रोहित रोहिला, चंडीगढ़। पंजाब में परंपरागत फसलों के चक्र को तोड़ने के लिए सरकार कई बार सूबे के किसानों से अपील कर चुकी है। इसका नतीजा सिर्फ इतना हुआ कि सरकारों की इस अपील पर केवल कुछ ही किसानों ने एक कदम आगे बढ़ाते हुए फसली चक्र को तोड़ते हुए दूसरी फसलों की बुआई शुरू की।
अब सूबा सरकार ने कुछ ऐसा पासा फेंका है कि सूबे के किसान गेंहू और धान की फसलों को छोड़कर दूसरी फसलों की बुआई करने के लिए भी आगे आएंगे। क्योंकि इन फसलों के जरिए किसानों की आय में बढ़ोतरी होगी और एक एक्सट्रा फसल को उगा सकेंगे।
सूबे में 10.53 लाख किसान खेतीबाड़ी के काम से जुडे हुए है। इसके लिए सरकार ने अब मूंग की फसल को लेकर एमएससपी पर खरीदने का ऐलान किया है। सीएम भगवंत मान सरकार की ओर से किसानों की आय और पंरपरागत फसली चक्र को तोड़ने में सरकार के इस फैसले से काफी हद तक मदद मिलेगी।
पंजाब के सीएम भगवंत मान ने भूजल को बचाने और किसानों को फसलों की दूसरी किस्मों को उगाने को प्रेरित करने के लिए मूंग की फसल को न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर खरीदने का ऐलान किया है।
सरकार का मानना है कि इससे पंजाब में कृषि विभिन्नता को बड़े स्तर पर बढ़ावा मिलेगा और कुदरती स्रोत पानी की अधिक से अधिक बचत की जा सकेगी। सूबे में 10.53 लाख छोटे एवं बडे किसान खेतीबाडी के काम से जुडे हुए है। ऐसे में सरकार के इस फैसले से किसानों को काफी फायदा हो सकता है।
मूंग बीजने वाले किसानों को फसल खरीदे जाने का भरोसा देते हुए सीएम ने कहा कि सरकार फसल का एक एक दाना समर्थन मूल्य पर खरीदेंगी। लेकिन किसानों के लिए यह शर्त होगी कि उनको मूंग की दाल काटने के बाद उसी खेत में धान की किस्म 126 या बासमती की फसल लगानी होगी क्योंकि यह दोनों फसलों में बहुत कम पानी और समय लगता हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि यह पहली बार हो रहा है कि कोई सरकार किसानों को मूंग की पैदावार समर्थन मूल्य पर खरीदने का पक्का भरोसा दे रही हो। इससे किसानों को गेंहू और धान के बीच एक अन्य फसल बीजने का मौका मिलेगा जिससे उनको आर्थिक तौर पर भी लाभ होगा।
इससे किसानों को पहले की अपेक्षा एक्सट्रा इंकम होने की उम्मीद जगेगी। मूंग का न्यूनतम समर्थन मूल्य 7275 रुपए प्रति क्विंटल है और पंजाब में मौजूदा साल में अब तक लगभग 77 हजार एकड़ रकबा मूंग की काश्त में आ चुका है। जबकि बीते वर्ष लगभग 50 हजार एकड़ क्षेत्रफल इसकी काश्त में आता था।
मुख्यमंत्री ने यह भी ऐलान किया कि राज्य सरकार फायदें के भाव पर बासमती की खरीद करेगी। जिससे किसानों को किसी घाटे से बचाने के लिए मार्किट की कीमतों में स्थिरता को यकीनी बनाया जा सके।
इससे पहले मुख्यमंत्री ने धान की सीधी बुवाई के रुझान को बढ़ावा देने के लिए सीधी बुवाई की तकनीक अपनाने वाले किसानों के लिए प्रति एकड़ 1500 रुपए की वित्तीय सहायता देने का ऐलान किया था जिससे भूजल के तेजी से गिर रहे स्तर को रोका जा सके।
पंजाब में ज्यादात्तर किसान धान की फसल की बुआई करते है, लेकिन शायद कम ही लोगों को इस बात का पता होगा कि धान की फसल की बुआई के दौरान एक किलो चावल उगाने में 17 लीटर पानी की जरूरत पड़ती है।
जिससे इस बात का अंदाजा लगाया जा सकता है कि एक एकड़ में धान की फसल को तैयार करने में कितने पानी की जरूरत पडेंगी। जानकारों के मुताबिक एक हेक्टयर में धान की खेती करने से 160 सेंटीमीटर यानि 50 लाख लीटर पानी की जरूरत पड़ती है।
पंजाब में हर साल लगभग 110 से 1120 लाख टन चावल का उत्पादन किया जाता है। सूबे में 10.53 लाख छोटे बड़े किसान खेती का काम करते है। पंजाब में पिछले साल 27 लाख हेक्टयेर में धान की खेती होती थी। जबकि वर्ष 2019 में सूबे में धान का रकबा 29 लाख हेक्टयर का था।
पिछली सरकार की ओर से किसानों से परंपरागत फसलों को खेती छोड़कर मुनाफे वाली फसलों की खेती करने को कहा गया था। जिसके बाद कुछ किसान आगे भी आए थे। लेकिन वहीं कुछ किसान अभी भी धान की खेती ही करते है।
पंजाब में मुख्यत: गेंहू और धान की फसल ज्यादा बुआई की जाती है। इन दोनों ही फसलों में किसानों को अपने ट्यूवेलों से पानी लगाकर फसल को सिंचाई करनी होती है। लेकिन पंजाब के कई इलाके रेड जोन में आ चुके है और जमनी पानी काफी कम हो चुका है। इस सूबे के कई जिले जमीनी पानी के मामले में रेड जोन में आ चुके है।
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