India News(इंडिया न्यूज),Munger Lok Sabha Seat: चुनाव आयोग ने आगामी लोकसभा चुनाव के तारीख की घोषणा कर दी है। पूरे देश में कुल 7 चरणों में चुनाव होने को है। वहीं, बिहार के मुंगेर लोकसभा सीट इस बार काफी चर्चाओं में है। बिहार में इस बार फिर से जदयू का NDA में शामिल होना चुनावी रणनीति में एक नया मोड़ ला दिया है। इस कारण से मुंगेर सीट पर उम्मीदवार के नाम की घोषणा को लेकर NDA और INDIA गुट दोनो को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।
हालांकि, मुंगेर लोकसभा सीट पर चुनाव काफी दिलचस्प होने जा रहा है। आरजेडी के सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव अपने अंदाज में राजनीतिक विसात को अगड़ा बनाम पिछड़ा कर रही है। INDIA गुट के तरफ से कयास लगाया जा रहा है कि मुंगेर लोकसभा सीट पर नवादा के बाहुबली अशोक महतो को मैदान में उतार सकते हैं। वहीं, एनडीए की ओर से जेडीयू के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह का चुनावी मैदान में उतरना लगभग तय है।
NDA के तरफ से ललन सिंह को टिकट मिलने के पीछे कई कारण हैं। जातिवाद में संलिग्ण बिहार की राजनीति में भूमिहार बाहुल्य क्षेत्र होने के चलते ललन सिंह पहले से बढ़त बनाए हुए हैं। ललन सिंह 2009 और 2019 में इस सीट से सांसद का चुनाव जीत चुके है। 2009 में उन्हें 57% वोट जबकि 2019 में 51% वोट से जीत कर लोकसभा के सांसद चुने गए थे। जहां तक की इस क्षेत्र में यादवों का भी बोलबाला है। साथ ही आरजेडी के पूर्व दिग्गज नेता प्रह्लाद यादव के एनडीए में आने से ललन सिंह की स्थिति और मजबूत हो गई है। आलम यह है कि इंडी गठबंधन को ललन सिंह के खिलाफ कोई उम्मीदवार नहीं मिल रहा है।
भूमिहार और कुर्मी वोट ललन सिंह के साथ है। चिराग के एनडीए में रहने से पासवान वोट भी ललन सिंह को मिल सकता है। वहीं प्रहलाद यादव के आने से यादव वोट भी इस बार एनडीए को मिलना तय है। इतनी मजबूत स्थिति में होने के बाद भी लालू ने अशोक महतो को मैदान में लाकर मुंगेर लोकसभा सीट को दिलचस्प बना दिए है।
इधर ललन सिंह के खिलाफ में इंडिया गुट पिछड़ों का मसीहा अशोक यादव को मैदान में लाने की तैयारी में लगा हुआ है। हाल ही में अशोक यादव जेल से रिहा हुए हैं। कई अपराधिक मामलों के वजह से अशोक यादव 17 वर्षों से जेल की सजा काट रहे थे। पिछड़ा वोट बैंक साथ ही कोइरी और कुर्मी की वोट साधने के लिए लालू यादव भूमिहार के खिलाफ उसे उतार कर मुंगेर लोकसभा सीट को अगड़ा बनाम पिछड़ा बनाने की कोशिश की है।
बता दें कि कई क्षेत्रीय नेताओं के साथ ही 2005 में लोक सभा सांसद राजो सिंह की हत्या के लिए अशोक महतो गिरोह को ही जिम्मेदार माना जाता है। इस हत्याकांड के उपरांत इस गिरोह के प्रमुख सदस्य अशोक महतो को गिरफ्तार कर लिया गया था परन्तु 2002 में वे नवादा जेल से भागने में कामयाब रहे। अब नवंबर 2023 में जेल से छूटने बाद अशोक महतो खुद चुनाव नहीं लड़ सकता है। इसलिए 60 साल की उम्र में शादी करने जा रहा है ताकि उसकी होने वाली पत्नी ललन सिंह के खिलाफ चुनावी मैदान में उतर सके। अशोक महतो को पिछड़ों का नेता माना जाता है। देखना होगा लालू की यह रणनीति कितनी कारगर साबित होती है।
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