इंडिया न्यूज, नई दिल्ली:
Shy Bladder Syndrome Problem: दुनिया में हर इंसान किसी ना किसी चीज से डरता ही है, जिसे फोबिया भी कहा जाता है। किसी इंसान को अंधेरे से, किसी को ऊंचाई से, किसी को अकेलेपन से, किसी को पानी से, या किसी को जानवरों से डर लगता है। और कुछ लोगों को अपने घर के अलावा किसी अन्य जगह पर टॉयलेट प्रयोग करने में शर्मिदगी महसूस होती है। इसे शाय ब्लैडर सिंड्रोम कहा जाता है। आइए जानते हैं क्या है शाय ब्लैडर सिंड्रोम। (Shy Bladder Syndrome Can Cause Serious Diseases)
(Women Have To Be More Careful) शाय ब्लैडर सिंड्रोम वैसे तो महिलाओं में आम है, क्योंकि अधिकतर समय महिलाएं शर्म या गंदे टॉयलेट की वजह से बाथरूम जाने से बचती हैं, लेकिन ये परेशानी पुरुषों और बच्चों में देखी जाती है। इंटरनेशनल पैरुरिसिस एसोसिएशन की एक रिपोर्ट अनुसार दुनिया में करीब दो करोड़ लोग शाय ब्लैडर सिंड्रोम से जूझ रहे हैं। ये लोग आउटडोर पब्लिक गैदरिंग, ट्रैवलिंग या बाजार तक आने-जाने से भी कतराते हैं। सर्दियों में ये समस्या और भी बढ़ जाती है। ठंड के चलते कुछ लोग बहुत देर तक टॉयलेट जाने से बचते हैं। सुनने में भले ही ये छोटी सी बात लगती हो, लेकिन ये समस्या कई और गंभीर बीमारियों का कारण बन सकती है।
शाय ब्लैडर सिंड्रोम को (पैरुरिसिस) भी कहते हैं। पैरुरिसिस को एक तरह का सोशल फियर भी माना जाता है। पैरुरिसिस की शुरुआत हमेशा स्कूल टाइम से होती है। ऐसे लोगों को पब्लिक टॉयलेट प्रयोग करने में असहजता होती है। ये परेशानी किसी भी उम्र के पुरुष या महिला को हो सकती है। ( Shy bladder syndrome is also called (paruresis)
माइल्ड स्टेज में किसी भी इंसान को पब्लिक टॉयलेट जाने में शर्म या हिचक होती है। सिवियर स्टेज में इस परेशानी को पी-फोबिया या एविडेंट पैरुरिसिस भी कहते हैं। इस स्थिति में बाहर ही नहीं बल्कि घर में भी किसी और इंसान के होने पर टॉयलेट जाने में असहजता होती है। ऐसे लोग अपने घर पर अकेले होने पर ही बाथरूम करने में कंफर्टेबल होते हैं।
कुछ लोगों को पेशाब जाने के लिए पूरी तरह से एकांत जगह की जरूरत होती है। लंबे समय तक पेशाब रोकते हैं चाहे कितना भी दर्द या असहजता क्यों ना महसूस हो। ऐसे लोग पब्लिक टॉयलेट्स या किसी दूसरे के घर में बाथरूम जाने में अनकम्फर्टेंबल होते हैं। ऐसे लोग पब्लिक टॉयलेट प्रयोग करने से बचने के लिए भीड़भाड़ वाली जगह व यात्रा करना इगनोर करते हैं। कुछ लोग कॉमन टॉयलेट में पेशाब करते समय शर्म, घबराहट महसूस करते हैं या नाकारात्म बातें करते हैं। कुछ लोग पेशाब जाने के डर के चलते कम पानी पीते हैं।
लंबे समय तक बाथरूम रोकने से कई समस्या पैदा हो सकती हैं। जैसे कि ब्लैडर में दर्द होना। यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन का जोखिम होना। थोड़ी-थीड़ी सी पेशाब आना। पूरी तरह से ब्लैडर खाली नहीं होना। पेशाब करते समय तनाव रहना। पेशाब लीक होना। यह सब बाते किडनी में स्टोन होने की आशंका को भी जारिए करती हैं।
इंसान को सबसे पहले अपने दिमाग में उस डर को पहचाने की कोशिश करनी चाहिए जिसकी वजह से वह पब्लिक टॉयलेट प्रयोग करने से कतराते हैं। अगर आपका डर आपकी किसी पुरानी घटना से जुड़ा है तो आप अपने परिवार में किसी से बात करके अपने डर को अपने दिमाग से बाहर निकालें। बात अगर हाईजीन की है तो आजकल बाजार में बहुत तरह के प्रोडक्ट मिलते हैं जिसकी सहायता से आप पब्लिक टॉयलेट को सुरक्षित ढंग से प्रयोग कर सकते हैं। अगर आपकी हालत सिवियर है तो आपको अपने किसी फैमिली डॉक्टर या कोई साइकोलॉजिस्ट से मदद ले सकते हैं।ता शाय ब्लैडर सिंड्रोम
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