इंडिया न्यूज़ (दिल्ली): चतुर्भुज सुरक्षा वार्ता राष्ट्र (QUAD) जिसमे संयुक्त राज्य अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, जापान और भारत शामिल है। यह देश मिलकर, सिंगापुर और भारत में निगरानी केंद्रों को जोड़ने वाली उपग्रह ट्रैकिंग तकनीक का उपयोग करके भारत-प्रशांत में चीन के अवैध मछली पकड़ने पर अंकुश लगाने की योजना बना रहे हैं.
द एचके पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, चीन पर गैर-कानूनी मछली पकड़ने का सबसे बड़ा लाभार्थी होने का आरोप है, इतना अधिक कि प्रशांत और समुद्र में चीनी तटों के पास मछली के स्टॉक के समाप्त होने का खतरा है। यूके स्थित मीडिया के अनुसार, क्वाड मैरीटाइम इनिशिएटिव सिंगापुर और भारत में निगरानी केंद्रों को जोड़कर हिंद महासागर से दक्षिण प्रशांत तक अवैध रूप से मछली पकड़ने के लिए एक ट्रैकिंग सिस्टम बनाने के लिए उपग्रह प्रौद्योगिकी का उपयोग करेगा.
चीन के बड़े जहाज अवैध रूप से मछली पकड़ते हैं, समुद्री संसाधनों का अत्यधिक दोहन करते हैं और मछलियों के एक बड़े हिस्से को पकड़कर स्थानीय नावों के लिए बहुत कम मौके मछली पकड़ने के लिए छोड़ते हैं। चीन के यह अत्यधिक मछली पकड़ने का काम धीरे-धीरे प्रशांत महासागर में बड़े पैमाने पर फैलता जा रहा है.
मछली व्यपार समस्या में चीन का बड़ा योगदान
चीनी जहाजों के बेड़े समुद्री भोजन खोजने के लिए चीन से दूर क्षेत्रीय जलों का अतिक्रमण कर रहे है, यहां तक कि चीनी विशेषज्ञ भी अब यह स्वीकार करने लगे हैं कि “वैश्विक मछली स्टॉक संकट का सामना कर रहे हैं, लगभग सभी को पूरी तरह से शोषित, अतिशोषित या काफी कम मात्रा में उपलब्ध माना जा सकता है”
नानयांग टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी, सिंगापुर के डॉ होंग्झौ झांग और जल विज्ञान में मास्टर्स के उम्मीदवार जेनेविव डोनेलॉन-मे के एक पेपर के मुताबिक, मत्स्य निर्यात और आयात दोनों में विश्व नेता के रूप में चीन इस समस्या में सबसे बड़ा योगदानकर्ता है.
शोध से पता चलता है कि चीनी मछली पकड़ने के बेड़ो ने 90 से अधिक देशों के पानी में अतिचार किया है और स्टॉक कम हो गया है। संयुक्त राज्य अमेरिका और चीन के बीच बढ़ते राजनीतिक तनाव के साथ -साथ, चीन के जहाज एशिया प्रशांत महासागर में मछली पकड़ने पर विशेष ध्यान दे रहे है.