Tips to Increase Child Confidence : कहा जाता है कि बच्चों की अच्छी परवरिश ही एक अच्छे समाज के निर्माण में सबसे बड़ा योगदान है। पैरेंटिंग का मतलब बच्चे को जन्म देकर उसे पालना ही नहीं होता बल्कि सोसायटी में एक जिम्मेदार नागरिक भी बनाना होता है। आप जिस तरह अपने बच्चों के साथ बर्ताव करेंगे और जो बातें बचपन में सिखाएंगे जीवनभर बच्चे को याद रहेगा।
बड़े होने पर उनकी पर्सनैलिटी पर भी बचपन की परवरिश की झलक देखने को मिलती है। बचपन का अनुभव जीवन भर इंसान के आत्मविश्वास और आत्मनिर्भरता को बढ़ाता या घटाता है, जिसकी कुछ वजहें खुद माता-पिता की गलतियां भी होती हैं। ऐसे में हर माता-पिता को अपनी कुछ आदतें बदलने की जरूरत होती है। आइए जानते हैं वो कौन सी आदतें हैं जो माता-पिता को बदलनी चाहिए।
रिश बड़ा मुश्किल काम है। कई बार परिजनों के लिए तय करना कठिन हो जाता है कि बच्चों को समझाने का कौन सा तरीका ज्यादा सही है। पैरेंटिंग से जुड़ीं कुछ गलतियां कई बार बच्चों पर बुरा असर भी डालती हैं। बच्चों के साथ एक मजबूत रिश्ता स्थापित करना जरूरी होता है, इसलिए परिजनों को ऐसी गलतियां दोहराने से बचना चाहिए।
बच्चे की ग्रोथ में माता-पिता का मोटिवेशन बहुत मायने रखता है। ऐसे में हर बच्चा अपने माता-पिता से बड़ाई चाहता है। आपके लिए बच्चे की छोटी मोटी चीजें मजाक की बात लगती हों लेकिन हो सकता है कि आपसे प्रशंसा पाने के लिए बच्चे ने बहुत मेहनत की हो। उदाहरण के तौर पर अगर उसने कुछ बनाया और वह दिखने में सुंदर नहीं हुआ तो आप उसका मजाक ना बनाए। ऐसा करने से अगली बार वे प्रयास करना ही छोड़ देंगे।
कई परिवार में देखने को मिलता है कि बच्चों की तुलना हर बात में की जाती है। ऐसे में बच्चे के मन में दूसरे बच्चों के प्रति चिढ़ और जलन जैसी भावनाएं आ सकती है। बता दें कि हर बच्चा प्यारा होता है और सभी की अपनी आदतें होती हैं। ऐसे में अपने बच्चे की दूसरों के बच्चों से तुलना करने से बचें।
बचपन में कोई भी बच्चा हर चीज में परफेक्ट नहीं हो सकता। ऐसे में अगर बच्चा कोई एक्टिविटी कर रहा है तो उसे करने दें और हर वक्त उनमें कमी ना निकालें। कमियां निकालने की जगह उसकी अच्छी चीजों की तारीफ करें।
कई माता-पिता ऐसे होते हैं जो अपने सेटिस्फेक्शन के लिए बाहरी लोगों के सामने अपने बच्चों की शिकायतें करते रहते हैं। कई लोग तो सिर्फ गपशप करने के इरादे से बच्चे की बुराई करने लगते हैं। लेकिन बता दें कि इसका असर बच्चों के मन पर पड़ता है और बच्चे डिप्रेशन तक में चले जाते हैं। लंबे समय तक उनके मन में यह बात अटकी रह जाती है जिसका बाद में उनके आत्मविश्वास पर असर पड़ता है।
अगर बच्चों को हर बात पर पीटा जाता है तो उनके मन में यह बात घर कर जाती है कि वे बहुत बुरे हैं उन्हें कोई पसंद नहीं करता। वे खुद को सेफ महसूस नहीं करते और उनके अंदर असुरक्षा की भावना घर कर जाती है. इसका असर बड़े होने तक उनकी पर्सनैलिटी पर पड़ता है।
लोगों के लिए गुस्से पर काबू करना उस वक्त मुश्किल हो जाता है, जब बच्चे दूसरों के सामने मिसबिहेव या गलती कर देते हैं। दूसरों के सामने बच्चों को अनुशासन में रहने के लिए बाधित करने से वे शमिंर्दा या अपमानित महसूस करते हैं। इससे बच्चों के आत्मविश्वास और स्वाभिमान को ठेस पहुंचती है। बेहतर होगा कि आप बच्चों को दूसरों के सामने धमकाने की बजाय थोड़ा शांत रहें और सही समय आने पर उन्हें प्राइवेट में समझाएं।
Tips to Increase Child Confidence
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