India News (इंडिया न्यूज), Ram Mandir: उत्तर प्रदेश की अयोध्या में भगवान श्री राम का भव्य मंदिर बनकर तैयार हो चुका है और रामलला के प्राणप्रतिष्ठा भी 22 जनवरी 2024 को होने है। जिसकी तैयारियां जोरों-शोरों से चल रही हैं। इस मंदिर के अलावा भी अयोध्या में कई ऐसे घाट है जहा प्रभु श्रीराम ने मनुष्य रूप में अपनी लीलाएं दिखाई थीं। अयोध्या के पूरे 51 घाटों में कुछ घाटों का अपना ही विशेष महत्व है। इन्हीं में से एक गुप्तार घाट है। गुप्तार घाट को हरि घाट के नाम से भी जाना जाता है। तो चलिए जानते है कि इस घाट की क्या पौराणिक मान्यता है।
कहा ली भगवान राम ने समाधि
अयोध्या के पुजारियों का ये मानना है कि गुप्तार घाट ही वो घाट है जहां पर भगवान श्रीराम ने कई सालों तक अयोध्या पर राज्य करने के बाद इस घाट पर जल समाधि ली थी और बैंकुठ धाम के लिए चले गए थे। भगवान राम के शरीर को इस घाट के जल में गुप्त कर लेने की वजह से ही इस घटा को गुप्तार घाट के नाम से जाना जाने लगा। गुप्तार घाट की महिमा का वर्णन स्कंध पुराण में मिलती है, जिसमें गुप्तार घाट का नाम गौ प्रतारण कर दिया गया है।
श्री राम जन्मभूमि से कितनी दूरी पर स्थित है ये घाट
सरयू नदी के इस घाट पर भारी संख्या में श्रद्धालु स्नान करने आते हैं। ऐसी मान्यता है कि इस घाट के दर्शन करने और स्नान करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही सभी मनोकामना भी पूर्ण होती है। बता दें कि ये घाट अयोध्या में श्री राम जन्मभूमि से तकरीबन 11 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। तो वहीं हनुमान गढ़ी से इसकी दूरी मात्र 9 किलोमीटर पड़ती है।
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