Vidya Balan Playe Journalist Role

इंडिया न्यूज़, नई दिल्ली। इस मूवी का बस नाम ही ‘जलसा'(jalsa) है, बाकी समय तो सारे किरदार किसी ना किसी परेशानी से जूझते से लगते हैं। इसकी कहानी सच्ची कहानी बताई गई है। कहानी है एक टीवी चैनल की सीईओ पत्रकार माया मेनन की, जो अपने पति (Manav Kaul) से कभी की अलग हो चुकी है और अपनी मां (रोहिणी हट्टंगड़ी) और 10 साल के बेटे आयुष (सूर्या) के साथ रहती है, जो सेरेबल पल्सी का शिकार है, ना ढंग से चल पाता है और ना ढंग से बोल पाता है, फिर भी अपना यूट्यूब चैनल खुद चलाता है।

Vidya Balan Playe Journalist Role

घर में एक और अहम सदस्य है रुखसाना (shefali shah), उस घर में काम करने वाली मेड, जिसके 2 बच्चे हैं, एक आयुष की उम्र का है, जो अक्सर उसके साथ मस्ती करता है, वीडियो गेम खेलता है तो एक जवान बेटी है (कशिश रिजवाना), जो सोशल मीडिया पर रील भी बनाती है। कहानी उसी से आगे बढ़ती है, जब वो रात को एक लड़के दोस्त के साथ बाइक पर घूमने निकलती है, लड़का मौके का फायदा उठाकर किस करने की कोशिश करता है, तो लड़की भागती है और सड़क पर आते ही एक कार उसे उड़ा देती है।

एक एक्सीडेंट के इर्द-गिर्द है कहानी
उस कार को चला रही होती है माया मेनन, जिसके घर में उसकी मां मेड होती है। कार रुकती भी है, लेकिन घायल पड़ी लड़की को देखकर माया घबरा जाती है और वो लड़का भी, दोनों उसे तड़पता छोड़कर भाग जाते हैं। यहीं से कश्मकश शुरू होती है, कि कैसे कार को छुपाया जाए, सीसीटीवी से कैसे बचा जाए, मेड को कहीं पता ना चल जाए। इधर उसी के मीडिया समूह की एक नई रिपोर्टर रोहिणी (विधात्री) उस केस की परतें खोलने पर लग जाती है, लेकिन हॉस्पिटल में पड़ी उस लड़की को खुद पता नहीं था कि किसने मारा है।

सीसीटी का है खेल
जाहिर है डायरेक्टर उस कहानी में एक और पेच लेकर आता है कि सीसीटीवी किसी नेता के पोस्टर लगाते वक्त छुप जाता है। लेकिन उससे पहले कुछ एक पुलिसवाला उन पोस्टर वालों से रिश्वत लेते सीसीटीवी में कैद हो जाता है, लेकिन बाद में सीसीटीवी पोस्टर के पीछे छुप जाता है। पुलिस वाले उस नेता से रुखसाना को मोटी रकम दिलवाकर केस वापस लेने का दवाब डालते हैं और इसमें कामयाब भी होते हैं, लेकिन रुखसाना को वो लड़का बता देता है कि असल में एक्सीडेंट किसने मारा था।

दर्शकों का बीपी बढ़ाने की हुई पूरी कोशिश
ऐसे में डायरेक्टर के सामने दो मुश्किलें थीं कि कैसे फिल्म का क्लाइमेक्स फिल्माया जाए और कैसे फिल्म के टाइटिल ‘जलसा’ को फिल्म की कहानी से जोड़ा जाए और यही दो वजह हैं, जो मूवी की कामयाबी पर सीधा असर डालते दिखाई देंगे, ना ही आप टाइटिल वाली कहानी से प्रभावित हो पाते हैं और ना ही क्लाइमेक्स उतना अच्छा लगता है। हालांकि दर्शकों का बीपी बढ़ाने की पूरी कोशिश डायरेक्टर ने की है।

विद्या और शेफाली के अलावा इन्होंने ने भी की दमदार एक्टिंग
फिल्म का सबसे बेहतरीन पक्ष है दो लोगों की एक्टिंग, यहां बात शेफाली शाह और विद्या बालन की नहीं है। क्योंकि दोनों ही बेहतरीन फॉर्म में हैं, उनकी एक्टिंग पर सवाल उठने का कोई सवाल ही नहीं है, बल्कि। दोनों को ही बिल्कुल अलग किस्म के रोल मिले हैं, जिसमें वो चौंकाती हैं। चर्चा तो आयुष का रोल करने वाले सूर्या और पत्रकार रोहिणी का किरदार करने वाली विधात्री की होगी, दोनों ने ही बहुत ही शानदार एक्टिंग की है, खासतौर पर सूर्या ने।

क्लाइमेक्स पर फिल्म पड़ी कमजोर
फिल्म में सस्पेंस नाम की चीज तो है, लेकिन आमतौर पर वेबसीरीज में जैसा रचा जाता है, वैसा नही हैं, सो फिल्म मोटे तौर पर कमजोर लगती है और रही सही कसर उसका क्लाइमेक्स पूरी कर देता है। दिलचस्प बात ये है कि बिल्कुल इसी तरह की एक्सीडेंट की कहानी पर जी5 पर एक वेबसीरीज ‘ब्लडी ब्रदर्स’ भी आई है।

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