India News (इंडिया न्यूज), Gwalior News: 9 दिन चले अढ़ाई कोस कहावत का प्रयोग किसी व्यक्ति या काम की धीमी चाल के लिए किया जाता है लेकिन ग्वालियर में निर्माण कार्यों की मंथर गति ने इस कहावत को भी झुठला दिया क्योंकि कहावत में तो 9 दिन में ढाई कोस चलने पर ही तंज कसा जाता है। लेकिन ग्वालियर में महज 1 रेलवे क्रॉसिंग को पार करने के लिए बनाए जा रहे एक रेलवे ओवर ब्रिज (ROB) को बनने में 8 साल लग गए।
42 लाख 80 हजार रुपये का बजट भी मंजूर हुआ
आपको बता दें कि ग्वालियर में यह आरओबी विवेकानंद नीडम के पास बन रहा है। इसके बनाने के पीछे इसके पीछे के क्षेत्र को विकसित करना और शहर के वाहनों को सीधे नेशनल हाइवे तक पहुंचाना था। लेकिन नाका चंद्रवदनी से सीधे कलेक्ट्रेट होकर झांसी रोड हाइवे से जोड़ने वाले इस मार्ग में सबसे बड़ी बाधा यह थी कि बीच मे ग्वालियर-भोपाल रेलवे ट्रैक है और इस पर ट्रेनों का ट्रैफिक बहुत है क्योंकि दिल्ली से दक्षिण जाने वाली सभी ट्रैन यहीं से गुजरती है। अभी तक यहां रेलवे गेट था। इस दिक्कत को समाप्त के लिए सरकार ने रेलवे से बात करके यहां 1 रेलवे ओवर ब्रिज बनाने का प्रस्ताव बनाया जिसे 2017 में स्वीकृति मिली और इसके लिए 42 लाख 80 हजार रुपये का बजट भी मंजूर हुआ।
जोड़ने का काम अटका पड़ा
आपको बता दें कि इस आरओबी पर समारोहपूर्वक काम शुरू हो गया और इसे 2019 में पूरा होने का टारगेट दिया गया। इस मामले की गति शुरू में तो ठीक रही। राज्य सरकार द्वारा अपने हिस्से का अधिकतर काम तो पूरा कर लिया लेकिन रेल विभाग में अफसरों ने कोई रुचि नही ली। अभी पुल को रोड से दोनों साइड जोड़ने का काम अटका पड़ा हैं।