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Digvijay Controversial Statement सात वर्ष में बराबर हो जाएगी हिंदु-मुस्लिमों की जन्मदर

Vir Singh • LAST UPDATED : September 23, 2021, 11:49 am IST

इंडिया न्यूज, भोपाल :

Digvijay Controversial Statement मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने एक बार फिर विवादित बयान दिया है। सीहोर में किसान पदयात्रा के दौरान उन्होंने कहा कि अगले सात वर्ष में यानी 2028 तक हिंदुओं और मुस्लिमों की जन्मदर बराबर हो जाएगी। दिग्विजय का कहना है कि मुस्लिमों की जन्मदर में गिरावट हिंदुओं की तुलना में ज्यादा है। अपने बयानों को लेकर चर्चा में रहने वाले पूर्व सीएम ने कहा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह पर भी निशाना साधा।

उहोंने कहा कि वर्तमान में खतरा बताकर हिंदुओं को गुमराह किया जा रहा है। उन्होंने दावा किया कि न तो हिंदुओं और न ही मुस्लिमों को किसी तरह का खतरा है। इंटरनेट मीडिया पर कई ट्वीट को रिट्वीट करते हुए दिग्विजय ने लिखा कि जनता में भ्रम फैलाया जा रहा है कि मुस्लिमों की जनसंख्या बढ़ती जा रही है और हिंदुओं की घटती जा रही है, जिसकी वजह से 2030-2040 तक मुस्लिम बहुसंख्यक हो जाएंगे। उनके मुताबिक, मुस्लिमों की जन्मदर हिंदुओं से अधिक तेजी से गिर रही है। यह अनुमान लगाया जा रहा है कि यदि इसी तरह हिंदुओं और मुस्लिमों की जन्मदर घटती जाएगी तो दोनों की जन्मदर 2028 तक स्थाई होकर भारत की जनसंख्या स्थिर हो जाएगी।

Digvijay Controversial Statement सनातन धर्म को न कभी खतरा था न होगा

दिग्विजय ने कहा कि हजारों वर्ष पुराने सनातन धर्म को न तो कभी खतरा रहा है और न ही कभी खतरा हो सकता है। एमपी के पूर्व सीएम के मुताबिक, भाजपा, संघ और उसके संगठन केवल हिंदुओं को डराकर अपना स्वार्थ पूरा करते हैं। डराता वह है, जो खुद डरता है। हमारा सनातन धर्म कहता है कि डरो मत। उन्होंने कहा कि मोदी, शाह हिंदुओं को कब तक गुमराह करते रहोगे।

भारत में आज भी मुस्लिम ही पैदा कर रहे सबसे ज्यादा बच्चे (American Think Tank Report)

अब अमेरिकी थिंक टैंक प्यू (पीईडब्ल्यू) रिसर्च सेंटर का एक अध्ययन सामने आया है। इसके आंकड़ों से पता चलता है कि आज भी भारत में सबसे ज्यादा बच्चे मुस्लिम ही पैदा कर रहे हैं। इससे यह भी स्पष्ट है कि 1951 से 2011 के बीच भारत की आबादी तिगुनी हुई। लेकिन इसी दौरान मुस्लिमों की आबादी 5 गुना (3 करोड़ 50 लाख से 17 करोड़ 20 लाख) हो गई। जनसंख्या में मुस्लिमों की हिस्सेदारी बढ़ने की वजह बच्चे पैदा करने की उनकी लालसा बताई गई है। उल्लेखनीय है कि स्वतंत्रता के बाद भारत में पहली जनगणना 1951 में हुई थी।

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