इंडिया न्यूज़(दिल्ली): सुप्रीम कोर्ट ने भारत सरकार के 1993 के मुस्लिम,ईसाई,सिख,जैन,पारसी और बौद्ध को राष्ट्रीय स्तर पर अल्पसंख्यक दर्जा देने वाले फैसले के खिलाफ और जिले स्तर पर अल्पसंख्यकों की पहचान करने वाली याचिका को दो हफ्ते के लिए टाल दिया.

न्यायमूर्ति श्रीपथ रविंद्र भट्ट और उदय उमेश ललित की बेंच के पास याचिका लगाई गई थी, याचिकाकर्ता की तरफ से वरिष्ठ वकील अरविन्द दत्तार पेश हुए,न्यायमूर्ति ललित ने पूछा की क्या आप अल्पसंख्यक के रूप में किसी विशेष संस्था की अधिसूचना को चुनौती दे रहे हैं? क्या यह कानून को चुनौती है? क्या आप इससे प्रभावित हैं? क्या यह वास्तव में आपकी स्थिति का दावा कहां कर रहा है? मान लीजिए पंजाब में एक सिख संस्था का दावा करना न्याय का उपहास है,कोर्ट ने कहा की जब तक हमें कोई ठोस स्थिति नहीं मिल जाती, तब तक हम इस मामले की सुनवाई नही कर सकते,जब तक कि अधिकारों का हनन नहीं हो रहा हो,इस पर याचिकाकर्ता के वकील ने एक हफ्ते का समय माँगा तो बेंच ने मामलो को दो हफ्ते के लिए टाल दिया.