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Success Story of Dabur 1884 में कलकत्ता से शुरू हुई ‘डाबर’ आज एक लाख करोड़ की कंपनी

Success Story of Dabur 1884 में कलकत्ता से शुरू हुई ‘डाबर’ आज एक लाख करोड़ की कंपनी

इंडिया न्यूज, नई दिल्ली।

Success Story of Dabur : डाबर इंडिया (Dabur India) लिमिटेड भारत की अग्रणी कंपनियों में से एक है। यह आयुर्वेदिक दवा और हेल्थ केयर प्रोडक्ट (Dabur India Ltd Products List) बनाती है। जनवरी 2020 में कोरोना (Covid-19) जैसी महामारी ने भारत में दस्तक दी थी।

मार्च 2020 को भारत लॉकडाउन की गिरफ्त में था। लोग जरूरी चीजों की खरीदारी कर रहे थे, जिसमें डाबर के च्यवनप्राश (Dabur Chyawanprash), शहद, हाजमोला (Dabur Hajmola), हेयर आयल और रियल जूस जैसे प्रोडक्ट शामिल नहीं थे। डाबर के पास दो रास्ते थे। पहला, जैसा चल रहा उसे चलने दिया जाए। दूसरा, इस आपदा को अवसर बनाया जाए।

Dabur Products List: बताया जाता है कि उसी समय कोरोना महामारी के दौरान डाबर के सीईओ मोहित मल्होत्रा (Dabur CEO Mohit Malhotra) ने दूसरा रास्ता चुना और उन्होंने ताबड़तोड़ करीब तीन दर्जन नए प्रोडक्ट लॉन्च कर दिए। इस लेख के माध्यम से हम उन सभी प्रोडक्ट के बारे में बताएंगे लेकिन उससे पहले डाबर के यहां तक पहुंचने की रोचक कहानी जान लेते हैं।

डाक्टर का ‘डा’ और बर्मन का ‘बर’ लेकर रखा गया था ब्रांड का नाम Success Story of Dabur Ayurvedic Natural Health Care Company History Information

dabur revenue: कलकत्ता (जिसका वर्तमान नाम कोलकाता) में डॉक्टर एसके बर्मन नाम के एक वैद्य हुआ करते थे। वे अपने छोटे क्लीनिक में लोगों का आयुर्वेदिक इलाज करते थे। 1884 में उन्होंने आयुर्वेदिक हेल्थकेयर प्रोडक्ट बनाने शुरू किए। डॉक्टर का ‘डा’ और बर्मन का ‘बर’ लेकर उन्होंने ब्रांड का नाम डाबर रखा दिया। 1896 तक डाबर के प्रोडक्ट इतने लोकप्रिय हो गए कि उन्हें एक फैक्ट्री लगानी पड़ी। कारोबार में खूब तरक्की हो रही थी, तभी 1907 में डॉक्टर एस के बर्मन की मौत हो गई। अब कंपनी की बागडोर उनके बेटे सी एल बर्मन के हाथ में आ गई। उन्होंने रिसर्च लैब शुरू की और डाबर के प्रोडक्ट्स का विस्तार किया। आयुर्वेदिक व प्राकृतिक चिकित्सा के क्षेत्र में 125 साल की हो गई इस कंपनी का अब कोई सानी यानि बराबरी नहीं है। आज वह देश का हर्बल और नेचुरल प्रॉडक्ट की सबसे बड़ी पेशेवर कंपनी बन गई है।

21 गुना ओवर सब्सक्राइब्ड डाबर का आईपीओ

1972 में डाबर का आपरेशन कलकत्ता से दिल्ली शिफ्ट हो गया। साहिबाबाद में विशाल फैक्ट्री, रिसर्च और डेवलपमेंट सेंटर बनाया गया। 1994 में डाबर अपना शेयर जारी किया। लोगों का कंपनी पर इस कदर भरोसा बन चुका था कि ये आईपीओ 21 गुना ज्यादा सब्सक्राइब किया गया।

1996 में डाबर को तीन हिस्सों में बांट दिया गया, हेल्थकेयर, फैमिली प्रोडक्ट और आयुर्वेदिक प्रोडक्ट। 1998 में डाबर परिवार से निकालकर प्रोफेशनल्स के हाथों में सौंप दी गई। पहली बार कंपनी को नॉन फैमिली प्रोफेशनल सीईओ मिला। साल 2000 में कंपनी का टर्नओवर पहली बार एक हजार करोड़ के आंकड़े के पार पहुंचा।

2005 में डाबर ने बल्सरा ग्रुप का 143 करोड़ रुपए में अधिग्रहण किया। यही कंपनी ओडोनिल जैसे हाइजीन प्रोडक्ट बनाती है। 2006 में डाबर का मार्केट कैप 2 बिलियन डॉलर पार कर गया। 2008 में कंपनी ने फेम केयर फार्मा का अधिग्रहण कर लिया। 2010 में डाबर ने होबी कॉस्मेटिक नाम की पहली विदेशी कंपनी का अधिग्रहण किया। 2011 में डाबर ने प्रोफेशनल स्किन केयर मार्केट में एंट्री की। इसी साल अजंता फार्मा की 30-प्लस का अधिग्रहण किया।

डाबर ने महामारी के दौरान क्या किया?

लॉकडाउन के दौरान डाबर प्रोडक्ट की बिक्री घटी तो उनके सीईओ ने बहुत आक्रामक तरीके से प्रोडक्ट लॉन्च करने का फैसला किया। डाबर के नौ प्रमुख ब्रांड हैं। डाबर च्यवनप्राश, डाबर हनी, डाबर हनीटस, डाबर पुदीन हरा, डाबर लाल तेल, डाबर आंवला, डाबर रेड पेस्ट, रियल जूस और वाटिका। इन्हीं 9 सेगमेंट में नए-नए प्रोडक्ट लॉन्च किए गए। डाबर का फोकस इनोवेशन और तुरंत फैसले लेने पर रहा है। यही वजह है कि कॉम्पिटीटर के शुरू करने से पहले ही डाबर अपना प्रोडक्ट लॉन्च कर देता है।

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Amit Gupta

Managing Editor @aajsamaaj , @ITVNetworkin | Author of 6 Books, Play and Novel| Workalcholic | Hate Hypocrisy | RTs aren't Endorsements

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