India News (इंडिया न्यूज़),MP News: इंदौर प्रशासन ने जनवरी से भिक्षा मांगने और देने पर वैधानिक कार्रवाई करने का निर्णय लिया है। शहर को 100% भिक्षुक मुक्त बनाने के उद्देश्य से प्रशासन ने भिक्षावृत्ति करने वालों को पुनर्वास केंद्रों में भेजने का काम शुरू कर दिया है। हालांकि, इस फैसले का भिक्षुकों ने विरोध करते हुए कलेक्टर कार्यालय में ज्ञापन सौंपा।
रोजगार की कमी के कारण भिक्षा मांगने को मजबूर
में पहुंचे भिक्षुकों का कहना है कि रोजगार की कमी के कारण वे भिक्षा मांगने को मजबूर हैं। कुष्ठ रोगी भिक्षुकों ने विशेष रूप से पेंशन में बढ़ोतरी की मांग की है। उनका कहना है कि वर्तमान पेंशन से न तो उनका इलाज हो पाता है और न ही जीवन यापन। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर उनकी मांगें नहीं मानी गईं, तो वे मुख्यमंत्री से मिलने भोपाल जाएंगे।
भिक्षुकों को मुहैया कराई जाएगी रोजगार और बेहतर सुविधाएं
इंदौर कलेक्टर आशीष सिंह ने स्पष्ट किया कि शहर को भिक्षुक मुक्त बनाने की प्रक्रिया जारी रहेगी। उन्होंने कहा कि अब तक पुनर्वास केंद्रों में भेजे गए भिक्षुकों को रोजगार और बेहतर सुविधाएं मुहैया कराई गई हैं। हालांकि, कुष्ठ रोगियों की पेंशन बढ़ाने का निर्णय शासन स्तर पर ही लिया जाएगा। प्रशासन का तर्क है कि यह कदम शहर की छवि सुधारने और भिक्षुकों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए उठाया गया है। दूसरी ओर, भिक्षुकों का कहना है कि उन्हें जब तक स्थायी रोजगार और आर्थिक मदद नहीं मिलती, वे भिक्षा मांगने को मजबूर रहेंगे।
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