India News (इंडिया न्यूज़), Tonk Vidhan Sabha Seat: राजस्थान की सियासी बिसात बिछ चुकी है। इंतजार है 25 नवंबर का। जब जनता अपना वोट करके साफ कर देगी की इस बार कौन जीत का स्वाद चखेगा। वोटिंग से पहले टोंक विधानसभा सीट की चर्चा तेज हो गई है। यहां कि सियासत में टोंक जिला बेहद हाई प्रोफाइल सीटों में से एक माना जाता है। यह सीट पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट के वजह से चर्चा में आई। इस जिले के अंदर 4 विधानसभा सीटें आती हैं। इनमें से 3 पर कांग्रेस तो वहीं एक सीट पर भारतीय जनता पार्टी काबिज है। इस बड़े अंतर से आपको अंदाजा लग गया होगा कि यहां जनता किसके पक्ष में है। इसका जवाब औऱ साफ कर देते हैं यहां कांग्रेस का कब्जा है। सचिन पायलट यहां से विधायक हैं। दोबारा जीत का बिगुल फूंकने के लिए कांग्रेस ने एक बार फिर से पायलट को यहां का कमान दे दिया है।
वहीं भाजपा ने भी टोंक विधानसभा सीट पर तीसरी लिस्ट में आखिर अपने पत्ते खोल दिए। पूर्व विधायक अजीत सिंह मेहता को यहां से उतार कर मास्टर स्ट्रोक खेला है। जीत का सेहरा किसके सिर सजेगा ये तो वक्त ही बताएगा लेकिन उससे पहले यहां का सियासी समीकरण के बारे में जान लेते हैं।
रियासत की राजधानी
टोंक VVIP विधानसभा सीटों में शुमार है। 1817 से 1947 तक टोंक ब्रिटिश भारत के दौर में उसी नाम की रियासत की राजधानी भी थी। टोंक शहर को ‘राजस्थान का लखनऊ’, ‘मीठे खरबूजों का चमन’ ‘रोमांटिक कवि अख्तर श्रीरानी की नगरी’, ‘अदब का गुलशन’, नाम से भी जाना जाता था।
वोटर और आबादी
- 2018 के चुनाव की बात करें तो उस समय टोंक विधानसभा सीट पर 9 उम्मीदवार आमने सामने थें।
- 2018 का मुकाबला खास कर कांग्रेस के सचिन पायलट और बीजेपी के यूनुस खान के बीच चली।
- उस समय सचिन पायलट को 109,040 वोट मिले।
- वहीं यूनुस खान को 54,861 वोट मिलें।
- पायलट ने 54,179 (31.9%) मतों से भाजपा के उम्मीदवार को हरा दिया।
साल 2018 में टोंक विधानसभा सीट पर कुल मतदाता;
- 2,19,613 वोटर्स थे
- पुरुष वोटर्स की संख्या 1,13,400 थी
- महिला वोटर्स की संख्या 1,06,211 थी.
- कुल 1,70,081 (78.1%) वोटर्स ने वोट दिए।
- इस चुनाव में NOTA के पक्ष में 1,485 (0.7%) वोट डाले गए थें।
राजनीतिक इतिहास
अगर इसके राजनीतिक इतिहास में जाएंगे तो पता चलेगा कि अब तक किसका दबदबा यहां बना हैं। साल 1990 से लेकर अब तक कांग्रेस को 3 बार जीत हासिल हुआ। है। वहीं बीजेपी ने 4 बार जीत का स्वाद चखा। साल 1990 में बीजेपी की ओर से महावीर प्रसाद जैन ने पिछले चुनाव में मिली हार का बदला लेते हुए कांग्रेस की जकिया को मात दिया था। इसके बाद 1993 के चुनाव में महावीर प्रसाद जैन लगातार दूसरी बार जीत की टोपी पहने। फिर 1998 में खेल बदला और कांग्रेस की जकिया ने जीत हासिल की।
इस सीट पर चुनाव में जाकिया और महावीर प्रसाद जैन के बीच ही मुकाबला चलता रहा। एक बार फिर से 2003 के चुनाव में महावीर प्रसाद जैन ने जकिया को मात दिया। फिर साल 2008 के चुनाव में जकिया ने महावीर प्रसाद जैन को शिकस्त दी। साल 2013 कांग्रेस के लिए अच्छा नहीं रहा और बड़ा झटका लगा। जकिया चुनाव में तीसरे नंबर पर बने रहे फिर उनकी जमानत भी जब्त हो गई। तब अजित सिंह मेहता ने यहां पर बड़ी जीत दर्ज की। 2018 में कांग्रेस ने फिर से जीत का सहरा पहना जब सचिन पायलट की एंट्री हुई।
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