India News (इंडिया न्यूज़), Samjhauta Blast Case: मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव की तारीख नजदीक आते ही बीजेपी से दावेदारी करने वाले नेताओं के सुर अब बदले हुए नजर आ रहे हैं। इंदौर की नौ विधानसभा सीटों में से मुख्य सीट देपालपुर में भी त्रिकोणीय मुकाबला विधानसभा में देखने को मिल सकता है । बीजेपी ने देपालपुर सीट से मनोज पटेल को अपना प्रत्याशी घोषित कर दिया है, वहीं कांग्रेस से संभावित उम्मीदवार विशाल पटेल बताए जा रहे हैं। देपालपुर की जनता लगातार क्षेत्र में वंशवाद की राजनीति का आरोप लगाकर इस बार निर्दलीय प्रत्याशी को जीताकर अपना विधायक बनाने की तैयारी में लगी हुई है, तो वहीं देपालपुर विधानसभा सीट से समझौता ब्लास्ट में बनाए गए आरोपी और अब बेगुनाह साबित होने के बाद राजेंद्र चौधरी चुनावी मैदान में उतरने की घोषणा कर चुके हैं।
राजेंद्र चौधरी का कहना है लोगों को स्थानीय प्रत्याशी की आवश्यकता है। इस विधानसभा में लंबे समय से वंशवाद की राजनीति कांग्रेस और बीजेपी लंबे समय से करती आई है। देपालपुर विधानसभा अब भी पिछड़ा हुआ है जबकि देश के सबसे स्वच्छ शहर इंदौर की ही यह विधानसभा सीट है, लेकिन अभी विकास के मामले में सीट पीछे है। यहां से बीजेपी ने फिर से पूर्व विधायक मनोज पटेल को टिकट दे दिया है।
मनोज पटेल को टिकट देने के बाद अब क्षेत्र की जनता में जमकर आक्रोश है। इस क्षेत्र में पिछले दिनों तेज बारिश के कारण कई गांव डूब गए थे। रेस्क्यू करने में भी दोनों ही नेता मौके पर मदद करने नहीं पहुंचे थे जिससे क्षेत्र की जनता में जमकर आक्रोश है। राजेंद्र चौधरी ने कहा है इस विधानसभा सीट पर स्थानीय नेता को उतारने के लिए अब यहां की जनता जिद पर अड़ी हुई है और बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही पार्टियों को यहां पर अब मुंह की खानी पड़ेगी।
2007 में पाकिस्तान जाने वाली ट्रेन में बम रखने का राजेंद्र चौधरी पर आरोप था, जिसके बाद एनआईए ने राजेंद्र चौधरी को 2012 में उज्जैन से गिरफ्तार किया था। गिरफ्तार करने के बाद राजेंद्र चौधरी उर्फ समंदर दास को बरी कर दिया था। समझौता ब्लास्ट केस में पंचकूला की स्पेशल एनआईए (राष्ट्रीय जांच एजेंसी) कोर्ट ने फैसला सुनाया था। कोर्ट ने असीमानंद समेत सभी 4 आरोपियों को बरी किया था। स्पेशल एनआईए कोर्ट ने असीमानंद, लोकेश शर्मा, कमल चौहान और राजेंद्र चौधरी को बरी किया है।
गौरतलब है की 18 फरवरी 2007 को हुए समझौता एक्सप्रेस धमाके में 68 लोगों की जान गई थी, मरने वाले में ज्यादातर पाकिस्तानी नागरिक शामिल थे। धमाके के ढाई साल बाद केस को एनआईए को सौंप दिया गया था। 18 फरवरी 2007 को हरियाणा के पानीपत में समझौता एक्सप्रेस ट्रेन में IED ब्लास्ट किया गया था। हादसे में 43 पाकिस्तानी, 10 भारतीय नागरिक और 15 अन्य लोग मारे गए थे।
मारे गए कुल 68 में से 64 आम लोग थे, जबकि 4 रेलवे के अधिकारी थे। ब्लास्ट के बाद कई अन्य कोच में आग लग गई थी। शुरुआत में हरियाणा पुलिस ने मामले की जांच की, लेकिन जुलाई 2010 को जांच एनआईए को सौंप दिया गया। समझौता एक्सप्रेस ब्लास्ट केस में पहली चार्जशीट 2011 में फाइल की गई। इसके बाद 2012 और 2013 में भी सप्लीमेंट्री चार्जशीट दायर की गई थी।
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