इंडिया न्यूज, नई दिल्ली:
कोरोना वायरस की तीसरी लहर चल रही है उससे सबसे ज्यादा बच्चों को खतरा बताया जा रहा है। लेकिन अब बच्चों की आफलाइन कक्षाएं शुरू हो रही हैं। देश के कुछ राज्यों में स्कूल और कॉलेज खुलने जा रहे हैं। माता-पिता बच्चों को स्कूल भेजने से डर रहे हैं। क्योंकि स्कूलों में कोरोना से संक्रमण फैलने का खतरा ज्यादा रहता है। आइए जानते हैं कि क्या बच्चों को स्कूल और कॉलेज भेजना चाहिए या नहीं। अगर भेजना है तो संक्रमण से बच्चों को कैसे बचाएं।
इस मामले में महामारी विशेषज्ञ का कहना है कि कोरोना और ओमिक्रॉन वेरिएंट के साथ एक बात साफ हो चुकी है कि सार्स-कोव-2 का इंफेक्शन सभी में होता है, लेकिन बच्चों में इसका खतरा नगण्य, यानी कि न के बाराबर होता है। इसलिए संक्रमण चाहे कम हो या ज्यादा, स्कूल खुलने चाहिए। भारत में स्कूल खोलने में देरी हो चुकी है। भारत में 50 फीसदी नहीं। बल्कि 100 फीसदी क्षमता के साथ स्कूल खुलने चाहिए। आॅनलाइन कक्षाओं के बजाय आॅफलाइन कक्षाओं में ज्यादा जोर देना चाहिए।
महामारी विशेषज्ञ कहते हैं कि बच्चों को कोरोना वायरस से ज्यादा डेंगू, रोड एक्सीडेंट, टायफाइड और डायरिया होने की संभावना ज्यादा है। हम इन बीमारियों के लिए स्कूल बंद नहीं करते हैं, तो फिर कोरोना के लिए क्यों कर रहे हैं। पहली लहर की बात कुछ और थी। अब सब कुछ समझ में आ गया है। सावधानी हम सब जानते हैं। ऐसे में स्कूल जाने में कोई हर्ज नहीं।
स्कूल के किसी बच्चे की रिपोर्ट कोविड पॉजिटिव आ जाती है तो स्कूल बंद करने की जरूरत नहीं है। दूसरे बच्चों को बोला जा सकता है कि आप सावधानी बरतें और अपने स्वास्थ्य पर नजर रखें। कोई भी दिक्कत हो तो तुरंत डॉक्टर से इलाज करवाएं।
Schools Opening Amid Corona
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