India News (इंडिया न्यूज), Bhopal’s Cleanliness System: मध्य प्रदेश का भोपाल, जिसे देश की स्वच्छतम राजधानियों में गिना जाता है, आज सफाई व्यवस्था की गंभीर समस्याओं से जूझ रहा है। नए और पुराने शहर में कचरे के ढेर देखे जा सकते हैं। नगर निगम के बढ़ते संसाधन भी इस समस्या का समाधान करने में विफल साबित हो रहे हैं। सफाई में नंबर वन बनने का भोपाल का सपना अब फीका पड़ता दिख रहा है।
कचरा प्रबंधन की गंभीर समस्या
भोपाल में जगह-जगह कचरे के ढेर लगे हैं। रहवासियों की शिकायत है कि कई इलाकों में डोर-टू-डोर कचरा कलेक्शन की गाड़ियां नहीं पहुंचती, जबकि कुछ जगहों पर गाड़ियां आती हैं, लेकिन लोग गीले और सूखे कचरे को अलग नहीं करते। यह लापरवाही सफाई व्यवस्था को बिगाड़ रही है।
हर जगह सफाई व्यवस्था बदहाल
पॉश इलाकों से लेकर झुग्गी-झोपड़ियों तक, हर जगह सफाई व्यवस्था बदहाल नजर आती है। भोपाल की रैंकिंग, जो कभी देश में दूसरे स्थान पर थी, अब गिरने के कगार पर है। अगर हालात नहीं सुधरे, तो स्वच्छता सर्वेक्षण में अच्छा प्रदर्शन करना कठिन हो जाएगा।
नगर निगम के प्रयास और उनकी नाकामी
नगर निगम के अनुसार, सफाई के लिए संसाधनों में वृद्धि की गई है। वर्तमान में शहर के पास 500 कचरा कलेक्शन गाड़ियां, 225 रोड स्वीपिंग गाड़ियां, 10 रोड स्वीपिंग मशीन, 250 साइकिल रिक्शा, 15 ट्रांसफर स्टेशन और 300 हाथ ठेला मौजूद हैं। इसके अलावा जेसीबी और अन्य मशीनें भी उपलब्ध हैं। बावजूद इसके, सफाई व्यवस्था में कोई बड़ा सुधार देखने को नहीं मिल रहा।
पार्षद सफाई व्यवस्था की कर रहे मॉनिटरिंग
महापौर मालती राय ने कहा है कि जहां-जहां कमियां हैं, उन्हें दूर करने की कोशिश की जा रही है। पार्षद सफाई व्यवस्था की मॉनिटरिंग कर रहे हैं। हालांकि, केवल संसाधन बढ़ाने से समस्या का हल नहीं हो सकता।
जनता की भूमिका
सफाई व्यवस्था की समस्या के लिए जनता भी कम जिम्मेदार नहीं है। स्वच्छता को आदत में शामिल करने की बजाय लोग अब भी कचरे को सड़कों और सार्वजनिक स्थलों पर फेंक देते हैं। गीला और सूखा कचरा अलग करने की प्रक्रिया का पालन न करना एक बड़ी चुनौती है। लोगों को स्वच्छता के प्रति जागरूक करने के लिए व्यापक अभियान चलाने की आवश्यकता है।
भोपाल की स्वच्छता रैंकिंग में गिरावट
भोपाल की स्वच्छता रैंकिंग में बड़ा उतार-चढ़ाव देखने को मिला है। 2016 में 21वें स्थान से शुरू हुआ सफर 2017 और 2018 में दूसरे स्थान तक पहुंचा, लेकिन फिर यह गिरकर 2019 में 19वें और 2020 में 7वें स्थान पर आ गया। 2022 में छठवें और 2023 में पांचवें स्थान पर आने के बाद अब इसे बनाए रखना भी चुनौती बन गया है।
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