इंडिया न्यूज, नई दिल्ली:
Punjab Assembly Election 2022:पंजाब विधानसभा चुनाव 2022 में राजनीतिक दल अपनी-अपनी जीत को लेकर दावा कर रहे हैं, लेकिन हम यहां बात कर रहे हैं उन प्रवासी मजदूरों की जो चुनावी आंकड़ों को बना या बिगाड़ भी सकते हैं। आइए जानते हैं उत्तर प्रदेश और बिहार (Bihar UP) के प्रवासी मजदूरों ने पंजाब की अर्थव्यवस्था को कैसे बेहतर किया। इन मजदूरों को भइये क्यों कहा जाता है, पंजाब चुनाव में कितने अहम होंगे प्रवासी मजदूर।
(Who is called brother and why)1960 में हरित क्रांति के बाद से ही बिहार और उत्तर प्रदेश से बड़ी संख्या में प्रवासी रोजगार के लिए पंजाब जाते हैं। पंजाब की कृषि, इंडस्ट्री और सर्विस सेक्टर को आगे बढ़ाने में प्रवासियों ने काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। पूर्वांचल के लोग आपस में बात करते समय एक दूसरे को भइया कहकर संबोधित करते हैं। यही कारण है कि पंजाब के लोग भी वहां काम करने वाले उत्तर प्रदेश और बिहार के लोगों के लिए भइया शब्द का इस्तेमाल करने लगे। धीरे-धीरे ये शब्द पंजाब में प्रवासी मजदूरों की पहचान बन गई।
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(What is the participation of migrant laborers in the development of Punjab) प्रवासी मजदूरों की पंजाब के विकास में अहम भागीदारी है। जिसकी हकीकत लॉकडाउन में पता चली। कोरोना काल में लॉकडाउन के दौरान करीब 18 लाख प्रवासी मजदूरों ने घर लौटने के लिए पंजाब सरकार की वेबसाइट पर अप्लाई किया था। इनमें से 10 लाख उत्तर प्रदेश जबकि छह लाख बिहार जाने वाले थे। मजदूरों के पंजाब छोड़ने की वजह से इन तीनों ही सेक्टर पर बुरा प्रभाव पड़ा था। (Punjab Assembly Election 2022)
कृषि क्षेत्र: पंजाब में कृषि क्षेत्र में काम करने वाले खेत मजदूरों की संख्या करीब 15 लाख है। हर साल खेती के काम के लिए वहां अतिरिक्त छह लाख प्रवासी मजदूरों की जरूरत होती है। कोरोना काल में पांच लाख से ज्यादा प्रवासी मजदूर अपने घर लौट गए थे। पंजाब में 5 फीसदी से 7 फीसदी प्रवासी मजदूर ही रह गए थे। ऐसे में स्थानीय मजदूरों ने अपनी मजदूरी 25 फीसदी से 55 फीसदी तक बढ़ा दी थी। 2020-21 में पंजाब में प्रति हेक्टेयर 3 फीसदी कम गेहूं की उपज हुई। इसकी एक मुख्य वजह मजदूरों या मानव कामगारों के आभाव में बुआई प्रभावित होना भी था।
सर्विस सेक्टर: इकोनॉमिक सर्वे 2022 की रिपोर्ट में पंजाब उन तीन राज्यों में शामिल है, जहां 2020-21 में सर्विस सेक्टर ज्यादा प्रभावित हुआ। 2019 से 2020 तक पंजाब की इकोनॉमी में सर्विस सेक्टर का ग्रॉस वैल्यू एडेड (जीवीए) 42.34 फीसदी था, जबकि 2020 से 2021 में यह घटकर 41.83 फीसदी है। किसी राज्य या सेक्टर का जीवीए उस राज्य की जीडीपी में सब्सिडी और टैक्स घटाकर निकाला जाता है।
इंडस्ट्री सेक्टर: पंजाब की इकोनॉमी को मजबूत बनाने में कपड़ा, साइकिल और चमड़ा उद्योग ने काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। लॉकडाउन के दौरान आल इंडिया साइकिल मैन्युफैक्चरिंग एसोसिएशन के अध्यक्ष ओंकार सिंह पाहवा ने कहा था कि प्रवासी मजदूर के वापस जाने से साइकिल इंडस्ट्री पूरी तरह से तबाह हो गई।
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लुधियाना की पांच सीटों: लुधियाना पूर्व, लुधियाना दक्षिण, लुधियाना उत्तर, साहनेवाल और लुधियाना पश्चिम में प्रवासी मतदाताओं की महत्वपूर्ण आबादी है। पंजाब में सबसे ज्यादा प्रवासी मतदाता साहनेवाल में रहते हैं, जिनकी संख्या 50,000 से ज्यादा हैं। फतेहगढ़ साहिब, जालंधर, अमृतसर, बठिंडा, फगवाड़ा, होशियारपुर इलाकों में भी इनका असर है, लेकिन सबसे ज्यादा असर लुधियाना में ही है। यही वजह है कि पंजाब में चुनाव के दौरान प्रचार के लिए भोजपुरी स्टार, बिहार और उत्तर प्रदेश के नेता भी आते हैं।
Punjab Assembly Election 2022
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