India News (इंडिया न्यूज), चंडीगढ़: वैसे तो चुनाव हर किसी के लिए साख का सवाल होता है लेकिन कुछ बडे नेताओं के लिए चुनाव जीतना प्रतिष्ठा का सवाल बन जाता है। ऐसा ही पंजाब की तीन लोकसभा सीटों पर हो रहा है जहां बडे नेताओं की पत्नियां चुनाव मैदान में उतरी हुई है। शिरोमणि अकाली दल के प्रधान सुखबीर सिंह बादल की पत्नी हरसिमरत कौर बादल बठिंडा, पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह की पत्नी परनीत कौर पटियाला और केंद्रीय मंत्री सोमप्रकाश की पत्नी अनिता सोमप्रकाश होशियारपुर से चुनाव लड़ रही हैं। तीनों नेताओं के लिए ये लोकसभा चुनाव बहुत अहम रहने वाला है, क्योंकि ये आगे उनका रजनीति भविष्य भी तय करेगा।
हालांकि इस बार परस्थितियां पहले से काफी बदल गई है, इसलिए चुनाव में चुनौतियां भी कम नहीं है। वर्ष 2022 विधानसभा चुनाव के नतीजे शिअद के लिए अच्छे नहीं रहे थे, क्योंकि पार्टी 20.15 प्रतिशत वोट शेयर के साथ मात्र 3 सीटों पर सिमट गई थी। लोकसभा चुनाव में बठिंडा सीट पर हरसिमरत के सामने आम आदमी पार्टी ने कैबिनेट मंत्री गुरमीत सिंह खुड्डियां को चुनाव मैदान में उतारा है। खुड्डियां वहीं नेता हैं, जिन्होंने पिछले विधानसभा चुनाव में लंबी सीट से शिअद के पांच बार के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल को मात दी थी।
इसके अलावा शिअद इस बार भाजपा के साथ भी गठबंधन में नहीं है। भाजपा से पूर्व आईएएस अधिकारी परमपाल कौर सिद्धू चुनाव लड़ रही हैं। वह राजनीति में नई जरुर हैं, लेकिन सिद्धृ के ससुर सिकंदर सिंह मलूका अकाली सरकार में कैबिनेट मंत्री रह चुके हैं। पिछले चुनावों के दौरान गठबंधन में शिअद को जो भाजपा का साथ मिलता था, वह इस बार नहीं मिलेगा। इसी तरह कांग्रेस ने चार बार के विधायक जीत मोहिंदर सिंह सिद्धू को अपना प्रत्याशी बनाया है। हरसिमरत को लोकसभा में एंट्री के लिए इन सभी चुनौतियों से गुजरना होगा। उनका ये चौथा लोकसभा चुनाव है। वर्ष 2009 में पहली बार चुनाव में उतरी थी। तब से लेकर अब तक वह जीत जरुर दर्ज कर रही हैं, लेकिन उनकी जीत का अंतर कम होता जा रहा है।
इसी तरह पटियाला सीट पर पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने अपनी पत्नी परनीत कौर को भाजपा से चुनाव मैदान में उतारा है। इससे पहली परनीत कांग्रेस से चुनाव लड़ती रही हैं। लेकिन हाल ही में वह भाजपा से शामिल हो गई थी और भाजपा ने उनको पटियाला से लोकसभा की टिकट भी थमा दी थी। कैप्टन के लिए ये चुनाव साख का सवाल बना हुआ है, क्योंकि पिछले विधानसभा चुनाव में वह कैप्टन अमरिंदर सिंह पटियाला सीट पर हार गए थे। यही काराण है कि ये लोकसभा चुनाव उनके लिए अहम है, क्योंकि इसके जरिए उनके पास अपनी राजनीतिक ट्रेन को दोबारा पटरी पर लाने का मौका है।
परनीत कौर एरिया में चुनाव प्रचार में तो जुटी हुई हैं। पर उनके रास्ते में भी चुनौतियां कम नहीं है। किसानों के विरोध ने उनकी परेशानी बढ़ा दी है। इसी तरह केंद्रीय मंत्री सोमप्रकाश इस लोकसभा चुनाव में खुद नहीं उतरे हैं। होशियारपुर से उनकी पत्नी अनिता सोमप्रकाश ये चुनाव लड़ रही हैं। यही वजह है कि सोमप्रकाश के लिए भी अपना गढ़ बचाना प्रतिष्ठा का सवाल बन गया है। 2019 लोकसभा चुनाव में उन्होंने कांग्रेस उम्मीदवार डॉ. राजकुमार चब्बेवाल को 48 हजार 530 मतों से मात दी थी। इस बार सोमप्रकाश खुद मैदान में नहीं है, इसलिए पत्नी के चुनाव मैदान में उतरने के चलते उनकी जिम्मेदारी भी पहले से अधिक बढ़ गई है।
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