इंडिया न्यूज, चंडीगढ़ :
Punjab Congress Crisis पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा, मैं अब कांग्रेस में नहीं हूं। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि सिद्धू जहां से भी लड़ेंगे, मैं उन्हें जीतने नहीं दूंगा। उन्होंने कहा कि सिद्धू जैसा हाल कभी नहीं हुआ। मैं भाजपा में नहीं जाऊंगा। मोहाली में Press Conference को संबोधित करते हुए कैप्टन ने ये बातें कहीं। नई दिल्ली में गृह मंत्री अमित शाह और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल से मिलने के बाद गुरुवार को ही वह चंडीगढ़ पहुंचे थी। इस दौरान पूर्व सीएम ने यह भी कहा कि डोभाल से उन्होंने राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे पर बात की है और इस बात को यहां साझा नहीं किया जा सकता। कैप्टन ने कहा कि पंजाब में सरकार चलाने का फैसला चन्नी का है।
चन्नी के काम में सिद्धू का दखल नहीं होना चाहिए। पंजाब विधानसभा में फ्लोर टेस्ट के सवाल पर कैप्टन ने कहा कि अगर पार्टी बहुमत खोती है तो विधानसभा अध्यक्ष को फैसला लेना होता है। बता दें कि हाल ही में कई नेताओं ने पंजाब में फ्लोर टेस्ट की मांग भी उठाई थी। गौरतलब है कि इससे पहले भी कैप्टन ने गुरुवार को कहा था कि वह कांग्रेस छोड़ देंगे। बता दें कि प्रदेश कांग्रेस में घमासान के बीच हाईकमान ने कैप्टन अमरिंदर सिंह से इस्तीफा मांगा था इसकी पुष्टि भी कैप्टन ने खुद ही की थी। तभी से अटकलें लगाई जा रहीं थी कि कैप्टन कांग्रेस को छोड़ देंगे। उन्होंने तमाम अटकलों पर विराम लगाते गुरुवार को कहा कि वे कांग्रेस में नहीं रहेंगे।
पंजाब में फरवरी 2022 में पंजाब में विधानसभा चुनाव होने हैं। इसके चलते कैप्टन का यह बयान कि वह कांग्रेस छोड़ देंगे और बीजेपी में भी शामिल नहीं होंगे, बहुत महत्व रखता है। बुधवार तक तो यह माना जा रहा था कि वह कांग्रेस में हैं। कयास लगाए जा रहे थे कि हो सकता है चुनाव से पहले कांग्रेस हाईकमान उन्हें पार्टी में वापस ले आए, लेकिन अब उनके बयान के बाद प्रदेश में नए राजनीतिक समीकरण बनना तय हैं। कैप्टन अमरिंदर ने अपने टिवटर अकाउंट से बायो बदल लिया है और वहां पर अपना परिचय लिखा है।
कैप्टन के बयान के बाद यह तय है कि वे दोनों प्रमुख दलों से दूर रहेंगे। जहां वे कांग्रेस को छोड़ रहे हैं वहीं भाजपा में जाने से इनकार कर चुके हैं। अब उनके पास एक विकल्प है कि वे अपनी नई पार्टी बनाएं। कैप्टन लंबे समय से प्रदेश की राजनीति में सक्रिय हैं। उनका अपना एक विशेष प्रभाव प्रदेश के लोगों पर है। राजनीतिक जानकारों का भी कहना है कि कैप्टन के जाने से कांग्रेस का लगभग पांच प्रतिशत वोट बैंक प्रभावित होगा।
कैप्टन यदि अपना अलग राजनीतिक दल बनाकर आने वाले विधानसभा चुनाव लड़ने की घोषणा करते हैं तो प्रदेश के बहुत सारे विधायकों का उन्हें समर्थन मिल सकता है। इसका ऐक बड़ा कारण यह है कि प्रदेश की मौजूदा सरकार से भी काफी विधायक नाराज हैं। मंत्रीमंडल के गठन पर कुछ विधायकों ने लिखित में अपनी नाराजगी जताई थी।
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