Sex Ratio Data of Surat
अंकित शाह
Sex Ratio Data of Surat सूरत में बेटियों की संख्या बढ़ रही है। यह काफी खुशी की बात है। यह बुद्धि लगातार 4 सालों से हो रही है। 2018-19 में 1000 बेटों के मुकाबले सिर्फ 855 बेटियां ही थी। मगर अब 2021-22 में यह संख्या बढ़कर 920 हो गई है। यह एक बहुत ही जबरदस्त उछाल है। सूरत के लिए बेटा-बेटी एक समान होते जा रहे हैं। यह आशा है कि बेटियों की संख्या सूरत में आने वाले सालों में और बढ़ेगी।
सूरत में लिंग अनुपात के 4 सालों के आंकड़े (4 Years Data of Sex Ratio in Surat)
वर्ष | बेटा | बेटा | कुल | अनुपात |
2018-19 | 41148 | 35182 | 76330 | 855 |
2019-20 | 41277 | 36317 | 77594 | 880 |
2020-21 | 39199 | 35287 | 74486 | 900 |
2021-22 | 16108 | 14183 | 30921 | 920 |
जानकारी का स्रोत :ससूरत महानगर पालिका से मेले आँकड़े (2021)
यह सब कैसे संभव हुआ?
- लोगों की बदलती सोच
- सरकार की योजनाएं
- लिंग परीक्षण पर सख्ती
- सामाजिक संस्थाओं का कार्य
यह 4 मुख्य वजह है जिसके कारण सूरत में बेटे और बेटियों की संख्या के बीच केवल 80 का अंतर है। आइए यह चार कारणों के विषय में थोड़ी बहुत जानकारी ले लेते हैं।
- लोगों की बदलती सोच
“बेटा वंश चलाएगा बेटियां तो पराया धन है।” यह सोच सूरत के लोगों की बदल रही है सूरत के लोगों के लिए अब “बेटा बेटी एक समान”की भावना बढ़ रही है। सूरत के लोगों को कहीं ना कहीं अब यह समझ आ रहा है कि बुढ़ापे की लाठी बेटियां भी बन सकती है। इसमें कोई शक नहीं है कि बदलती सोच का ही असर है कि बेटे बेटियों के बीच का अंतर आज बेहद कम हो गया है।
- बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ
‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ योजना काफी सफल रही इसकी शुरुआत 22 जनवरी 2015 के दिन हुई थी। इस योजना का मुख्य उद्देश्य महिलाओं और बेटियों की सशक्तिकरण और लिंग अनुपात के अंतर को कम करना था।
- लिंग परीक्षण कड़े कानून!
‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ योजना में विशेष रुप से ध्यान दिया गया कि लिंग परीक्षण रोका जाए। किसी लिंग परीक्षण पर कड़े कानून बनाने के साथ-साथ उस कानून पर अमल भी हो इसका विशेष रुप से ध्यान दिया गया।
पूर्व गर्भाधान और प्रसव पूर्व निदान तकनीक अधिनियम, 1994 के तहत ‘लिंग परीक्षण करने वाले डॉक्टर लैब कर्मी को 3 से 5 साल तक की सजा का प्रावधान है और 10 से 50 हजार तक जुर्माने का भी प्रावधान बनाया गया है’।
- सामाजिक संस्थाओं का कार्य
सूरत के लोगों की सोच बदलने के पीछे सामाजिक संस्थाओं का सराहनीय कार्य भी है।इन सभी संस्थाओं ने जगह-जगह कैंप लगाकर लोगों को जागरूक किया। कुछ ऐसे नारे हैं जो समाज में जागरूकता फैलाने का काम किया।
यह कुछ नारे जिसकी वजह से जागरूकता फैली (Awareness Raising Slogans)
- “बेटी है तो कल है।”
- “बेटी का करोगे ना तो होगा सबका विनाश!”
- “बेटी है जीवन का आधार!”
- “सोच बदलो बेटा बेटी एक समान”
- ” मौका तो दो बेटियों भी बुढ़ापे की लाठी बनेगी।”
- “अगर आज बेटियों को मारोगे तो कल बेटा कहां से लाओगे”
- “अबकी बार बेटी की पढ़ाई जरूरी”
- ” बेटियां समस्या नहीं समाधान है”
- “बेटियों को मारने वालों बहू कहां से लाओगे“
- “शर्म करो शर्म करो नन्ही सी जान को मारकर कंस ना बनो।”
सूरत में साक्षरता दर अधिक फिर भी खराब लिंगानुपात क्यों?
2011 की जनगणना के अनुसार सूरत में साक्षरता दर 85.53 था। जबकि लिंगानुपात 787 था। वही तापी जिला में साक्षरता दर सबसे कम 68.26 था और वहां लिंगानुपात सबसे ज्यादा 1007 था। यानी कि 1000 लड़कों पर वहां 1007 लड़कियां है। (Surat Literacy Rate)
ठीक इसी तरह डांग जिले की साक्षरता दर 75.16 है जबकि वहां का लिंगानुपात 1006 है।ऐसा क्यों? जहां साक्षरता दर अधिक है वहां लड़कियों की संख्या कम हैऔर जहां साक्षरता दर कम है वहां लड़कियों की संख्या ज्यादा है।
Surat Literacy Rate
जिला | लिंग अनुपात | साक्षरता |
अहदावाद | 904 | 85.31 |
सूरत | 787 | 85.53 |
राजकोट | 934 | 80.96 |
बनासकांठा | 938 | 65.32 |
भावनगर | 933 | 75.52 |
जूनागढ़ | 953 | 75.80 |
डांग | 1006 | 75.16 |
पोरबंदर | 950 | 75.78 |
तापी | 1007 | 68.26 |
नर्मदा | 961 | 72.31 |
नवसारी | 961 | 83.16 |
पाटन | 935 | 72.30 |
गांधीनगर | 923 | 84.16 |
अमरेली | 964 | 75.25 |
भरुच | 925 | 81.51 |
वलसाड | 922 | 78.55 |
महेसाणा | 926 | 83.61 |
आनंद | 925 | 84.37 |
खेड़ा | 940 | 82.65 |
तो आखिर इसकी वजह क्या है?
गुजरात के बड़े-बड़े शहरों में खराब लिंगानुपात का मुख्य वजह यह है कि राज्य के ग्रामीण इलाकों से लोग गुजरात राज्य के बड़े-बड़े शहरों जैसे कि सूरत अहमदाबाद राजकोट में आकर बस जाते हैं औरगुजरात राज्य में बाहरी राज्यों के लोग जैसे ओडिशा,बंगाल, उत्तर प्रदेश,राजस्थान के लोग रोजगार की तलाश में गुजरात के बड़े-बड़े शहरों में आकर बस जाते हैं। जिसकी वजह से यहां लड़के और लड़कियों के लिंगअनुपात में बहुत बड़ी खाई नजर आती है। (Why Surat has Low Literacy Rate)
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