज 1 लाख करोड़ रुपए पर पहुंच गया है। तत्कालीन समय में हमने दूध संग्रह केंद्रों में दूध जमा करवाने पर उसकी रकम सीधे महिलाओं को देने का निर्णय किया था,जिसका सीधा लाभ महिलाओं को मिला है और उनका सशक्तिकरण हुआ है.
साबरकांठा जिले में किए परिभ्रमण का उल्लेख करते हुए श्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि इस जिले से जुड़े संस्मरण आज भी जेहन में ताजा हैं। जिले के अग्रणियों और साथियों के साथ बिताए संस्मरणों को याद करते हुए उन्होंने कहा कि दो दशक पहले यहां की स्थिति अलग थी। राज्य और राष्ट्र के विकास में बिजली के महत्व का उल्लेख करते हुए श्री मोदी ने आगे कहा कि राज्य में 24 घंटे बिजली मुहैया कराने वाली ज्योति ग्राम योजना के चलते राज्य के लोगों के जीवन में बदलाव भी आया है। इसके साथ ही गांवों में मिल्क चिलिंग प्लांट कार्यान्वित हुए हैं, जिससे गांवों और पशुपालकों के जीवन में बड़ा और परिणामोन्मुखी बदलाव आया है.
श्री मोदी ने कहा कि केंद्र सरकार ने पिछले दो वर्षों में 3 करोड़ से अधिक किसानों को किसान क्रेडिट कार्य प्रदान किए हैं। सरकार खेती की लागत घटाने के लिए भी कार्यरत है। यूरिया खाद की कीमतों में बढ़ोतरी हुई है, लेकिन हमने किसानों पर उसका बोझ नहीं पड़ने दिया है। सरकार 3500 रुपए मूल्य पर यूरिया खरीदकर किसानों को मात्र 300 रुपए में प्रदान करती है। इसी तरह, डीएपी खाद की 50 किलो वाली बोरी पर सरकार 2500 रुपए का बोझ वहन करती है। इसका लाभ गुजरात के किसानों को भी मिलता है.
मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने इस अवसर पर कहा कि देश को ‘सहकार से समृद्धि’ का मार्ग बताने वाले प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा गुजरात की धरा पर साबरकांठा और अरावली के पशुपालकों की जीवनरेखा साबर डेयरी के 1030 करोड़ रुपए के विविध संयंत्रों का लोकार्पण और शिलान्यास दूध की धारा को अविरल रखने वाले प्रकल्प साबित होंगे। उन्होंने कहा कि साबरकांठा,अरावली और उत्तर गुजरात के लिए यह भेंट श्वेत क्रांति का अमृत काल बनेगी.
मुख्यमंत्री ने कहा कि गुजरात की गत दो दशकों की विकास यात्रा में सहकारी क्षेत्र का बड़ा योगदान रहा है। आजादी की क्रांति से श्वेत क्रांति तक गुजरात की विकास यात्रा अविरत रही है। गुजरात ने सहकारी दूध उत्पादन क्षेत्र से लेकर उद्योग, व्यापार और खेती सहित तमाम क्षेत्रों में विकास के नए परिमाण हासिल किए हैं।राज्य में दूध उत्पादकों की संख्या गत दो दशकों में 21 लाख से बढ़कर 36 लाख तक पहुंच गई है.
श्री पटेल ने कहा कि जिले के सहकारी अग्रणियों भूराभाई पटेल,गोपालभाई पटेल और अंबुभाई पटेल की दूरदर्शिता से 1964 में केवल 19 गांवों की दूध मंडलियों और 5100 लीटर दूध एकत्रीकरण से इस डेयरी की शुरुआत हुई थी। आज 1800 दूध मंडलियों से रोजाना 40 लाख लीटर दूध एकत्रित कर पशुपालकों को रोजाना 10 करोड़ रुपए का भुगतान करने वाली यह डेयरी विशाल वट वृक्ष बनी है। यह गर्व की बात है कि गुजरात से बाहर रोहतक में भी यह डेयरी का प्लांट कार्यरत है। इतना ही नहीं,साबर डेयरी राजस्थान, महाराष्ट्र, पंजाब, हरियाणा और आंध्र प्रदेश के पशुपालकों से भी दूध एकत्रित कर उन राज्यों के पशुपालकों को दूध की रकम का भुगतान करती है.
मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि आज खाद्य प्रसंस्करण के माध्यम से वैल्यू एडिशन का जमाना है। खेती, पशुपालन और दूध उत्पादन, इन तीनों क्षेत्रों को और भी समृद्ध बनाने कि लिए प्रधानमंत्री निरंतर हमारा मार्गदर्शन करते रहते हैं। ऐसे में, 305 करोड़ रुपए का पाउडर प्लांट, 125 करोड़ रुपए का टेट्रा पैक प्लांट और 605 करोड़ रुपए का चीज प्लांट वैल्यू एडिशन के क्षेत्र में साबर डेयरी की अनूठी पहल है। केवल दूध, दही या छाछ ही नहीं, बल्कि अन्य आवश्यक उत्पादनों के जरिए पशुपालकों और डेयरी, दोनों की आय में वृद्धि का यह दृष्टिकोण स्वागत योग्य है.
गुजरात प्रदेश भाजपा अध्यक्ष श्री सी.आर. पाटिल ने कहा कि दूध उत्पादन एक अलग व्यवसाय के रूप में उभरा है। साबरकांठा और बनासकांठा जिलों के विकास की नींव में दूध उत्पादक महिलाओं का योगदान अनोखा है। महिलाएं आज खेती के साथ पशुपालन व्यवसाय में भी अग्रसर बनी हैं और इसके चलते परिवारों में समृद्धि बढ़ी है.
साबर डेयरी के चेयरमैन शामळभाई पटेल ने स्वागत भाषण में कहा कि साबर डेयरी साबरकांठा और अरवल्ली जिले के किसानों की जीवनरेखा है। आज साबर डेयरी देश भर में जाना-पहचाना नाम बन गया है। इस डेयरी ने पिछले 58 वर्षों में उल्लेखनीय और अद्भुत कार्य किया है। इसके चलते यह डेयरी न केवल भारत में, बल्कि पूरी दुनिया की सबसे तेजी से विकसित होने वाली डेयरी बन गई है। यह डेयरी गत 58 वर्षों से दूध उत्पादकों को लाभकारी मूल्य देने और सरकार की योजनाओं को उन तक पहुंचाने के लिए कार्यरत है। डेयरी के साथ जुड़े पशुपालकों की संख्या वर्ष 2001-02 में 2,50,000 थी। वहीं, वर्ष 2021-22 में यह आंकड़ा बढ़कर 3,85,000 पशुपालकों तक पहुंच गया है। साबर डेयरी का वार्षिक टर्नओवर 2001-02 के 351 करोड़ रुपए के मुकाबले आज 6805 करोड़ रुपए तक पहुंच गया है। आज यहां दैनिक 33 लाख लीटर दूध का प्रसंस्करण किया जाता है। उन्होंने कहा कि डेयरी ने सुकन्या योजना कार्यान्वित की है और अब किसानों को प्राकृतिक खेती की दिशा में मोड़ने के लिए कटिबद्ध है.
इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने पशुपालक परिवारों की लाभार्थी बेटियों को ‘सुकन्या समृद्धि योजना’ के प्रमाण पत्र वितरित किए। डेयरी के मार्फत लगभग 20 हजार से अधिक बेटियों को इसका लाभ प्राप्त होगा। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने दूध उत्पादन क्षेत्र में श्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाली महिला पशुपालकों को प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया.
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