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Maha Saptami 2022: माँ कालरात्रि को समर्पित नवरात्रि का सांतवां दिन, सुख-सौभाग्य के लिए ऐसे करें पूजा

Divyanshi Bhadauria • LAST UPDATED : October 1, 2022, 3:50 pm IST

(इंडिया न्यूज़,The seventh day of Navratri dedicated to Maa Kalratri): नवरात्रि का पर्व बड़े धूमधाम से पूरे देश में मनाया जा रहा है। माँ दुर्गा के विभिन्न स्वरूपों की पूजा माँ के भक्तो द्वारा की जा रही है। माँ दुर्गा को तरह-तरह के भोग लगाए जा रहे है, तरह-तरह से माँ का श्रृंगार किया जा रहा है।

कल यानी 02 अक्टूबर को शारदीय नवरात्रि की सप्तमी तिथि है। नवरात्रि में सातवें दिन महासप्तमी पड़ती है। इस दिन मां दुर्गा की सातवीं स्वरूप मां कालरात्रि की पूजा-अर्चना की जाती है। सदैव शुभ फल देने के कारण इनको शुभंकरी भी कहा जाता है। मां कालरात्रि दुष्टों का विनाश करने के लिए जानी जाती हैं, इसलिए इनका नाम कालरात्रि है। मां दुर्गा की सांतवीं स्वरूप मां कालरात्रि तीन नेत्रों वाली देवी हैं। कहा जाता है जो भी भक्त नवरात्रि के सांतवें दिन विधि-विधान से मां कालरात्रि की पूजा करता है, उसके सारे कष्ट दूर हो जाते हैं। मां कालरात्रि की पूजा से भय और रोगों का नाश होता है। साथ ही भूत प्रेत, अकाल मृत्यु ,रोग, शोक आदि सभी प्रकार की परेशानियों से छुटकारा मिलता है। ऐसे में आइए जानते हैं मां कालरात्रि की पूजा की विधि और मंत्र।

पूजा विधि
सप्तमी तिथि के दिन ब्रह्म मुहूर्त में प्रातः स्नान करने के बाद पूजा आरंभ करनी चाहिए। स्नान के बाद माता के सामने घी का दीपक जलाएं। उन्हें लाल रंग के फूल अर्पित करें। मां कालरात्रि की पूजा में मिष्ठान, पंच मेवा, पांच प्रकार के फल, अक्षत, धूप, गंध, पुष्प और गुड़ नैवेद्य आदि का अर्पण किया जाता है।

इस दिन गुड़ का विशेष महत्व बताया गया है। मां कालरात्रि को गुड़ या उससे बने पकवान का भोग लगाएं। पूजा समाप्त होने के बाद माता के मंत्रों का जाप कर उनकी आरती करें। साथ ही दुर्गा चालीसा या दुर्गा सप्तशती का पाठ करें।

मंत्र

ऊं ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै ऊं कालरात्रि दैव्ये नम:
ॐ कालरात्र्यै नम:
ॐ फट् शत्रून साघय घातय ॐ
ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं दुर्गति नाशिन्यै महामायायै स्वाहा।

ध्यान मंत्र

एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता, लम्बोष्टी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्तशरीरिणी।
वामपादोल्ल सल्लोहलता कण्टक भूषणा, वर्धनमूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयङ्करी॥

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