India News (इंडिया न्यूज), Madhya Pradesh News: जिले के मनासा तहसील के दांता ग्राम पंचायत से लोकतंत्र को ठेंगा दिखाने वाला हैरान करने वाला मामला सामने आया है। यहां की सरपंच कैलाशी बाई ने अपने सभी अधिकार एक अनुबंध के जरिए गांव के ही सुरेश नामक व्यक्ति को सौंप दिए हैं।
अनुबंध में लिखी अजीब शर्तें
सोशल मीडिया पर वायरल हुए इस अनुबंध पत्र में सरपंच ने स्पष्ट लिखा है कि जहां भी सुरेश कहेगा, वहां कैलाशी बाई हस्ताक्षर कर देगी। यानी, गांव का विकास और फैसले अब सरपंच नहीं बल्कि सुरेश के इशारों पर होंगे। यह घटना लोकतांत्रिक व्यवस्था और ग्राम पंचायत अधिनियम की खुली अवहेलना मानी जा रही है।
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जनता ने पूछा – क्या सरपंची अब ठेके पर मिलेगी?
इस अनुबंध के सामने आने के बाद लोगों में गुस्सा और सवाल दोनों बढ़ गए हैं। क्या *चुना हुआ जनप्रतिनिधि अपने अधिकार इस तरह किसी और को सौंप सकता है? क्या सरपंच का पद अब ठेके पर दिया जा सकता है? यह मामला तब सामने आया है जब जिले में जावद जनपद पंचायत के CEO आकाश धारवे के अपहरण और ब्लैकमेलिंग का मामला अभी ठंडा भी नहीं हुआ था। ऐसे में लगातार सामने आ रहे प्रशासनिक अनियमितताओं के मामलों ने जिले में शासन-प्रशासन की भूमिका पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
जांच की मांग तेज
लोकतंत्र के इस खुले उल्लंघन पर अब प्रशासन से जांच की मांग तेज हो गई है। क्या इस अनुबंध को अमान्य घोषित कर सरपंच के खिलाफ कार्रवाई होगी? यह देखना दिलचस्प होगा कि प्रशासन इस पर क्या कदम उठाता है और क्या सुरेश व कैलाशी बाई पर कोई कार्रवाई होती है या नहीं।
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