India News (इंडिया न्यूज),Rahul Gandhi: सुना है राहुल गांधी की ‘भारत जोड़ो यात्रा 2.0’ शुरू होने वाली है। सुना है राहुल गांधी की रीलॉन्चिंग है। सुना है राहुल गांधी के पॉलिटिकल रिवाइवल का लॉन्च पैड ढूंढा जा रहा है। सुना है कि 2024 के लिए राहुल गांधी का मेकओवर होने वाला है। राहुल गांधी के बारे में सुना बहुत है, बस देखने का इंतज़ार है।राहुल गांधी कांग्रेस के एंग्री यंग मैन हैं (वो बात अलग है कि उम्र 53 की हो चली है), वो एंग्री यंग मैन जिनके सहारे कांग्रेस एक बार फिर चुनावी वैतरणी पार करने की कोशिश में है।
देश की सबसे पुरानी पार्टी क़तार में है। तेलंगाना, हिमाचल प्रदेश और कर्नाटक में कांग्रेस की सरकार है, बाक़ी प्रदेशों में बस क़तार है। कांग्रेस को समझना होगा कि चुनाव एक नेता के इमेज मेकओवर से नहीं जीते जाते। चुनाव जीते जाते हैं काडर, कार्यकर्ता, कर्म और सामर्थ्य से। राहुल गांधी पर निर्भरता से पार्टी को नुक़सान हुआ है। इतने सालों में किसी और नेता पर निर्भरता बढ़ाते तो शायद मज़बूत हो जाते। कांग्रेस को ‘राहुल गांधी’ ही नहीं ‘गांधी’ नाम के साए से निकलना ही होगा। प्रियंका गांधी का ‘लड़की हूं लड़ सकती हूं’ यूपी में फ़ेल हो चुका है, राहुल गांधी की लॉन्चिंग ना जाने कितनी बार मिसफ़ायर हो चुकी है।
2013 में उपाध्यक्ष बने राहुल गांधी के अध्यक्ष रहते 20 से ज़्यादा राज्यों में कांग्रेस का बंटाधार हुआ। आज आलम ये है कि मल्लिकार्जुन खड़गे कोशिश कर रहे हैं, पर चाटुकारिता के दीमक ने कांग्रेस को 3 राज्यों में समेट कर रख दिया है। इसके ठीक उलट भारतीय जनता पार्टी की 12 राज्यों में सीधी सरकार और 17 राज्यों में गठबंधन सरकार है। राहुल गांधी की रणनीति में नयापन नहीं है, लीडरशिप में इंदिरा-नेहरू-राजीव जैसा करिश्मा भी नहीं। कांग्रेस को सेकेंड लाइन ऑफ़ लीडरशिप ही नहीं, सेकेंड लाइन ऑफ़ थिंकिंग को मज़बूत करना होगा। वो सेकेंड लाइन जिसमें ‘गांधी’ टाइटल से निकलने की कसमसाहट हो। वैसे कसमसाहट तो कपिल सिब्बल, चिदंबरम, मनीष तिवारी, ग़ुलाम नबी आज़ाद में भी रही, नतीजा दुनिया के सामने है।
राहुल गांधी नॉर्थ ईस्ट से भारत जोड़ो यात्रा के अगले चरण का आग़ाज़ करेंगे। नॉर्थ ईस्ट से दूसरे फ़ेज़ की शुरुआत अच्छी बात है, पर सियासत नंबर से चला करती है। नंबर उत्तर प्रदेश, बिहार जैसे राज्यों में है। हिंदीबेल्ट को लगता है कि यूपी, बिहार, मध्य प्रदेश, दिल्ली जैसे राज्यों में कांग्रेस सरेंडर कर चुकी है, तभी तो यूपी में राहुल गांधी वक़्त नहीं गुज़ारते। स्मृति ईरानी कहती हैं कि 2014 में अमेठी हार कर भी वो अमेठी की बेटी बन गईं, पर 2019 में राहुल की हार ने उन्हें कमज़ोर कर दिया।
हमारे न्यूज़ चैनल इंडिया न्यूज़ के ‘मंच’ कार्यक्रम में तो स्मृति ईरानी ने राहुल गांधी को घेरते हुए ये तक कह दिया कि दक्षिण भारत जाकर राहुल कहने लगे हैं कि “अमेठी वाले मुझे समझ ही नहीं सके।” कांग्रेस को सर्जिकल ऑपरेशन की ज़रूरत है, एक ऐसा ऑपरेशन जिसमें सर्जन ‘गांधी’ नहीं होना चाहिए।
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