Symptoms of Slip Disc हमारा रीढ़ की हड्डियों को गद्देदार डिस्क द्वारा कुशन किया जाता है। ये डिस्क रबड़ की तरह होती हैं जो हमारी रीढ़ की हड्डी को झटकों से बचाती हैं और उसे लचीला बनाए रखने में मदद करती हैं।
आजकल बुजुर्ग ही नहीं युवा भी पीठ दर्द और कमर दर्द जैसी समस्याओं से पीड़ित हैं। इसका मुख्य कारण गलत तरीके से उठना-बैठना है।
गलत पॉश्चर से ना सिर्फ हमारी पर्सनैलिटी खराब लगती है बल्कि रीढ़ की हड्डी से जुड़ी तमाम समस्याएँ भी पैदा होती हैं। गलत पॉश्चर के कारण हमारी रीढ़ की हड्डी की लचक खत्म हो जाती है जिसके कारण स्लिप डिस्क जैसी परेशानियां हो सकती हैं।
स्लिप डिस्क हमारी रीढ़ की हड्डी में ऊपर से नीचे की ओर सर्वाइकल स्पाइन में 7, थोरेसिक स्पाइन में 12 और लंबर स्पाइन में 5 हड्डियां शामिल होती हैं। ये हड्डियां डिस्क के जरिये जुड़ी हुई होती हैं।
हर डिस्क में दो हिस्से होते हैं, एक नरम आंतरिक हिस्सा और एक कठोर बाहरी रिंग। बाहरी रिंग के कमजोर होने पर डिस्क के आंतरिक हिस्से को बाहर निकलने का पैसेज मिल जाता है। इसे स्लिप डिस्क या हार्निएटेड डिस्क के रूप में जाना जाता है।
एक सर्वाइकल स्लिप डिस्क गर्दन में होता है, जो कि गर्दन के दर्द का सबसे आम कारणों में से एक है। यदि डिस्क तंत्रिका कोशिका पर दबाव डालती है, तो इसके अन्य लक्षणों में कंधे या हाथ में अकड़न या झुनझुनी जो उंगलियों पर भी आ सकती है तथा हाथ में दर्द और कमजोरी शामिल हो सकते हैं।
पसलियों के पिंजरे से जुड़े, थोरैसिक रीढ़ की हड्डी बहुत ज्यादा स्थिर और रीढ़ की हड्डी के दूसरे हिस्सों से बहुत कम झुकती है। और यही स्थिरता थोरैसिक डिस्क को नुकसान पहुंचाने के जोखिम कार्यों को कम कर देती है।
स्लिप डिस्क के अन्य सामान्य प्रकारों की तुलना में, थोरैसिक रीढ़ की हड्डी की स्थिति या संरचना में बदलाव दुर्लभ होता है। यही कारण है कि थोरैसिक स्लिप डिस्क बहुत कम देखने को मिलती है।
रीढ़ की हड्डी के निचले हिस्से में होता है,जो कि कमर दर्द का सामान्य कारण बनता है। चूंकि कमर से सम्बन्धित रीढ़ काफी वजन सहन करती है, और कई अलग-अलग दिशाओं में झुकती है।
लम्बर स्लिप डिस्क बहुत सामान्य कारणों में विकसित हो सकती है। एक हर्निएटेड या लम्बर स्लिप डिस्क निचले हिस्से में पीठ दर्द का कारण बन सकती है।
यह रीढ़ की हड्डी में किसी भी हिस्से में यह बीमारी हो सकती है, लेकिन पीठ के निचले भाग में यह समस्या होना आम है।
*शरीर के एकक तरफ के हिस्से में दर्द होना।
*हाथ से लेकर पैरों तक दर्द होना।
*रात के समय या फिर कोई गतिविधि करते समय दर्द होना।
*थोड़ी देर चलने से भी दर्द रहना।
*मांसपेशियों में कमजोरी होना।
*प्रभावित जगहों पर दर्द, जलन या फिर झुनझुनी रहना।
*बढ़ती उम्र
*खराब जीवनशैली
*खराब पॉस्चर में देर तक बैठे रहना
*कमजोर मांसपेशियां
*धूम्रपान
*भारी वजन उठाना
*मोटापा
*स्लिप डिस्क से बचाव
*वजन उठाते समय सावधानी बरतें। भारी वजन उठाने के दौरान पीठ के बल से उठाने के बजाय घुटनों को मोड़ कर वजन उठाएं।
*स्वस्थ वजन बनाए रखे।
*लंबे समय तक बैठे न रहें; समय-समय पर उठें और स्ट्रेचिंग करें।
* अपने आहार में विटामिन सी, डी, ई, प्रोटीन, और कैल्शियम की मात्रा बढ़ाएं।
* अपनी पीठ, पैरों और पेट की मांसपेशियों को मजबूत करने के लिए व्यायाम करें।
(Symptoms of Slip Disc)
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