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Saif Ali Khan के बेटे नहीं बन सकते उनकी संपत्ति के वारिस, आखिर क्या है वजह!

इंडिया न्यूज, मुंबई:
Saif Ali Khan पटौदी परिवार के दसवें नवाब हैं। सैफ अली के पास करीब 500 करोड़ की वसीयत है। सैफ के पास पैतृक संपत्ति मध्यप्रदेश से लेकर, हरियाणा और दिल्ली समेत कई दूसरे राज्यों में फैली हुई है, लेकिन सैफ अली खान की मध्यप्रदेश वाली प्रॉपर्टी विवाद में फंसी है। उनके इस हजारों करोड़ रुपये की संपत्ति में सारा अली खान (Sara Ali Khan), इब्राहिम (Ibrahim), तैमूर (Taimur) और जेह (Jeh) कोई हिस्सा नहीं दे पाएंगे? उनके बेटे तैमूर अली खान और जहांगीर अली खान का हक नहीं होगा।

इसके पीछे की वजह काफी पेचीदा है। जो आज हम आपको बताएंगे। दरअसल, सैफ की भोपाल वाली प्रॉपर्टी जो कि करीबन 5000 करोड़ रुपये से ज्यादा की है, इसे लेकर विवाद चल रहा है। दरअसल, भोपाल के आखिरी नवाब और सैफ के परदादा हमीदुल्ला खान की पूरी मूवेबल और इममूवेबल प्रॉपर्टी एनिमी प्रॉपर्टी एक्ट की जद में आ चुकी है।

प्रॉपर्टी रही है विवादों में

सरकार ने दिसंबर 2016 एनिमी प्रॉपर्टी प्रोटेक्शन एंड रजिस्ट्रेशन एक्ट में अमेंडमेंट के लिए पांचवीं बार आॅर्डिनेंस लाई थी। उसके बाद उनकी संपत्ति इसके जद में आ गई। इस एक्ट के मुताबिक अगर कोई एनिमी प्रॉपर्टी पर अपने बेटे के वारिस होने के दावा पेश करता है तो उसे हाईकोर्ट या फिर सुप्रीम कोर्ट में मुकदमा करना होता है। नवाब पटौदी की प्रॉपर्टी शुरू से ही विवादों में हैं।

भोपाल में उनकी ज्यादातर जमीन-जायदाद शत्रु संपत्ति की जद में आ चुकी है। गृह मंत्रालय का शत्रु संपत्ति विभाग इस प्रॉपर्टी की जांच कर रहा है। दरअसल, इस संपत्ति पर विवाद इसलिए है कि भोपाल के आखिरी नवाब हमीदुल्ला खान थे। उनका कोई बेटा नहीं था, सिर्फ दो बेटियां थीं। बड़ी बेटी आबिदा सुल्तान और छोटी बेटी साजिदा सुल्तान।

इमूवेबल प्रॉपर्टी एनिमी प्रॉपर्टी एक्ट है वजह

रियासतों की नीति के अनुसार उत्तराधिकार बड़ी संतान को ही मिलता था। इस अनुसार इस प्रॉपर्टी की उत्तराधिकारी आबिदा होतीं। लेकिन वह पाकिस्तान में जाकर बस गईं। 1960 में नवाब का निधन हो गया। उनकी छोटी बेटी साजिदा इस संपत्ति की वारिस हो गईं। इसके बाद साजिदा सुल्तान की शादी पटौदी के नवाब इफ्तिखार अली से हुई थी। उनके एक बेटा और दो बेटियां हुईं। बेटे का नाम मंसूर अली खां पटौदी था।

वही एनिमी प्रॉपर्टी प्रोटेक्शन एंड रजिस्ट्रेशन एक्ट (Enemy Property Protection and Registration Act)
के अनुसार हमीदुल्ला खां की वारिस सैफ की दादी साजिदा सुल्तान को नहीं माना बल्कि उनकी बड़ी बहन आबिदा को माना है, जो कि 1950 में पाकिस्तान चली गई थीं। एनिमी प्रॉपर्टी अमेंडमेंट आर्डिनेंस 2016 के लागू होने और एनिमी सिटीजन की नई परिभाषा के बाद विरासत में मिली ऐसी प्रॉपर्टीज से इंडियन सिटीजंस का मालिकाना हक खत्म हो चुका है, जिसका मतलब ये हुआ कि मंसूर अली खां पटौदी कभी इस प्रॉपर्टी के मालिक हुए ही नहीं। हालांकि संपत्ति पर चल रहे विवाद को लेकर अभी भी सर्वे जारी है।

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Prachi

Sub-Editor at India News, 9 years work experience in Aaj Samaj as a sub editor

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