India News (इंडिया न्यूज),Phase 7 Voting: लोकसभा चुनाव के सातवें और अंतिम चरण में 8 राज्यों की 57 सीटों पर 1 जून को मतदान है। इसमें हिमाचल से लेकर पंजाब, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, ओडिशा और बिहार की सीटों के चुनाव शामिल हैं। पिछले दो लोकसभा चुनावों में भाजपा लगातार करीब आधी सीटें जीत रही है और सत्ता में आ रही है, जबकि कांग्रेस का राजनीतिक आधार खिसक रहा है। इस चरण में 17 संसदीय सीटें हैं, जहां वोटिंग पैटर्न इस बार पूरा खेल बदल सकता है।
सातवें चरण की जिन 57 सीटों पर शनिवार को चुनाव हो रहे हैं, वहां 2019 में भाजपा का पलड़ा भारी था। 57 सीटों में से 2014 और 2019 में भाजपा 25 सीटें जीतने में सफल रही थी। कांग्रेस ने 2014 में तीन और 2019 में आठ सीटें जीती थीं। कांग्रेस पंजाब की बदौलत ही अपनी इज्जत बचा पाई थी। इसके अलावा टीएमसी ने 9 और बीजेडी ने 4 सीटें जीती थीं, जबकि जेडीयू और अपना दल (एस) ने दो-दो लोकसभा सीटें जीती थीं। जेएमएम एक सीट जीतने में सफल रही थी।
सातवें चरण की 17 सीटों का खेल
लोकसभा चुनाव के सातवें चरण में 17 लोकसभा सीटें ऐसी हैं, जहां वोटों के उलटफेर से राजनीतिक दलों का पूरा खेल बिगड़ सकता है। ये सीटें कुछ के लिए उम्मीद जगा रही हैं तो कुछ के लिए तनाव का कारण बन रही हैं। इनमें छह सीटें ऐसी हैं, जिन पर 2019 के लोकसभा चुनाव में जीत-हार का अंतर दो फीसदी से भी कम था। इसके अलावा 11 सीटें ऐसी हैं, जिन पर हर चुनाव में खेल बदल जाता है। इन सीटों पर हर चुनाव में मतदाता अपना मूड बदल लेते हैं।
पिछले चुनाव में जिन छह सीटों पर मुकाबला काफी कड़ा था, उनमें पंजाब की जालंधर, बठिंडा, उत्तर प्रदेश की बलिया और चंदौली, ओडिशा की बालासोर और बिहार की जहानाबाद सीट शामिल हैं। इन सीटों पर जीत-हार का अंतर दो फीसदी से भी कम था। जहानाबाद में जेडीयू के चंद्रशेखर महज 1,751 वोटों से जीते थे। बालासोर सीट पर बीजेपी के प्रताप चंद्रा 12,956 वोटों से जीते थे।
महेंद्र नाथ पांडे 13,959 वोटों से जीते
चंदौली में भाजपा के महेंद्र नाथ पांडे 13,959 वोटों से जीते। बलिया सीट पर भाजपा के वीरेंद्र सिंह मस्त 15,519 वोटों से जीते। बठिंडा सीट पर अकाली दल की हरसिमरत कौर 21772 वोटों से जीतीं। जालंधर सीट पर कांग्रेस के संतोख सिंह 19,491 वोटों से जीते। 2024 के चुनाव में कम अंतर वाली इन छह सीटों पर अगर कुछ वोटर इधर-उधर हो गए तो खेल बदल सकता है।
सातवें चरण की सीटों का विश्लेषण करें तो 11 लोकसभा सीटें ऐसी निकलती हैं जहां पिछले तीन चुनावों में कोई भी पार्टी सीट नहीं बचा पाई है। इसमें उत्तर प्रदेश की गाजीपुर, घोसी, रॉबर्ट्सगंज और मिर्जापुर सीटें शामिल हैं। पंजाब की आनंदपुर साहिब, फरीदकोट, फतेहगढ़ साहिब और पटियाला सीटें भी शामिल हैं। इसके अलावा ओडिशा की बालासोर, बिहार की जहानाबाद और काराकाट सीट भी है। 2019 में भाजपा ने 2 सीटें, अपना दल (एस) ने 2 सीटें, बसपा ने 2 सीटें और कांग्रेस ने 4 सीटें जीती थीं। जदयू ने एक सीट जीती थी।
भाजपा के लिए सबसे बड़ी चुनौती!
अगर 2024 के लोकसभा चुनाव में भी यही सिलसिला जारी रहा तो कांग्रेस को सबसे बड़ा झटका लगेगा, क्योंकि उसके पास चार सीटें हैं। कम अंतर वाली सीटों पर नजर डालें तो भाजपा के लिए यह सबसे बड़ी चुनौती होगी। हालांकि, पिछले चुनाव के सातवें चरण में भाजपा ने 28 सीटों पर 40 फीसदी और 12 सीटों पर 30 से 40 फीसदी वोट हासिल किए थे। वहीं, कांग्रेस को 18 सीटों पर 10 फीसदी से भी कम वोट मिले थे। इस वजह से सातवें चरण की लड़ाई वाकई देश में सत्ता की आखिरी लड़ाई है। देखना यह है कि किसका पलड़ा भारी रहता है।
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