India News (इंडिया न्यूज), Congress Opposes: मध्य प्रदेश में कृष्ण जन्माष्टमी के आयोजन को लेकर विवाद छिड़ गया है। राज्य सरकार ने 21 अगस्त को सभी स्कूलों और कॉलेजों में कृष्ण जन्माष्टमी मनाने का आदेश जारी किया, जिसके बाद कांग्रेस ने इसका कड़ा विरोध किया है। कांग्रेस का कहना है कि शिक्षण संस्थानों का काम शिक्षा देना है, न कि धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन करना।

राज्य सरकार का आदेश, हर जिले में होंगे आयोजन

मध्य प्रदेश सरकार ने आदेश में कहा है कि 26 अगस्त को कृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर सभी जिलों में भगवान कृष्ण के मंदिरों की सफाई और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाएं। इसके साथ ही, सभी सरकारी और गैर-सरकारी स्कूलों और कॉलेजों में भगवान कृष्ण की शिक्षा, मित्रता और जीवन दर्शन पर विद्वानों के व्याख्यान और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन अनिवार्य किया गया है।

कांग्रेस का कड़ा विरोध, संविधान का उल्लंघन

कांग्रेस विधायक आरिफ मसूद ने इस आदेश पर आपत्ति जताते हुए कहा कि राज्य सरकार शैक्षणिक संस्थानों को बर्बाद कर रही है। मसूद ने कहा कि शिक्षण संस्थान केवल पढ़ाई के लिए हैं और वहां वैचारिक चर्चा होनी चाहिए, न कि धार्मिक आयोजन। उन्होंने कहा कि देश संविधान से चलता है और इसे गोडसे के विचारों से नहीं चलाया जाना चाहिए। मसूद ने कहा कि जब सरकार ऐसे आदेश जारी करती है, तो इसका विरोध स्वाभाविक है।

बीजेपी का समर्थन, जन्माष्टमी मनाना हमारा हक

दूसरी ओर, भाजपा विधायक रामेश्वर शर्मा ने राज्य सरकार के इस फैसले का स्वागत किया और कहा कि कांग्रेस को जन्माष्टमी मनाने में आपत्ति क्यों है? रामेश्वर शर्मा ने कहा कि भगवान कृष्ण ने उज्जैन में शिक्षा प्राप्त की थी, इसलिए मध्य प्रदेश की जिम्मेदारी है कि वह जन्माष्टमी को बड़े धूमधाम से मनाए। उन्होंने कहा कि स्कूल और कॉलेजों में कृष्ण का अध्ययन करना अपराध नहीं है और कांग्रेस को भगवान राम और कृष्ण से एलर्जी है।

धार्मिक आयोजन या शिक्षा?

यह विवाद इस बात पर केंद्रित है कि क्या स्कूल-कॉलेजों में धार्मिक आयोजनों को अनिवार्य किया जाना चाहिए या नहीं। जहां एक ओर सरकार इसे भारतीय संस्कृति और परंपरा का हिस्सा मानकर समर्थन कर रही है, वहीं दूसरी ओर विपक्ष इसे संविधान के खिलाफ मानते हुए विरोध कर रहा है। इस मुद्दे पर राज्य की राजनीति में तनाव बढ़ता दिखाई दे रहा है।

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