India News(इंडिया न्यूज),UP News: उत्तर प्रदेश में बीजेपी ने पूर्व डिप्टी सीएम डा.दिनेश शर्मा के इस्तीफे के बाद खाली हुई विधानपरिषद सीट के लिए पूर्व मंत्री दारा सिंह चौहान को प्रत्याशी घोषित कर दिया है। वह 18 को अपना नामांकन करेंगे। उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल की पिछड़ी जाति से आने वाले दारा सिंह चौहान जुलाई में ही सपा छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए थे।

दारा घोसी से सपा विधायक थे। बीजेपी ने उन्हें उनके इस्तीफे से खाली हुई घोसी विधानसभा सीट से चुनाव लड़ाया पर वह चुनाव हार गए। अब बीजेपी फिर से उन्हें एमएलसी बनाने जा रही है। एमएलसी बनाने के बाद उन्हें राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह के बाद संभावित मंत्रिमंडल विस्तार में मंत्री बनाने की भी तैयारी है।

निर्विरोध एमएलसी बनना तय

विधानपरिषद की एक खाली सीट के लिए मतदान भले ही 30 जनवरी को होगा, लेकिन पूर्व मंत्री दारा सिंह चौहान का निर्विरोध एमएलसी चुना जाना तय माना जा रहा है। दारा सिंह को बीजेपी ने मंगलवार को विधानपरिषद उपचुनाव के लिए अपना प्रत्याशी घोषित किया है।

यह भी संभावना जताई जा रही है कि बीजेपी के पास विधायकों की सबसे ज्यादा संख्या को देखते हुए अब इस चुनाव के लिए कोई और दल अपना प्रत्याशी न खड़ा करे। दारा के एमएलसी बनने के बाद प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के बाद संभावित मंत्रिमंडल विस्तार में उनका मंत्री बनना भी तय माना जा रहा है।दारा पिछली योगी सरकार में बीजेपी में थे और सरकार में मंत्री भी बनाए गए थे। 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले दारा बीजेपी छोड़कर समाजवादी पार्टी में चले गए थे। सपा से चुनाव लड़कर वह मऊ जिले की घोसी विधानसभा सीट से विधायक चुने गए।

पहली बार बसपा से राज्यसभा सांसद

जुलाई में वह फिर से बीजेपी में आ गए और घोसी विधानसभा सीट से इस्तीफा दे दिया। हालांकि इसके बाद हुए उपचुनाव में वह अपनी ही विधानसभा सीट हार गए। इसके बाद से उन्हें लेकर अलग-अलग तरह के कयास लगाए जा रहे थे। हाल ही में वह केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से मिले थे। जब राज्यसभा सांसद बन चुके पूर्व डिप्टी सीएम डा.दिनेश शर्मा ने अपनी एमएलसी सीट से इस्तीफा दिया तो यह माना जाने लगा कि वह इस सीट से एमएलसी बन सकते हैं।

हर दल में रह चुके हैं दारा

कभी बीजेपी के ओबीसी मोर्चे के राष्ट्रीय अध्यक्ष रह चुके दारा सिंह चौहान ने अपनी सियासी पारी कांग्रेस से शुरू की थी। दारा 1996 में पहली बार बसपा से राज्यसभा सांसद बने। चार साल में ही उनको सपा भा गई और बसपा से इस्तीफा दे दिया। सपा ने भी उन्हें राज्यसभा भेजा। 2006 में दारा का राज्यसभा कार्यकाल खत्म हुआ और 2007 में यूपी की सत्ता में बसपा आ गई।

दारा फिर बसपाई हो गए और 2009 में घोसी लोकसभा से बसपा के सांसद बने। मायावती ने उन्हें लोकसभा में पार्टी का नेता भी बनाया। 2014 में मोदी लहर में घोसी में दारा अपनी सीट नहीं बचा पाए तो 2015 में भाजपा में ही पहुंच गए। 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने उन्हें मऊ से चुनाव लड़ाया। जीत कर योगी मंत्रिमंडल में वन व पर्यावरण मंत्री बने। चुनाव के ठीक पहले उन्हें सपा में उम्मीद नजर आई और पार्टी बदल ली थी। बीजेपी की सरकार बनी तो वह फिर से बीजेपी में आए गए।

दारा की जाति है असरदार

बीजेपी पूर्वांचल में अति-पिछड़े वोटों की लामबंदी में जुटी हुई है। 2019 के लोकसभा चुनाव में उसे इस इलाके में आजमगढ, लालगंज, घोसी, गाजीपुर, जौनपुर में हार मिली थी। विधानसभा चुनाव में भी इन लोकसभा क्षेत्र वाले जिलों में प्रदर्शन खराब था। इसलिए, पार्टी यहां की प्रभावी बिरादरी के चेहरों को जोड़ने में लगी है।

सक्रिय राजनीति से किनारे

चूंकि दारा भी अति पिछड़ी नोनिया चौहान बिरादरी से आते हैं, जो पूर्वांचल के कई जिलों में अलग-अलग इलाके में अपना दखल रखती है। इस क्षेत्र में इसी जाति से आने वाले कभी बीजेपी के प्रभावी नेता रहे फागू सिंह चौहान राज्यपाल बन चुके हैं और विरासत बेटे को सौंप सक्रिय राजनीति से किनारे हैं।

बीजेपी के पास अब इस बिरादारी का दमदार नेता नहीं है। गाजीपुर,मऊ, आजमगढ़, बलिया, देवरिया, बस्ती जिलों में इनकी संख्या चुनाव में यह बिरादरी अगर बीजेपी को मदद करती है तो उसके लिए खासतौर पर आजमगढ़, लालगंज, घोसी, गाजीपुर और जौनपुर लोकसभा सीटों को जीतने में मदद मिलेगी।

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