India News(इंडिया न्यूज),Lok Sabha Election 2024: अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) देश में एक बड़ा मतदाता वर्ग है। राजद और सपा जैसे समाजवादी दलों के साथ आगे बढ़ रही कांग्रेस करीब एक साल से सामाजिक न्याय का मुद्दा उठाकर केंद्र में सत्तारूढ़ भाजपा को घेरने की कोशिश कर रही है। विपक्ष के अघोषित संयुक्त अभियान का नेतृत्व कर रहे राहुल गांधी पूरे देश में घूम-घूम कर आबादी के हिसाब से सत्ता में सबकी हिस्सेदारी का नारा बुलंद कर रहे हैं, इसकी वजह यह है कि विपक्ष की नजर ओबीसी के बड़े वोट बैंक पर है ।
बीजेपी भी इससे अनजान नहीं है। पहले कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न देकर और फिर लोकसभा चुनाव की घोषणा से कुछ दिन पहले हरियाणा में मनोहर लाल की जगह ओबीसी समुदाय के नायब सिंह सैनी को सरकार की कमान सौंपकर बीजेपी ने यह संकेत दे दिया है कि अब कुछ नहीं होने वाला है। उसके तरकश में तीरों की कमी हो गई। मध्य प्रदेश के नए मुख्यमंत्री डॉ। मोहन यादव पहले से ही बिहार और उत्तर प्रदेश के ओबीसी वर्ग को अपना तरीका बदलने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं।
कांग्रेस के उत्तराधिकारी के रूप में राहुल गांधी ने हाल के दिनों में ओबीसी वोट बैंक के जिस महत्व को समझा है, उसका एहसास उत्तर प्रदेश में मुलायम सिंह यादव और बिहार में लालू प्रसाद को लगभग चार दशक पहले ही हो गया था। दोनों ने एक ही लाइन पर चलते हुए राजनीति का फार्मूला बदल दिया।
आज भी उनकी पार्टियां पुराने रास्ते पर चलते हुए प्रासंगिक बनी हुई हैं। कांग्रेस ने इस मामले में देर से कदम रखा। अगर उन्हें आजादी के समय ही राजनीतिक करवट का अंदाजा हो गया होता तो शायद आज वह ऐसी स्थिति में नहीं होतीं। तब सिर्फ एससी-एसटी को आरक्षण दिया जाता था।
यह भी पढ़ेंः- डोनाल्ड ट्रंप ने दी प्रिंस हैरी को कड़ी चेतावनी, जानें क्या कहा
गर्दिश में रहने वाली अन्य जातियों की पहचान के लिए काका कालेलकर की अध्यक्षता में एक आयोग का गठन किया गया। आयोग ने 1955 में अपनी रिपोर्ट भी प्रस्तुत कर दी थी, लेकिन इसे तहखाने में रखकर छोड़ दिया गया। कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व चाहता तो सिफ़ारिशों को लागू कर उन्हें वोटों में तब्दील कर सकता था। दूसरी पहल 1977 में कांग्रेस के विरोध में बनी जनता सरकार ने बीपी मंडल की अध्यक्षता में एक आयोग बनाकर की।
आयोग ने 1980 में अपनी रिपोर्ट सौंपी, लेकिन कांग्रेस की इंदिरा गांधी और राजीव गांधी की सरकारों ने इसे फाइलों में दबा दिया। तीसरी पहल वीपी सिंह सरकार ने 1990 में मंडल आयोग की सिफ़ारिशों को लागू करके की, जो एक दशक से किसी उद्धारकर्ता की प्रतीक्षा कर रही थी। कांग्रेस फिर चूक गई। यहां तक कि विपक्ष के नेता के तौर पर राजीव गांधी ने भी सदन में इसका विरोध किया था।
यह भी पढ़ेंः- बैंकॉक-लंदन फ्लाइट में यात्री ने आत्महत्या का किया प्रयास, आपातकालीन लैंडिंग कराई
इस बार 96.8 करोड़ मतदाता हैं, जिनमें सबसे बड़ी संख्या ओबीसी की है। केंद्र की ओबीसी सूची में कुल 2,479 जातियां हैं। राज्यों की सूची अलग है। संख्याएँ भी भिन्न-भिन्न होती हैं। कहीं 50 प्रतिशत तो कहीं 10 प्रतिशत ओबीसी है। इन जातियों का वोटिंग ट्रेंड अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग है।
नरेंद्र मोदी को केंद्र में शीर्ष पर पहुंचाने में ओबीसी की बड़ी भूमिका है। राज्यों में मुलायम सिंह यादव, लालू प्रसाद और नीतीश कुमार की राजनीति भी ओबीसी फैक्ट्री से ही निकली। आज भी कई राज्यों में राजनीतिक दलों का भविष्य ओबीसी मतदाताओं के मूड पर निर्भर करता है।
चुनाव आयोग के पास ऐसा कोई डेटा नहीं है जो बता सके कि किस वर्ग ने किस पार्टी को वोट दिया, लेकिन लोकनीति सीएसडीएस का सर्वे बताता है कि 2009 के बाद से कांग्रेस का ओबीसी वोट घट रहा है और बीजेपी का बढ़ रहा है। 2009 में बीजेपी को सिर्फ 22 फीसदी ओबीसी वोट मिले थे, जो 2014 में बढ़कर 41 फीसदी और 2019 में 48 फीसदी हो गए।
यह भी पढ़ेंः- Obama Meets Sunak: ब्रिटिश पीएम ऋषि सुनक से मिलने पहुंचे बराक ओबामा, इन मुद्दों पर हुई चर्चा
India News(इंडिया न्यूज)Mahakumbh 2025: उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ के वीडियो आए दिन…
India News (इंडिया न्यूज),Indore News: MP के इंदौर तेजाजी नगर बायपास पर रविवार शाम को लिक्विड…
Benefits of Cardamom for Mens: पुरुषों में बन रहे बड़े से बड़े गुप्त रोग को…
India News(इंडिया न्यूज)Neeraj Kumar Targeted Pashupati Paras: बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक सरगर्मी बढ़…
India News (इंडिया न्यूज),Indore News : इंदौर के देवी अहिल्या बाई इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर यदि…
Who Will Conduct Dwearing-in Donald Trump: ट्रंप का शपथ ग्रहण समारोह जल्द शुरू होने वाला…