India News (इंडिया न्यूज), अजीत मेंदोला, नई दिल्ली: कांग्रेस के गांधी परिवार के पास यही समय है कि जब वह पुरानी बातें भूल भाजपा सांसद वरुण गांधी को गले लगा बड़ा दिल दिखाएं।वरुण तो एक बार नहीं कई बार बड़ा दिल दिखा चुके हैं।अभी उन्होंने जिस तरह से रायबरेली से अपनी बहन प्रियंका के खिलाफ चुनाव लड़ने से इंकार कर दिया यह अपने आप में उन्होंने बड़ी बात की है।वह भी तब जब वह जानते हैं कि इससे उनका बड़ा नुकसान होगा।बीजेपी अब उन पर भरोसा नहीं करेगी।निश्चित तौर पर वरुण के इस फैसले पर प्रियंका गांधी ने उनका धन्यवाद किया होगा,क्योंकि दोनों के बीच संवाद की खबरें आती रहती हैं।अच्छा होता प्रियंका गांधी इस मौके का फायदा उठा वरुण को रायबरेली से चुनाव लड़ने के लिए न्योता देती।
इसका सबसे बड़ा असर यह होता कि उत्तर प्रदेश में कांग्रेस को चेहरा मिल जाता और पार्टी रिचार्ज होती।अभी आम चुनाव जिस दिशा की तरफ बढ़ रहा है उसमें कांग्रेस को ताकत ही मिलती।गांधी परिवार को इस समय उन सलाहकारों की जो वरुण गांधी को पार्टी में नहीं आने देना चाहते हैं कि सलाह अनसुनी कर अपने दिमाग से फैसला करना चाहिए।मौका भी है समय भी है इसको गांधी परिवार को चूकना नहीं चाहिए।वरुण गांधी ने जब से राजनीति में कदम रखा रिश्तों का पूरा मान रखा।कभी भी न तो परिवार के खिलाफ और ना ही कांग्रेस पार्टी के खिलाफ कभी कुछ बोला।यही नहीं 2019 लोकसभा चुनाव के समय अमेठी से जब राहुल गांधी की हारने की खबरें आ रही थी तो वरुण गांधी ने बहुत ही सूझबूझ से एक ऐसा बयान जारी किया था जो राहुल के पक्ष में था।लेकिन उस समय पत्रकारों ने जब राहुल से वरुण के बयान पर सवाल किया तो उन्होंने उसका मजाक सा उड़ाया।लेकिन वरुण ने कभी भी कोई प्रतिक्रिया खिलाफ में नहीं दी।
भारत जोड़ो यात्रा के अंतिम चरण में एक बार फिर राहुल गांधी ने पत्रकारों के वरुण पर सवाल पूछे जाने का ऐसा जवाब दिया जिसकी उम्मीद किसी को नहीं थी।संघ विचारधारा,गला कटवाने मतलब राहुल को यह सब बोलने की जरूरत ही नहीं थी।जबकि राहुल जानते हैं उनका खून और वरुण का खून एक ही है।दोनों की दादी इंदिरा गांधी थी।फिर संघ की बात नही की जानी चाहिए थी।ऐसा लगता है वरुण विरोधी सलाहकारों ने राहुल से गलत बयान दिलवाया होगा।क्योंकि राहुल कभी ऐसा बोलते नहीं है।परिवार में स्नेह है।इससे इंकार नहीं किया जा सकता।
केदारनाथ यात्रा के दौरान राहुल ने वरुण और उनके परिवार से बात की।वरुण की बिटिया को प्यार किया।लेकिन इसके बाद भी दोनो परिवारों के बीच एका नहीं होना हैरानी जताता है। लेकिन बीते दस साल में पार्टी जिस बुरे दौर से गुजर रही है उसमें गांधी परिवार को अपने ऐसे करीबी की जरूरत है जो अपने हित से ज्यादा पार्टी को मजबूत करने के बारे में सोचे।क्योंकि आज के दिन गांधी परिवार ऐसे चाटुकारों से घिरी हुई है जो आपस में अपने को बचाने के चक्कर में पार्टी का नुकसान कर रहे हैं।ये आम चुनाव में कांग्रेस फिर गलत फहमी में है कि अच्छा होने जा रहा है,लेकिन ऐसा है नहीं।ज्यादा से ज्यादा कांग्रेस इस बार 55 का आंकड़ा पार कर 70 से75 के आसपास पहुंच सकती है।जब कांग्रेस के प्रत्याशियों को भाजपा तोड़ रही है तो ऐसे समय में वरुण को साथ लाने से नुकसान कम फायदा ज्यादा होगा।रायबरेली और अमेठी में नामांकन की अंतिम तारीख 3 मई है।ऐसे में गांधी परिवार बड़ा दिल दिखा एक बार सोचे।
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