India News (इंडिया न्यूज),MP Forest Department: भिंड जिले में वन विभाग की लापरवाही के कारण वनोपज लकड़ियों की लगातार कटाई हो रही है। इस मामले में वन विभाग के अधिकारियों और वनरक्षकों की भूमिका संदिग्ध बताई जा रही है। खबरें आ रही हैं कि वनरक्षक खुद वनभक्षक बन गए हैं, जबकि लकड़ी माफियाओं के साथ अधिकारियों की मिलीभगत से वन संपत्ति का अवैध दोहन हो रहा है।

फर्जी प्रमाणीकरण से हुई अवैध कटाई

एक और चौंकाने वाली बात यह सामने आई कि वन विभाग ने एक किसान द्वारा रेंजर कार्यालय में दिए गए आवेदन को फर्जी प्रमाणीकरण से मंजूरी दी। यह प्रमाणीकरण बिना सत्यापन के ही वन विभाग के SDO द्वारा जारी किया गया, जिससे लकड़ी के परिवहन का आदेश दिया गया। किसान के आवेदन में कूटरचित तरीके से पेड़ों की संख्या बढ़ाई गई, जिससे निजी भूमि पर खड़े लगभग 38 पेड़ों को काटने का रास्ता खुला।

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कलेक्टर की कार्रवाई ने खोली पोल

कलेक्टर संजीव श्रीवास्तव द्वारा हाल ही में रात्रि में परिवहन करते पकड़ी गई लकड़ी से भरी कैंटर में 100 से अधिक कटे हुए पेड़ों की लकड़ी पाई गई। इस कार्रवाई से वन विभाग की सजगता की पोल खुल गई, और विभाग की अनदेखी साफ तौर पर सामने आ गई। कलेक्टर ने मामले की जांच के आदेश दिए, जिसके बाद अटेर SDM अंकुर गुप्ता को जांच का जिम्मा सौंपा गया। SDM द्वारा आरोप पत्र तैयार किया जा चुका है।

वन विभाग की अनदेखी पर कार्रवाई की आवश्यकता

यह घटना वन विभाग की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठाती है। जहां एक ओर विभाग को अवैध कटाई पर कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए थी, वहीं दूसरी ओर अधिकारियों की संलिप्तता से यह मामला और भी पेचीदा हो गया है। इस मामले में निष्पक्ष जांच और सख्त कदम उठाए जाने की आवश्यकता है।

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