इंडिया न्यूज, पठानकोट :
Rifleman Akshay Pathania sacrificed For Country : तीन दिन पहले अरुणांचल प्रदेश के इंडो-चाइना बॉर्डर पर गश्त के दौरान सेना की 19 जैक राइफल्स यूनिट में तैनात देश के 7 जाबांज सैनिक बर्फीले तूफान की चपेट में आने से शहादत का जाम पी गए थे और वो इस बर्फीले तूफान के कारण लापता हो गए, जिनके शवों को ढूंढने हेतु सेना की ओर से तुरंत अपने प्रयास शुरू किए गए और आखिरकार सेना ने उक्त जवानों के शवों को ढूंढ निकाला।
इन जाबांज सैनिकों में से एक सैनिक जिला पठानकोट के गांव चक्कड़ का निवासी 24 वर्षीय राइफलमैन अक्षय पठानिया था। गत दिवस शहीद के पिता पूर्व सैनिक हवलदार सागर सिंह पठानिया को बेटे की यूनिट से उसकी शहादत हो जाने की खबर मिली तो परिवार के साथ-साथ पूरे गांव में मातम छा गया तथा किसी को भी यकीन नहीं हो रहा था कि अक्षय राष्ट्र की बलिबेदी पर कुर्बान हो चुका है।
पूरे गांव के लाडले अक्षय पठानिया की शहादत के चलते इस गमगीन माहौल में पूरे गांव के किसी भी घर में चूल्हा नहीं जला। वहीं,अक्षय पठानिया अपने बड़े भाई सिपाही अमित पठानिया जोकि सेना की 14 जैक राइफल्स यूनिट तिब्बड़ी में तैनात है एवं बहन रवीना पठानिया में सबसे छोटा होने के साथ-साथ सबका प्रिय भी था।
शहीद राइफलमैन अक्षय पठानिया के पिता रिटा.हवलदार सागर सिंह पठानिया ने नम आंखों से बताया कि उनकी तीसरी पीढ़ी भारतीय सेना में सेवाएं दे रही है। घर में छोटा होना के कारण रिश्तेदार कहते थे कि अक्षय को सेना में मत भेजो, मगर उन्होंने अपने परिवार की सैन्य पृष्ठभूमि को प्राथमिकता देते हुए किसी की भी बात न मानते हुए अक्षय को फौज में भर्ती करवा दिया। उन्होंने कहा कि बेटे के जाने का उन्हें दुख तो बहुत है, मगर उसकी शहादत पर गर्व भी है कि वो देश की सुरक्षा करते हुए अपने प्राणों की आहुति देकर अपना सैन्य धर्म निभा गया।
शहीद अक्षय की मां रितू पठानिया ने सजल नेत्रों से बताया कि अक्षय बेशक सेना में भर्ती था, लेकिन वह उसे हर रोज वीडियो कॉल करके उसका हाल पूछता था और 2 फरवरी को भी अक्षय ने उसे वीडियो कॉल की तथा जैसे ही उसने हैलो की तो अक्षय ने कहा कि मां अपना ध्यान रखना और इतनी बात कहते ही फोन कट ऑफ हो गया और उसके पश्चात उसका फोन नहीं आया।
मां रितू पठानिया ने बताया कि बेटे के फोन की लाइन क्या कटी, मानो मेरी तो दुनियां ही उजड़ गई। उन्होंने बताया कि लाडले बेटे के जाने से उनके परिवार पर जो दुखों का पहाड़ टूटा है,शायद ही वह इस सदमे से उभर पायें। शहीद अक्षय की मां ने बताया कि अक्षय नवम्बर माह में एक माह की छुट्टी काटकर अपनी यूनिट में वापिस गया था तथा कहता था कि वो चढ़ते वर्ष में जल्द छुट्टी पर आएगा,मगर उन्हें क्या पता कि अब उनका बेटा लम्बी छुट्टी पर चला गया है, जहां से वो कभी वापिस नहीं आएगा।
इस अवसर पर शहीद परिवार के साथ दुख बांटने पहुंचे शहीद सैनिक परिवार सुरक्षा परिषद के महासचिव कुंवर रविन्द्र सिंह विक्की ने बताया कि हमारे जांबाज सैनिक कठिन परिस्थितियों में ड्यूटी निभाते है ताकि देशवासी सुरक्षित रह सके। उन्होंने कहा कि हमारे वीर सैनिक जहां सीमा पार से पाक द्वारा प्रायोजित आतंकवाद से जूझ रहे है, वहीं खराब मौसम व बर्फीले आतंक का भी सामना करते हुए अपनी शहादतें दे रहे है।
उन्होंने कहा कि गांव चक्कड़ जिला पठानकोट का एक ऐसा गांव है, जो सैनिकों व स्वतंत्रता सेनानियों के नाम से जाना जाता है। जहां इस गांव में 90 प्रतिशत सैनिक देश की सेवा कर चुके है व कर रहे है, वहीं इस गांव ने देश को दो स्वतंत्रता सेनानी भी दिए है। इस गांव के सैनिकों ने जहां 1965 व 1971 की भारत-पाक जंग में अपने वीरता के जौहर दिखाए, वहीं कश्मीर में पाक द्वारा छेड़े अघोषित युद्घ में भी इस गांव के युवा दुश्मन को करारी शिकस्त दे रहे हैं।
मगर देश की बलिबेदी पर कुर्बान होने वाले अक्षय इस गांव के पहले ऐसे सैनिक है, जिन्होंने अपना नाम शहीदों की श्रृंखला में अंकित करवा लिया है। कुंवर विक्की ने बताया कि शहीद राइफलमैन अक्षय पठानिया की तिरंगे में लिपटी पार्थिव देह वीरवार 10 फरवरी को गांव चक्कड़ में पहुंचेगी, जहां पूरे सैन्य सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा।
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