इंडिया न्यूज, चंडीगढ़:
हरियाणा को ई-विधानसभा (E-Assembly) यानि कि पेपर लैस बनाने की प्रक्रिया तेज हो गई है। इस पर कुल 20 करोड़ का खर्च आना है। इसमें से कुल 60 फीसद राशि केंद्र द्वारा दी जानी सुनिश्वित हुई थी और बाकी 40 फीसद स्वयं हरियाणा को खर्च करनी थी। केंद्र द्वारा उसके हिस्से के 12 करोड़ दिए जा चुके हैं और बाकी प्रदेश के हिस्से के 8 करोड़ जल्द ही इस काम के लिए आने की उम्मीद है। इनको सेंक्शन करने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है।
विधानसभा को पेपरलैस करने को लेकर मिनिस्ट्री आॅफ पार्लियामेंटरी अफेयर्स के साथ हरियाणा का एमओयू (मेमोरेंडम ऑफ अंडरस्टेंडिंग) भी साइन हो चुका है। वहीं ये भी बता दें कि देश के कई राज्यों में विधानसभा का काम डिजिटल रूप से हो रहा है। गौरतलब है कि जब भी मुख्यमंत्री दिल्ली जाते हैं तो इस मामले पर भी गाहे बगाहे चर्चा होती रहती है। उम्मीद है कि ये प्रणाली जल्दी ही शुरू हो जाएगी।
मिली जानकारी विधानसभा के डिजिटल होने के बाद कई करोड़ रुपए की सालाना बचत होगी। विधानसभा की कार्यवाही के के दौरान बड़ी संख्या में कागज का इस्तेमाल किया जाता है। प्रश्नकाल, अध्यादेश, विधेयकों और ध्यानाकर्षण प्रस्ताव संबंधी को लेकर कागज का इस्तेमाल किया जाता है। ऐसे में पेपरलैस प्रणाली लागू होने के बाद कागज के इस्तेमाल से निजात मिलेगी। इसके अलावा पर्यावरण को संरक्षित करने में भी काफी मदद मिलेगी। इसके अलावा कागज की प्रिंटिंग , इनके वितरण में काफी स्टाफ की जरूरत पड़ती है। ऐसे कागज का उपयोग बंद होने से कई तरह के अन्य फायदे भी होंगे। उपरोक्त स्टाफ को किसी अन्य काम में इस्तेमाल किया जा सकेगा।
विधानसभा में कई तरह के तकनीकी व डिजिटल सुधार किए जाएंगे। ई-विधानसभा में मुख्यमंत्री, स्पीकर समेत नेता प्रतिपक्ष, केबिनेट मिनिस्टर्स और विधायकों के सामने बेंच पर एलईडी स्क्रीन लगाने का प्रावधान होगा। इससे काम करने में आसानी होगी। इन स्क्रीन पर सभी को विधानसभा की पूरी कार्यवाही दिखाई देगी । इसके जो भी सवाल किसी विधायक द्वारा पूछे जाते हैं और संबंधित मंत्री द्वारा दिए जाने वाले जवाब की पूरी जानकारी उनके सामने स्क्रीन पर एक टच में उपलब्ध होगी। इसके अलावा हिमाचल प्रदेश के पैटर्न पर अधिकारियों और मीडिया के लिए अलग से बैठने की व्यवस्था होगी। इसके अलावा विधानसभा की लाइब्रेरी का भी डिजिटलीकरण किया जाएगा।
हरियाणा से सटे पड़ोसी राज्य हिमाचल प्रदेश की विधानसभा को पेपरलैस किया जा चुका है। प्रदेश में इस दिशा में काम शुरू किए जाने से पहले हिमाचल प्रदेश की विधानसभा का दौरा यहां के विधायक व स्पीकर कर चुके हैं। दौरे का मकसद वहां पेपरलैस करने संबंधी सभी पहलुओं और वहां के कर्मचारियों की वर्किंग को समझना था। इसके अलावा ये भी समझना था इस पूरे सिस्टम को चलाने के लिए स्टाफ की ट्रेनिंग किस तरह होगी।
Punjab captures 13 percent of Haryana’s share in the Assembly
पिछले कुछ समय से हरियाणा और पंजाब के बीच विधानसभा इमारत में आपसी हिस्सा का विवाद निरंतर उठ रहा है। हरियाणा लगातार आरोप लगा रहा है कि पंजाब लंबे समय से इमारत में हरियाणा के हिस्से पर कब्जा जमाए है और इसको दिए जाने की मांग कर रहा है। जब हरियाणा अलग राज्य बना और पंजाब से अलग होते समय से संयुक्त फैसला लिया गया था कि पंजाब बड़े भाई की तरह है और ऐसे में इमारत का 60 फीसद हिस्सा पंजाब इस्तेमाल करेगा। हरियाणा के हिस्से 40 फीसद इमारत होगी। लेकिन हरियाणा का कहना है कि प्रदेश को इमारत में महज 27 फीसद हिस्सा ही मिला है। 13 फीसद हिस्से पर पंजाब का कब्जा है। ऐसे में जरुरत है कि या तो पंजाब हरियाणा को उसका पूरा हिस्सा दे
पंजाब द्वारा जगह हरियाणा का हिस्सा नहीं दिए जाने का मामला अमित शाह के भी संज्ञान में लाया जा चुका है। इसको लेकर हरियाणा का कहना है कि केंद्र सरकार हरियाणा को नई विधानसभा के निर्माण के लिए चंडीगढ़ में 10 एकड़ जमीन उपलब्ध करवाए। ये जगह वर्तमान विधानसभा के आस पास ही कहीं मिलनी चाहिए। अगर कुछ तकनीकी दिक्कतें पेश आती हैं तो चंडीगढ़ में ही किसी अन्य जगह पर ये जगह दी जाए। इसको लेकर स्पीकर ज्ञानचंद गुप्ता केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अमित शाह को पत्र भी लिख चुके हैं और मुलाकात कर चुके हैं। मुख्यमंत्री भी मामले को लेकर निरंतर एक्शन मोड में हैं।
हरियाणा विधानसभा के स्पीकर ज्ञानचंद गुप्ता ने कहा कि हरियाणा विधानसभा को डिजिटल-पेपरलैस करने की दिशा में काम हो रहा है। केंद्र से 12 करोड़ की राशि मिल चुकी है। बाकी हरियाणा का हिस्सा भी जल्द ही सेंक्शन होने वाला है। वहीं दूसरी पंजाब विधानसभा इमारत में हरियाणा हिस्से पर कब्जा जमाए हुए है। ये किसी भी लिहाज से उचित नहीं है, क्योंकि प्रदेश के केबिनेट मिनिस्टर्स के पास विधानसभा में बैठकर काम करने के लिए जगह तक नहीं है।
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