India News (इंडिया न्यूज), MP News: मध्यप्रदेश के बालाघाट जिले से एक ऐसा चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जिसने जनसंख्या नियंत्रण को लेकर चल रहे सरकारी अभियानों की पोल खोल दी है। जिले के परसवाड़ा क्षेत्र के बघोली गांव की एक 40 वर्षीय बैगा आदिवासी महिला ने 21 जनवरी को जिला अस्पताल में अपने 10वें बच्चे को जन्म दिया। यह डिलीवरी सीजेरियन ऑपरेशन के जरिए हुई।
क्यों नहीं मिल रही नसबंदी की इजाजत
महिला के पति दसरू ने बताया कि उनकी पत्नी ने अब तक 10 बच्चों को जन्म दिया है, जिनमें से 8 अभी जीवित हैं। इनमें 4 बेटे और 4 बेटियां शामिल हैं। मजदूरी कर जीवन यापन करने वाले इस परिवार के लिए बच्चों का पालन-पोषण करना बेहद मुश्किल हो गया है। दसरू ने कहा कि वे परिवार नियोजन करवाना चाहते हैं, लेकिन बैगा जनजाति से जुड़े प्रावधान उनके इस कदम में बाधा बन रहे हैं।
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कानून की उलझन और परिवार की बढ़ती जिम्मेदारी
बैगा जनजाति की घटती आबादी के कारण 1979 में इस समुदाय पर नसबंदी की पाबंदी लगा दी गई थी। हालांकि, बाद में हाईकोर्ट ने इस कानून को निरस्त कर दिया, लेकिन अब भी इस प्रक्रिया के लिए कलेक्टर या एसडीएम की अनुमति आवश्यक है। जिला अस्पताल के सिविल सर्जन डॉ. निलय जैन ने बताया कि बैगा समुदाय में नसबंदी के लिए कानूनी प्रक्रिया का पालन करना होता है। वहीं, सीएचएमओ डॉ. मनोज पांडेय ने कहा कि यदि महिला स्वेच्छा से नसबंदी चाहती है, तो उसे प्रशासनिक अनुमति के लिए आवेदन करना होगा।
सरकार के लिए चेतावनी का संकेत
इस घटना ने जनसंख्या नियंत्रण के प्रयासों और आदिवासी समुदायों के विशेष प्रावधानों पर बहस छेड़ दी है। क्या ऐसे कानूनों में बदलाव कर जरूरतमंद परिवारों को मदद नहीं दी जानी चाहिए? यह घटना सरकार के जागरूकता अभियानों के प्रभाव और समुदाय-विशेष कानूनों की प्रासंगिकता पर गंभीर सवाल खड़े करती है।