India News (इंडिया न्यूज), Mahakaleshwar Temple: मध्य प्रदेश में उज्जैन के विश्व प्रसिद्ध महाकालेश्वर मंदिर में मौनी अमावस्या के पावन अवसर पर बाबा महाकाल का विशेष श्रृंगार किया गया। इस शुभ दिन पर 144 साल बाद दुर्लभ योग बना, जिसे समुद्र मंथन तुल्य योग कहा जा रहा है। इसके साथ ही त्रिवेणी संयोग भी बना, जिससे इस दिन किसी भी समय स्नान करने से अमृत समान पुण्य प्राप्त होता है। प्रयागराज में इसी अवसर पर महाकुंभ का दूसरा अमृत स्नान भी हुआ।
रमाई गई भस्म
मौनी अमावस्या के अवसर पर बाबा महाकाल को भांग, त्रिपुंड, चंद्र और बेलपत्र से दिव्य स्वरूप में श्रृंगारित किया गया। इसके बाद मंदिर की परंपरा के अनुसार उन्हें भस्म रमाई गई। इस विशेष भस्म आरती के दौरान भक्तों ने बाबा महाकाल के अलौकिक दर्शन किए और “जय महाकाल” के जयघोष से संपूर्ण मंदिर परिसर गूंज उठा।
पंचामृत से बाबा का स्नान
सुबह 4 बजे भगवान महाकाल के जागने के बाद मंदिर के पट खोले गए। सबसे पहले उन्हें गर्म जल से स्नान कराया गया, फिर पंचामृत—दूध, दही, शहद, शक्कर और घी से अभिषेक किया गया। इसके बाद भगवान का चंदन, पुष्प और भांग से दिव्य श्रृंगार हुआ। भगवान महाकाल का यह अनुपम स्वरूप देख भक्त भाव-विभोर हो गए।
पूजन-विधान पूरी विधि-विधान से हुआ पूरा
महाकाल मंदिर के पुजारी पंडित महेश शर्मा ने बताया कि बाबा महाकाल का पूजन-विधान पूरी विधि-विधान के साथ किया गया। महानिर्वाणी अखाड़े के संतों द्वारा बाबा को विशेष रूप से भस्म रमाई गई और फिर कपूर आरती की गई। यह दृश्य इतना अलौकिक था कि जो भी दर्शन कर रहा था, वह मंत्रमुग्ध हो गया।
भक्तों की उमड़ी भारी भीड़
मौनी अमावस्या का यह शुभ अवसर भक्तों के लिए अत्यंत पावन रहा। मंदिर परिसर में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ी और सभी ने बाबा महाकाल के दर्शन कर पुण्य लाभ प्राप्त किया। इस दिन का महत्व यह है कि मौन रहकर ध्यान और स्नान करने से कई गुना अधिक फल प्राप्त होता है। बाबा महाकाल के दिव्य दर्शन करने आए श्रद्धालुओं ने स्वयं को धन्य अनुभव किया और उनकी भक्ति में लीन हो गए।
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