मध्य प्रदेश

मकर संक्रांति पर बाबा महाकाल मंदिर में विशेष पूजा और भोग अर्पित, जाने सफेद तिल चढ़ाने का विशेष महत्व

India News (इंडिया न्यूज), Mahakaleshwar Temple: मकर संक्रांति का पर्व हर साल भारतभर में धूमधाम से मनाया जाता है, और इस अवसर पर मध्य प्रदेश के उज्जैन में स्थित विश्व प्रसिद्ध श्री महाकालेश्वर मंदिर में भी विशेष आयोजन किए गए। मकर संक्रांति के दिन बाबा महाकाल के दरबार में हर श्रद्धालु की आस्था और श्रद्धा का सैलाब उमड़ता है, और इस दिन महाकाल मंदिर में विशेष पूजा अर्चना, स्नान और भोग अर्पित किया जाता है।

महाकाल का तिल के तेल से स्नान

इस वर्ष भी मकर संक्रांति के अवसर पर बाबा महाकाल का स्नान तिल के तेल से कराया गया। माघ कृष्ण पक्ष की प्रथमा तिथि को सुबह 4 बजे होने वाली भस्म आरती के दौरान बाबा महाकाल को तिल के तेल और उबटन से स्नान कराया गया। इसके बाद उन्हें तिल्ली के लड्डुओं का भोग अर्पित किया गया। महाकालेश्वर मंदिर के पुजारी पं. महेश शर्मा ने बताया कि इस दिन तिल का तेल और तिल्ली के पकवानों का भोग महाकाल को विशेष रूप से अर्पित किया जाता है, क्योंकि तिल लक्ष्मी, सुख और समृद्धि का प्रतीक माने जाते हैं।

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सफेद तिल चढ़ाने का धार्मिक महत्व

पं. महेश शर्मा ने यह भी बताया कि तिल चढ़ाने का धार्मिक महत्व है। श्वेत तिल चढ़ाने से घर में सुख-शांति और धन-धान्य की वृद्धि होती है, जबकि काले तिल का भी विशेष महत्व होता है। इस दिन बाबा महाकाल को तिल से बने पकवानों का भोग अर्पित करके उनके आशीर्वाद की प्राप्ति की जाती है।

नदी के तट पर डुबकी का महत्व

मकर संक्रांति को दान-पुण्य के लिहाज से भी महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन श्रद्धालु शिप्रा नदी के तट पर पहुंचकर डुबकी लगाते हैं और देव दर्शन करने के बाद दान करते हैं। रामघाट पर विशेष व्यवस्था की गई थी, ताकि श्रद्धालु बिना किसी असुविधा के पूजा कर सकें। हजारों श्रद्धालुओं ने इस दिन शिप्रा में स्नान करके पुण्य अर्जित किया और तात्कालिक आस्था का अनुभव किया।

पतंगबाजी की भी परंपरा

इसके अलावा, मकर संक्रांति के दिन उज्जैन में पतंगबाजी की भी परंपरा है। सुबह से ही घरों की छतों पर लोग पतंग उड़ाते हुए इस उत्सव का आनंद लेते हैं। बाजारों में भी इस दिन के लिए विशेष रौनक होती है और लोग इस दिन को उमंग और उल्लास के साथ मनाते हैं।

मकर संक्रांति परंपरा का अहम हिस्सा

उज्जैन में हर पर्व को बड़े धूमधाम से मनाने की परंपरा है, और मकर संक्रांति इस परंपरा का अहम हिस्सा है। महाकालेश्वर मंदिर की साज-सज्जा भी इस दिन विशेष रूप से की जाती है, जिससे भक्तों को और भी अधिक आनंद मिलता है। कुल मिलाकर, मकर संक्रांति का पर्व उज्जैन में एक उत्सव की तरह मनाया जाता है, जो श्रद्धा, उमंग और आस्था का प्रतीक है।

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Shagun Chaurasia

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