India News (इंडिया न्यूज), Unique Holi in Burhanpur: मध्य प्रदेश के बुरहानपुर में होली का एक अनोखा अंदाज देखने को मिलता है। यहां माहेश्वरी समाज की महिलाएं पारंपरिक रूप से फाग उत्सव मनाती हैं। खास बात यह है कि 35 से 40 साल की महिलाएं राधा-कृष्ण का रूप धारण कर नृत्य करती हैं और भक्ति भाव से सराबोर होकर होली खेलती हैं। यह परंपरा समाज में सालों से चली आ रही है और हर साल इसे बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है।
फाग उत्सव होली के करीब आते ही शुरू हो जाता है। समाज की महिलाएं पारंपरिक वेशभूषा में सजती हैं और समूह बनाकर होली के गीत गाती हैं। रंगों और गुलाल के साथ नृत्य कर भगवान कृष्ण और राधा की लीलाओं को जीवंत करती हैं। इस आयोजन में बुजुर्ग महिलाएं भी पूरे जोश के साथ भाग लेती हैं और युवा पीढ़ी को इस परंपरा को आगे बढ़ाने के लिए प्रेरित करती हैं।
Unique Holi in Burhanpur
CG Weather News Today: गर्मी का शुरू हुआ आतंक, बारिश की संभावना हुई कम…देखे पूरी खबर
माहेश्वरी समाज की प्राची माहेश्वरी और मंजू माहेश्वरी के अनुसार, यह परंपरा करीब 50 सालों से चली आ रही है। जैसे ही होली का पर्व नजदीक आता है, समाज की महिलाएं इस आयोजन की तैयारियों में जुट जाती हैं। इस दौरान वे अलग-अलग कार्यक्रम आयोजित कर एक-दूसरे को होली की बधाइयां देती हैं और प्रेम और भाईचारे का संदेश फैलाती हैं।
इस साल भी माहेश्वरी समाज की महिलाओं ने पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए फूलों से होली खेली। उनका मानना है कि प्राकृतिक संसाधनों को बचाकर भी पर्व को हर्षोल्लास से मनाया जा सकता है। यह एक अनोखा नवाचार है जो समाज को पर्यावरण की सुरक्षा का संदेश देता है। फाग उत्सव में महिलाएं स्वयं द्वारा लिखे हुए पारंपरिक लोकगीत गाती हैं। बुजुर्ग महिलाओं की ऊर्जा और भक्ति देखकर युवा पीढ़ी भी इस परंपरा से जुड़ने के लिए प्रेरित होती है। यह उत्सव सिर्फ रंगों का नहीं, बल्कि भक्ति, प्रेम और सद्भावना का भी प्रतीक है।
बुरहानपुर का फाग उत्सव न केवल होली के रंगों को संजोता है, बल्कि हमारी संस्कृति और परंपराओं को जीवंत रखने का भी एक शानदार प्रयास है। यहां की महिलाएं यह संदेश देती हैं कि त्योहारों का असली आनंद सद्भाव, प्रेम और पर्यावरण संरक्षण के साथ ही लिया जा सकता है।