मध्य प्रदेश

Farmers Rally in MP: गेल इंडिया प्लांट के खिलाफ किसानों की एमपी सरकार को दो टूक, कहा- ‘जान दे देंगे पर…’

India News MP(इंडिया न्यूज)Farmers Rally in MP: मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से 60 किलोमीटर दूर स्थित आष्टा क्षेत्र में गेल इंडिया कंपनी का इथेन क्रैकर पेट्रोकेमिकल प्लांट लगाया जाना है, लेकिन स्थानीय किसानों ने इस प्लांट का विरोध शुरू कर दिया है। गुरुवार (19 सितंबर) को सैकड़ों किसानों ने ट्रैक्टर रैली निकालकर प्लांट के विरोध में ज्ञापन सौंपा।

गुरुवार को आष्टा विधानसभा क्षेत्र के ग्राम भांवरी, बापचा, अरनिया, दाऊद, बागैर, शोभाखेड़ी, मुबारकपुर, दोनिया समेत एक दर्जन से अधिक गांवों के किसानों ने ‘गेल इंडिया वापस जाओ संघर्ष समिति’ के बैनर तले विशाल ट्रैक्टर रैली निकाली।

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500 ट्रैक्टर ट्रॉलियों के साथ निकाली रैली

रैली के बारे में जानकारी देते हुए हरपाल ठाकुर ने बताया कि ‘गेल इंडिया वापसी जाओ संघर्ष समिति’ के माध्यम से बाईपास चौपाटी से एक विशाल ट्रैक्टर रैली निकाली गई। इस रैली में करीब 500 ट्रैक्टर ट्रॉलियों के साथ बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए।

प्रदर्शनकारियों की यह भीड़ ट्रैक्टर ट्रॉलियों और पैदल ही उपमंडल अधिकारी कार्यालय पहुंची। यहां बड़ी संख्या में लोगों ने गेल इंडिया कंपनी के खिलाफ प्रदर्शन कर अपना विरोध दर्ज कराया।

किसानों ने सीएम से की ये दो मांग

1. गेल इंडिया वापस जाओ संघर्ष समिति के सदस्यों और किसानों की मांगें रखते हुए हरपाल ठाकुर ने कहा कि मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव से मुख्य रूप से दो मांगें की गई हैं, एक तो हम किसान किसी भी कीमत पर गेल इंडिया के इथेन क्रैकर पेट्रोल केमिकल प्लांट को सरकारी और निजी जमीन पर नहीं लगने देंगे।

2. क्षेत्र के किसान किसी भी कीमत पर अपनी निजी जमीन नहीं देंगे। गेल इंडिया के इथेन क्रैकर प्लांट लगने से हमारे क्षेत्र का पर्यावरण, पानी, जमीन सभी प्रदूषित हो जाएंगे, जिसका हमारे क्षेत्र के लोगों के जीवन पर भयंकर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।

‘हम अपनी जान दे देंगे, लेकिन अपनी जमीन नहीं देंगे’

किसानों का कहना है कि ”हम अपनी जान दे देंगे, लेकिन किसी भी कीमत पर अपने गांव की सरकारी और निजी जमीन पर यह जानलेवा प्लांट नहीं लगने देंगे।” किसानों का कहना है कि भूमि अधिग्रहण अधिनियम 2013 में साफ तौर पर कहा गया है कि किसी भी क्षेत्र की जमीन का अधिग्रहण तब तक नहीं किया जा सकता, जब तक उस क्षेत्र के 75 प्रतिशत प्रभावित किसान अपनी सहमति न दें।

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Ashish kumar Rai

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