इंडिया न्यूज, नई दिल्ली:
TDS Deduction On Salary Income: टैक्स ड़िडक्शन ऐट सोर्स यानी (टीडीएस)। यह एक ऐसी बला है, जिसका पाला हर साल नौकरी करने वाले व बिजनेस वालों से हर साल पड़ता है। खासकर वित्तवर्ष के अंतिम माह मार्च में यह और ज्यादा परेशान करता है। आइए जानते हैं इसके बारे में।
टीडीएस अलग-अलग तरीके से होने वाली कमाई जैसे सैलरी, ब्याज, कमीशन, डिविडेंड आदि पर लागू होता है। हालांकि यह सभी तरह के इनकम और ट्रांजैक्शन के लिए व्यक्तियों पर लागू नहीं होता है। पेमेंट्स और प्राप्तकतार्ओं की कैटेगरी के लिए इनकम टैक्स एक्ट, 1961 की ओर टीडीएस की विभिन्न दरें हैं।
यहां पेमेंट करने वाला व्यक्ति टैक्स काटने और उसे सरकार के पास जमा करने के लिए जिम्मेदार है। इस व्यक्ति को डिडक्टर के रूप में जाना जाता है। वहीं दूसरी ओर जो व्यक्ति टीडीएस के बाद पेमेंट प्राप्त करता है उसे ‘डिडक्टी’ कहा जाता है। फॉर्म 26 एएस एक स्टेटमेंट होता है, जो किसी विशेष वित्तीय वर्ष में किसी व्यक्ति के नाम/पैन में काटे और जमा किए गए टैक्स की रकम को दिखाता है।
पेमेंट करने वाली संस्था (जो टीडीएस के अधीन है) टैक्स के रूप में पेमेंट की गई रकम का एक निश्चित प्रतिशत काटती है। इसे प्राप्तकर्ता को बाकी रकम का पेमेंट करती है। प्राप्तकर्ता को डिडक्टर से एक प्रमाण पत्र भी मिलता है जो टीडीएस की रकम बताता है।
एक जुलाई 2022 से क्रिप्टो असेट्स के ट्रांसफर पर इनकम टैक्स एक्ट की धारा 194एस के तहत एक फीसदी की दर से टैक्स काटा जाएगा। विशिष्ट व्यक्ति (अन्य मामले में 10,000 रुपए) के मामले में ट्रांसफर रकम 50,000 रुपए से अधिक होने पर टैक्स काटा जाएगा ।
हमें यह याद रखना चाहिए कि किसी ट्रांजैक्शन पर टीडीएस केवल तभी काटा जाता है जब पेमेंट एक तय सीमा से ऊपर होता हो। विभिन्न पेमेंट्स जैसे सैलरी, ब्याज आदि के लिए इनकम टैक्स विभाग द्वारा अलग-अलग सीमा तय है। उदाहरण के लिए, एक साल में बैंक के फिक्स्ड डिपॉजिट पर 40 हजार रुपए से कम ब्याज मिल रहा है तो इस पर कोई टीडीएस नहीं होगा। वरिष्ठ नागरिकों के लिए एक वित्तीय वर्ष में यह सीमा 50,000 रुपए से ज्यादा है।
अगर किसी व्यक्ति को लगता है कि एक वित्तीय वर्ष में उसकी टोटल इनकम छूट की सीमा से कम होगी, तो वह पेमेंटकर्ता को फॉर्म 15 जी/15 एच जमा करके टीडीएस नहीं काटने के लिए कह सकता है। पेमेंट प्राप्त करते समय जो टीडीएस के अधीन है, ज्यादा रेट्स पर कर कटौती से बचने के लिए डिडक्टर को अपना पैन डिटेल्स देना जरूरी है।
टीडीएस की दर आपके द्वारा प्राप्त इनकम के प्रकार पर निर्भर करती है। प्रत्येक इनकम की अलग सीमा होती है और एक बार उस सीमा को इनकम टैक्स एक्ट में टीडीएस दर से क्रॉस कर लिया जाता है। काटे गए टीडीएस को रिफंड के रूप में दावा किया जा सकता है बशर्ते कि वित्तीय वर्ष के लिए आपकी टैक्स लायबिलिटी काटे गए टैक्स से कम हो। टीडीएस रिफंड का दावा करने के लिए, आपको इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने की आवश्यकता है।
TDS Deduction On Salary Income
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