लगभग सभी थर्मल पावर प्लांट में कोयले की कमी
इंडिया न्यूज, चंडीगढ़ :
आने वाले दिनों में यदि थर्मल पावर प्लांट में कोयले की आपूर्ति नहीं होती तो प्रदेशवासियों को बिजली कटों के लिए तैयार रहना होगा। जानकारी के अनुसार प्रदेश के ज्यादातर थर्मल प्लांट कोयले की भारी कमी से जूझ रहे हैं। इनके पास कुछ दिनों के लिए ही कोयले का स्टॉक बचा है। अधिकारियों का कहना है कि बारिश के चलते यह स्थिति बनी है। उन्होंने बताया कि देश के पूर्वी राज्य जहां से कोयले का आयात होता है वहां पिछले काफभ् समय से मानसून सक्रिय है। इससे जहां जरूरत से ज्यादा बारिश के चलते कोयला नहीं आ पाया वहीं अब बाढ़ के चलते कोयला आयात कर पाना मुश्किल हो रहा है। उन्होंने कहा कि यदि जल्द ही कोयले की आपूर्ति नहीं हुई और हालात न सुलधे तो प्रदेश की जनता को पावरकट का सामना करना पड़ सकता है।
जानकारी के अनुसार बिजली खरीद समझौते (पीपीए) के अनुसार, बिजली उत्पादन कंपनियों दोनों सरकारी और निजी को कम से कम 28 दिनों के लिए स्टॉक बनाए रखना होता है। लेकिन प्रदेश में ये बिजली उत्पादक कंपनियां स्टॉक की न्यूनतम निर्धारित मात्रा का रखरखाव कभी नहीं कर रहीं। एक रिपोर्ट के मुताबिक जीवीके इंडस्ट्रीज द्वारा संचालित 540 मेगावाट (मेगावाट) गोइंदवाल साहिब संयंत्र में कुछ ही दिन का ईंधन आरक्षित है। बठिंडा में लहरा मोहब्बत में सरकार द्वारा संचालित 920 मेगावाट के गुरु हरगोबिंद थर्मल प्लांट और रोपड़ में 840 मेगावाट के प्लांट में केवल 4 और 8 दिनों का स्टॉक बचा है। इसके साथ ही अन्य थर्मल प्लांट के पास भी काफी कम मात्रा में कोयला बचा है।
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